अयोध्या के राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा का आज तीसरा दिन है। रामायण और राम को लेकर आपने कई मिथक सुने होंगे, जिन्हें लोग सच मान लेते हैं। जैसे राम की एक बड़ी बहन थीं, सीता रावण की ही बेटी थी और भी ऐसे कई बातें हमारे आसपास होती रहती हैं। हालांकि, इनकी सच्चाई अलग ही है और ये बातें अलग-अलग राम कथा का हिस्सा हैं। आज हम रामायण से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथकों और वे किस रामकथा से जुड़ी हुई हैं बताने जा रहे हैं।
कई कथाओं में यह बताया गया है कि भगवान राम की एक बहन थी जिनका नाम शांता था। जिनका विवाह शृंगी ऋषि के साथ हुआ था, ये वो ही शृंगी ऋषि हैं जिन्होंने दशरथ को पुत्र प्राप्ति के लिए कामेष्ठी यज्ञ करावाया था। जिसके प्रसाद से राम सहित चारों गुणी भाइयों का जन्म हुआ।
छत्तीसगढ़ी रामायण में भी इसका उल्लेख मिलता है। अध्यात्म और आनंद रामायण में भी शांता का जिक्र आता है। इसके अलावा इंडोनेशिया के रामकियेन में भी शांता का जिक्र आता है। हालांकि, वाल्मीकि रामायण या तुलसीदास की रामचरितमानस में कहीं भी किसी भी श्लोक में शांता के बारे में कुछ भी लिखा नहीं गया है। इस कारण भगवान राम की बहन शांता के बारे में ज्यादातर विद्वानों ने एक काल्पनिक पात्र ही माना है।
बहुत सी कहानियों में ये भी सुनने में आता है कि क्या सीता रावण की बेटी थीं, जिसका उसने त्याग कर दिया था। वहीं कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जिसमें बताया गया है कि रावण ने कई ऋषियों की हत्या-कर उनके खून से घड़ा भर लिया था। तब एक ऋषि के शाप से इस रक्त से भरे घड़े से एक कन्या का जन्म हुआ जो की अहंकारी रावण के मौत का कारण बनी।
इसके बाद रावण ने उस रक्त से भरे घड़े को लंका से काफी दूर मिथिला नगरी के पास खेत में गड़वा दिया था। जहां से जनक को सीता मिली थीं। बता दें कि वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस जैसे ग्रंथों में ऐसी किसी घटना का उल्लेख नहीं मिलता है। दोनों ही ग्रंथों में सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना है। इन्हीं सीता देवी को वेदों ने कृषि की देवी भी कहा है जो कि दक्षिणी भारत और उत्तर-पूर्वी राज्यों की कुछ लोक कथाओं में मिलता है।
इस मत पर दो तरह की विचारधाराएं प्रचलित हैं। उत्तर भारतीय ग्रंथों में, वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस जैसे ग्रंथों में भगवान हनुमान को ब्रह्मचारी माना है। वहीं कुछ कथाओं में उनके पुत्र मकरध्वज का भी जिक्र आता है जो की रावण के भाई अहिरावण की सेना में थे और पाताल में निवास करते थे।
हनुमान के इस पुत्र के जन्म की कथा लंका दहन के प्रसंग से जुड़ी है। जब हनुमान लंका दहन कर लौट रहे थे तब उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में जा गिरी, जो एक मछली ने पी ली थी। जिससे वो गर्भवती हो गई और जिससे एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम मकरध्वज था।
वहीं, दक्षिणी भारत के कई मंदिरों में भगवान हनुमान की पूजा उनकी पत्नी के साथ की जाती है। बता दें कि यहाँ सूर्य की पुत्री सुवर्चला उनकी पत्नी रूप में मानी जाती है। वहीं अगस्त्य संहिता नामक ग्रंथ में इसका उल्लेख भी है। जिसके तहत हनुमान जी ने सूर्य को अपना गुरु बनाया था। कुछ विद्याएं हासिल करने के लिए हनुमान जी का विवाहित होना जरूरी था, लेकिन हनुमान अपना ब्रह्मचर्य तोड़ना नहीं चाहते थे।
ऐसे में भगवान सूर्य ने हनुमान से कहा कि उनकी पुत्री सुवर्चला भी विवाह नहीं करना चाहती है, वो भी तपस्विनी है और वो गृहस्थ जीवन नहीं चाहती। दोनों कुछ समय के लिए शादी कर लें पर अलग-अलग रहें जिससे दोनों का ब्रह्मचर्य धर्म नहीं टूटेगा। इसके बाद दोनों का विवाह कराया गया और विवाह के तुरंत बाद सुवर्चला तपस्या के लिए चली गईं और हनुमान ने अपनी शिक्षा सूर्य से प्राप्त की।
हालांकि आपको बता दें कि ये कहानी दक्षिण भारत में प्रचलित है। उत्तर भारत में भगवान हनुमान को ब्रह्मचारी रूप में ही पूजा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि सीता-हरण के बाद राम जब जंगल में सीता की खोज कर रहे थे, तब उन्होंने एक बगुले से सीता के बारे में पूछा था। तो ऐसे में उसने पानी में मुंह छिपा लिया था। जिसके कारण राम ने उसे क्रोधित होकर श्राप दे दिया। वहीं, एक गिलहरी ने सीता के बारे में बताया तो राम ने उसकी पीठ पर प्रेम से तीन उंगलियां फेरकर उसे वरदान दे दिया।
वहीं दूसरी ओर एक कहानी ये भी है कि समुद्र मंथन में गिलहरी ने भी मदद राम की सेना की मदद की थी, जिसके बाद राम ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा था। बता दें कि वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में ये संदर्भ नहीं लिखा गया है। प्रो. कामिल बुल्के की लिखी किताब रामकथा का इतिहास के मुताबिक ये कहानी आदिवासी बिर्होर और मुंडा जातियों की लोक कथाओं से जुड़ी है। जो झारखंड और छत्तीसगढ़ में निवास करते हैं।
कई कहानियों में उल्लेख आता है कि सीता का जब स्वयंवर हो रहा था तो उसमें रावण भी भाग लेने आया था पर वह अपने अराध्य देव शिव का धनुष को नहीं उठा पाया था। धनुष नहीं उठा पाने के कारण बाकी राजाओं ने उसकी हंसी उड़ाई जिसके कारण वह गुस्सा होकर लंका लौट गया था।
इसका भी जिक्र वाल्मीकि रामायण या रामचरितमानस में नहीं मिलता है। हाँ, 9वीं शताब्दी में लिखी गई आनंद रामायण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि रावण ने सीता से विवाह की इच्छा जाहिर करने के लिए मिथिला में अपना एक दूत जनक के पास भेजा था। वहीं तमिल रामकथा में यह उल्लेख आता है कि स्वयंवर में रावण आया था पर शिव के धनुष को उठाना तो दूर हिला भी नहीं पाया था।
तेलंगाना के खम्मम जिले का श्री सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर है। यहां भगवान हनुमान की पूजा सुवर्चला के साथ की जाती है। यहां अगस्त्य संहिता के मुताबिक इस मान्यता को सही माना जाता है कि सुवर्चला भगवान हनुमान की पत्नी हैं।
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