महेंद्रनाथ पांडे, जिन्होंने 16 साल के अंतराल के बाद 2014 में भाजपा के लिए जीत हासिल की और 2019 में अपनी जीत का अंतर बढ़ाया, उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह से है, जो अपनी राजनीतिक पारी के लिए जाने जाते हैं।
प्रशासनिक दृष्टि से वर्ष 1997 में वाराणसी जिले से चंदौली जिले का गठन किया गया था। यह जिला पवित्र नदी गंगा के पूर्वी और दक्षिणी किनारे पर स्थित है। जिले का नाम इसके तहसील मुख्यालय के नाम पर रखा गया है। वर्तमान जिले में शामिल क्षेत्र काशी के प्राचीन साम्राज्य का हिस्सा था। इस जिले से जुड़ी कई किंवदंतियों के अलावा, यहां प्राचीनता के बहुमूल्य साक्ष्य पाए गए हैं और ईंटों से भरे टीलों के अवशेष पूरे जिले में फैले हुए हैं। चंदौली में विश्वप्रसिद्ध पश्चिम वाहिनी मेला लगता था, मान्यता है कि केवल दो ही जगह गंगा पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। पहला इलाहाबाद से और दूसरा बलुआ है, जो की चंदौली में मौजूद है।
बीजेपी ने आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में चंदौली लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार डॉ. महेंद्रनाथ पांडे को उम्मीदवार बनाया है। आपको बता दें कि महेंद्रनाथ पांडे ने 2014 में 16 साल के अंतराल के बाद चंदौली सीट पर भाजपा के लिए जीत हासिल की किया था पर 2019 के चुनाव में उनके जीत का अंतर पिछले जीत के मुकाबले काफी बढ़ गया था। वहीं सपा पार्टी की बात करें तो विरेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
जबकि अभी और उम्मीदवार के घोषणा होनी है। आपको बता दें कि पहले 2014 और 2019 में सीट जीतने के बाद, पांडे का लक्ष्य आगामी चुनावों में हैट्रिक लगाना है। पांडे से पहले, भाजपा ने चंदौली सीट पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया था और आनंद रत्न मौर्य ने यहां से तीन बार चुनाव लड़ा था और हर बार विजयी हुए थे। ये निर्वाचन क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सीमाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लगती हैं।
2019 के आमचुनाव में चंदौली से भारतीय जनता पार्टी से उतारे गए प्रत्याशी डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने बाजी मारी थी। उन्हें इस चुनाव में इस सीट से 510733 वोट प्राप्त हुए थे जो कि कुल वोट प्रतिशत का 62 फीसद था। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी के रूप में सपा के तरफ से रहे प्रत्याशी संजय सिंह चौहान रहे जिन्हें 496774 वोट मिले थे।
डॉ महेंद्र नाथ पांडेय(15 अक्टूबर 1957) मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले हैं और इसी जिले के पक्खनपुर गांव में हुआ था। डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की शिक्षा की बात करें तो बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में पीएचडी किया है। साथ ही डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट किया। वे अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में रोचकता रखते थे। वे 1973 में बनारस के सीएम एंग्लो बंगाली कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे। इसके बाद बीएचयू में पढ़ाई के दौरान छात्र संघ में जनरल सेक्रेटरी भी रहे। और वे इमरजेंसी के दौरान 5 महीने तक जेल में कारावास भी झेला। साल 1978 में इन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ज्वाइन किया बाद में यह राम जन्मभूमि आंदोलन से भी जुड़े।
वहीं सक्रिय राजनीति की बात करें तो साल 1991 में डा.महेंद्र नाथ पांडेय उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़े और वहां से जीत हासिल की। इसके बाद 1996 में भी इन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और वहां भी जीते। इस दौरान कल्याण सिंह के सरकार में डॉ महेंद्र पांडे को राज्य मंत्री बनाया गया। इसके बाद इन्होंने अगली सरकार में पंचायती राज विभाग का भी मंत्रालय भार संभाला।
चंदौली लोकसभा सीट जातिगत समीकरणों से काफी प्रभावित है। प्रमुख मतदाता वर्गों में यादव, दलित और मौर्य समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम और राजभर की आबादी शामिल है। चंदौली में ऐतिहासिक रूप से राजनीतिक समीकरण देखने को मिले हैं। अलग-अलग पार्टियाँ वर्षों से जीत का दावा करती रही हैं। शुरुआत में कांग्रेस का दबदबा था, बाद में इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, बीजेपी और समाजवादी पार्टी सहित कई प्रतिनिधि आए। लेकिन खासकर 2014 और 2019 में डॉ. महेंद्रनाथ पांडे की लगातार जीत के साथ भाजपा ने मजबूत उपस्थिति बनाकर रखी हुई है।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक चंदौली भौगोलिक दृष्टि से वाराणसी से सटा हुआ है। इसमें पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जो कि मुगलसराय, सैयदराजा, अजगरा ,शिवपुर और सकलडीहा हैं । यहाँ सकलडीहा को छोड़कर सभी आस पास के विधानसभा सीटें भाजपा के कब्जे में हैं। अब चुनाव के बाद ही पता चल पायेगा कि इस बार बाज़ी कौन मार जाएगा।