हाथरस का इतिहास श्री भूरि सिंह के बाद शुरू हुआ जब उनके पुत्र राजा देवराम को 1775 CE में ताज पहनाया था। 1784 में सिंधिया शासक माधवराव आई सिंधिया ने हथत्रों के क्षेत्र में अपने शासन को स्थापित करके इसे मजबूत किया।
आपको बता दें कि हिंदुओं, बौद्ध और जैन संस्कृति के पुरातत्व अवशेषों के साथ-साथ शंग और कुशन काल के वस्तु यहां पर कई स्थानों पर पाए गए। इसी के साथ यहां भूरे रंग का बर्तन, और सप्त मट्रिकलम, कुशान काल की मिट्टी प्रतिमा भी मिली है। क्षेत्ररेश क्षेत्र उल्लेखनीय पुराने मंदिरों में से एक माने जाते हैं।
ऐतिहासिक और पैराणिक कथाओं के अनुसार, हाथरस शहर महाभारत काल के समय से रहा है। छोटू बनमाली की “गोकुल महात्म” की कहानी के अंतर्गत, भगवान कृष्ण के जन्म के समय, शिव और पार्वती इसी रास्ते से बृज पहुंचे थे।
जिस जगह पार्वती रुकी थीं वहां उन्हें हाथरसी देवी के नाम से जाना गया। माना जाता है कि हाथरसी देवी के नाम से ही इसे हाथरस के नाम से जाना जाने लगा। पर हाथरस नगर कब बना और किसने इसे बसाया, इसका कोई दस्तावेजी प्रमाण के रूप में हमारे पास मौजूद नहीं है।
वहीं 2011 की जनगणना के मुताबिक हाथरस की जनसंख्या लगभग 16 लाख है। हाथरस की 71.59 फीसदी जनसंख्या साक्षरता के रेंज में आती है। जिनमें पुरुष की साक्षरता 82.38 फीसदी और महिलाओं की साक्षरता दर 59.23 फीसदी है।
1962 में हुए आम चुनाव में सबसे पहले यहां कांग्रेस पार्टी ने यहां से चुनाव जीता था। इसके बाद 1967 से 1977 तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व बना रहा। फिर लोकदल, जनता दल जैसी अन्य पार्टियों ने भी यहां पर अपने जीत का झंडा फहराया है। हालांकि, साल 1991 से लगातार 2009 तक इस सीट पर भाजपा ने अपने पकड़ को मजबूत बना कर रखा।
2014 में हुए चुनाव में यहां 17,58,927 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था, जिनमें 44 प्रतिशत महिलाएं व 55 प्रतिशत पुरुष वोटर शामिल थे। इस क्षेत्र के तहत ये 5 विधानसभा सीटें आती हैं जिनका नाम इगलास, छर्रा, हाथरस, सिकंदराराऊ और सादाबाद हैं। वहीं 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के राजेश कुमार ने इस सीट पर फटह हासिल की थी। उन्हें इस सीट से 5,44,277 वोट मिले थे। वहीं बीएसपी के उम्मीदवार मनोज कुमार को 2,17,891 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे और तीसरे नंबर पर यहां समाजवादी पार्टी रही।
राजवीर सिंह दिलेर (जन्म 1 मई 1958) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और लोकसभा के सदस्य हैं , जो उत्तर प्रदेश के हाथरस निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं । उनके पिता किशन लाल दिलेर हाथरस से पूर्व सांसद रह चुके थे। वह 2017 में इगलास से उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए थे , पर उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे 2019 में हाथरस से भाजपा पार्टी के उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और यहां से मैदान मारने में सफल रहे।
हाथरस में दक्षिण-पश्चिमी दिशा में 19वीं शताब्दी के एक दुर्ग के भग्नावशेष विद्यमान हैं। यहां हर साल लख्खा मेला को, भगवान बालम मंदिर में मनाया जाता है जो लोकप्रिय रूप से डू बाबा के नाम से भी लोगों के बीच जाना जाता है।
यह संसदीय सीट मुस्लिम और जाट वोटर्स के प्रभाव के रूप में जाना जाता है। चुनावी परिणामों से यह भी साफ होता है क्योंकि पिछले 8 आम चुनावों में 7 बार बीजेपी तो एक बार आरएलडी ने मैदान मारा है।