मछलीशहर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर और व्यापारिक स्थान है। ये पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित है और मछलीशहर को तहसील का दर्जा प्राप्त है। यहीं से नेशनल हाइवे 31 होकर गुजरता है जो पश्चिमी तरफ प्रतापगढ़ रायबरेली और लखनऊ को मछलीशहर से जोड़ता है तो पूर्वी तरफ जौनपुर और बनारस से मछलीशहर को जोड़ता है। मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा सीट है जिसके तहत पांच विधानसभा आती हैं। मछलीशहर – जंघई – भदोही चार-लेन हाईवे निर्माणाधीन है, जिससे इस क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।
ये शहर चुंगी चौराहे से लेकर सुजानगंज चौराहे तक फैला हुआ है। यहां पर अधिकतर घरों में प्रथमतल पर दुकानें हैं। इसी कारण से मछलीशहर का नगरीकरण वर्टिकल है। यहां जनसंख्या घनत्व दिल्ली की तरह ही काफी ज्यादा है।
2011 की जनगणना के अनुसार, मछलीशहर की जनसंख्या 26,107 है जिसमें 51% पुरूष तथा 49% महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 77.43% है जोकि राष्ट्रीय औसत (59.5%) से ज्यादा है। पुरुष साक्षरता दर जहां 83.85% है,वहीं महिलाओं की साक्षरता दर 70.86% है। यहां की 18% आबादी छः साल से कम की है।
वहीं मछलीशहर हिन्दू और मुसलमान में आपसी सौहार्द और प्रेम के लिए भी जाना जाता है। यहां होली, दिपावली तथा ईद बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
मछलीशहर तहसील को बौद्ध काल में मच्छिकासण्ड के नाम से जाना जाता था वहीं एक किवदन्ती के अनुसार यहां के एक फकीर ने शर्की राज्य के संस्थापक को विशिष्ट मछली भेंट की ती, ऐसे मछलियों के प्रजनन केन्द्र होने के कारण इसका नाम मछलीशहर पड़ा। एक अन्य जनश्रुति के अनुसार मछलीशहर को पहले घिसुवा के नाम से भी जाना जाता था। यह नाम भी घीसू नामक राजभर के नाम पर पड़ा था। घीसू को तालाब बनवाने का शौक था।
सुल्तान हुसेन शाह शर्की ने यहां जामा मस्जिद बनवायी। फतेह मोहम्मद उर्फ शेख मंगली ने मछलीशहर पर अधिपत्य कायम करके ईदगाह तथा कटाहित में किले का र्निमाण कराया। यहां का पुराना किला जिसमें फौजदार रहते थे, बाद में तहसील कार्यालय के रूप में परिवर्तित किया गया। यहां की पुरानी धरोहरों में पुराजुझारू राय के खेमनाथ स्थान का पाषाण स्तम्भ, कंजारी पीर का मन्दिर आदि पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
1962 में मछलीशहर पहली बार लोकसभा की सीट बनी। जौनपुर के मछलीशहर, मड़ियाहू, जफराबाद, केराकत और वाराणसी की पिंडरा विधानसभा को मिलाकर इस लोकसभा को गठन किया गया है। मछलीशहर और केराकत विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 1962 में यहां के पहले चुनाव में कांग्रेस के गणपत ने जनसंघ के महादेव को हराया था।
साल जीते (पार्टी)
1962 गणपत राम (कांग्रेस)
1967 नागेश्वर दिवेदी (कांग्रेस)
1971 नागेश्वर दिवेदी (कांग्रेस)
1977 राजकेशर सिंह (भारतीय लोकदल)
1980 शिव शरण वर्मा (जनता पार्टी सेकुलर)
1984 श्रीपति मिश्रा (कांग्रेस)
1989 शिवशरण वर्मा (जनतादल)
1991 शिवशरण वर्मा (जनतादल)
1996 राम विलास वेन्दाती (भाजपा)
1998 स्वामी चिन्मयानंद (भाजपा)
1999 सीएम सिंह (सपा)
2004 उमाकांत यादव (बसपा)
2009 तूफानी सरोज (सपा)
2014 रामचरित निषाद (भाजपा)
2019 बीपी सरोज (भाजपा)
2019 के आम चुनाव में भाजपा पार्टी की तरफ से खड़े किए गए उम्मीदवार बीपी सरोज(भोलानाथ) ने मैदान मारा था। जिन्हें 488,397 वोट मिले थे जे कि कुल वोट प्रतिशत का 47.69 फीसद था। वहीं दूसरे नंबर पर बीएसपी के उम्मीदवार त्रिभुवन राम (टी. राम) रहे जिन्हें 488,216 वोट मिला ये कुल वोट फीसद का 47.67 प्रतिशत है।
भाजपा ने इस सीट से लगे जौनपुर संसदीय सीट पर कृपाशंकर सिंह के नाम की घोषणा तो पहले ही कर दिया है पर मछलीशहर से अभी किसी भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। वहीं ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि लालगंज लोकसभा क्षेत्र से बसपा की नुमाइंदगी करने वाली सांसद संगीता आजाद को भाजपा टिकट दे सकती है।
सपा ने भी अभी तक इस सीट से किसा उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
बीएसपी ने भी फिलहाल इस सीट से किसी को प्रत्याशी नहीं चुना है।
बीपी सरोज (भोलानाथ पी सरोज) 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से प्रत्याशी रहे थे । बीपी सरोज(1 जनवरी 1961) मुंगरा बादशाहपुर के मादरडीह गांव के निवासी हैं। इनको 2019 में टिकट बनाकर भाजपा ने जातिगत समीकरणों को साधने का भी भरपूर प्रयास किया है। इन्होंने 22 मार्च 2019 को भाजपा पार्टी की सदस्यता ली थी । ये राजनीति के अलावा बिजनेस के क्षेत्र में इनकी पहचान है । वहीं राजनीतिक कैरियर की शुरुआत उन्होंने 2014 में बीएसपी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में इसी संसदीय सीट से की थी।
मछली शहर सीट पर पिछड़ों और दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां यादव- 201867, अनसूचित जाति- 248005, ब्राह्मण- 170989, राजपूत- 242164, कायस्थ- 91452, वैश्य-64764 और मुस्लिमों की संख्या करीब 89322 और अन्य 341799 है। जातीय समीकरण को ध्यान में ही रहकर अभी तक किसी पार्टी में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।