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Loksabha Election 2024: गुलाबी पत्थरों के लिए विख्यात मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र के बारे में आइए जानते हैं

उत्तर प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध जिलों में से एक मिर्जापुर की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा 17 वीं शाताब्दी में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि 1735 ईस्वी में जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी का व्यापार भारत में तेजी से बड़ने लगा था, तब उन्हें इस रास्ते के बीच में एक व्यापार केंद्र बनाने की आवश्यकता मालूम हुई ऐसे में अंग्रेजी अफसरों ने गंगा के किनारे वाले क्षेत्रों का अध्ययन करना शुरू किया।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: गुलाबी पत्थरों के लिए विख्यात मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र के बारे में आइए जानते हैं

उत्तर प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध जिलों में से एक मिर्जापुर की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा 17 वीं शाताब्दी में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि 1735 ईस्वी में जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी का व्यापार भारत में तेजी से बड़ने लगा था, तब उन्हें इस रास्ते के बीच में एक व्यापार केंद्र बनाने की आवश्यकता मालूम हुई ऐसे में अंग्रेजी अफसरों ने गंगा के किनारे वाले क्षेत्रों का अध्ययन करना शुरू किया।

इस दौरान अंग्रेजों को गंगा के किनारे पर स्थित विंध्याचल पर्वत का यह क्षेत्र पसंद आ गया और फिर लार्ड मर्क्यूरियस वेलेस्ले नाम के एक ब्रिटिश अधिकारी ने इस शहर की स्थापना की और इसका नाम मिर्जापुर (मिर्जा का शाब्दिक अर्थ – राजाओं का क्षेत्र) रख दिया। इस शहर को मीरजापुर भी लोग कहते हैं। भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा स्थापित कई शहर हैं पर मिर्जापुर उनमें से पहले स्थान पर आता है।

वहीं पर्यटन की रूप में भी उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर काफी महत्वपूर्ण है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता में जिस प्रकार की मोहकता है वैसे ही यहां के धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं। आपको बता दें कि सोनभद्र भी कभी मिर्जापुर का ही हिस्सा हुआ करता था, और तब मिर्जापुर उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला हुआ करता था। यहां धार्मिक, ऐतिहासिक व प्राकृतिक खूबसूरती की आपको भरमार देखने को मिलेगी।

मिर्जापुर के अमरावती चौराहे से ही भारत का मानक समय भी निर्धारित होता है। इसी के साथ मिर्जापुर अपने गुलाबी पत्थरों के लिए भी काफी विख्यात है और इन्हीं पत्थरों से मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने सारनाथ में बौद्ध स्तुप का एवं अशोक स्तम्भ का निर्माण करवाया था।

2019 का जनादेश

2019 लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर सीट से अपना दल (सोनेलाल) की अनुप्रिया सिंह पटेल ने जीत हासिल की थी, उन्हें यहां से 5,91,564 वोट मिले थे। वहीं सपा के प्रत्याशी राम चरित्र निषाद 3,59,556 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी को 91,501 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

2014 का जनादेश

2014 आम चुनाव में इस सीट से अपना दल (सोनेलाल) की प्रसिडेंट अनुप्रिया सिंह पटेल ने जीत दर्ज की थी, उन्हें यहां 4,36,536 वोट मिले थे। ऐसे में बसपा के समुद्र बिंद 2,17,457 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे और कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी 1,52,666 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

2024 में किसे बनाया है प्रत्यासी

समाजवादी पार्टी ने मिर्जापुर जिले से राजेंद्र एस. बिंद को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने अभी तक यहां से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की हैं लेकिन अनुप्रिया पटेल की दावेदारी इस सीट से छिपी नहीं है।

अनुप्रिया सिंह पटेल के बारे में

अनुप्रिया पटेल (28 अप्रैल 1981) उत्तर प्रदेश राज्य की एक भारतीय राजनेता हैं। वह वर्तमान में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। वह 2014 के भारतीय आम चुनाव में मिर्जापुर के निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गई। अनुप्रिया इससे पहले 2012 में वाराणसी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली विधानसभा सीट रोहनिया से विधायक चुनी गई थीं। जहां उन्होंने भारत की शांति पार्टी और बुंदेलखंड कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था।

राजनीति में भले ही अनुप्रिया पटेल के पिता थे लेकिन वह खुद कभी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। जब सोनेलाल पटेल का निधन हुआ तो अनुप्रिया पटेल ने अपनी तीनों बहनों से साथ पिता की अर्थी को कंधा दिया था। फिर अनुप्रिया पटेल पर पिता के पार्टी की जिम्मेदारी आ गयी। ऐसे में अनुप्रिया का राजनीति में आगमन सोनेलाल पटेल की अचानक मौत हुआ। उस समय उनकी मां कृष्णा पटेल पार्टी की कमान संभाल रही थीं और बाद में अनुप्रिया को अपना दल में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।

जातीय समीकरण

मिर्जापुर लोकसभा सीट में पिछड़े और अनुसूचित जाति की जनसंख्या ज्यादा है। यहां पिछड़े वर्ग की जनसंख्या लगभग 49 प्रतिशत के करीब है। वही अनुसूचित जाति/जनजाति की जनसंख्या का प्रतिशत लगभग 25 है। वहीं सामान्य वर्ग की जनसंख्या लगभग 23 प्रतिशत है और अन्य 3 प्रतिशत हैं। सबसे अधिक लगभग 13 प्रतिशत 3 लाख 30 हजार कुर्मी जाति की जनसंख्या से आते हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति में सबसे अधिक दलित(चमार) की जनसंख्या 2 लाख 60 हज़ार के लगभग है इसके बाद कोल 1 लाख 25 हजार है। वही सामान्य मतदाताओं में सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है। ब्राह्मण लगभग 1 लाख 50 हज़ार हैं, वैश्य(बनिया) मतदाता 1 लाख 20 हजार और क्षत्रिय मतदाता 90 हजार के लगभग है।

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