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Loksabha Election 2024: गोमती किनारे बसे सुल्तानपुर संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

Let us know about Sultanpur parliamentary seat situated on the banks of Gomti

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सुल्तानपुर जिला गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है तथा यह फ़ैज़ाबाद प्रशासनिक मंडल का एक भाग है । यह क्षेत्र शताब्दियों तक उत्तर भारतीय राज्यों का भाग रहा है। इस जनपद का लिखित इतिहास ब्रिटिश काल से उपलब्ध है । यह जनपद हिन्दू व बुद्ध संस्कृति का भी एक केंद्र रहा है । इस जनपद में दर्शनीय स्थलों के रूप में विक्टोरिया मंज़िल, क्राइस्ट चर्च व चमनलाल पार्क हैं । इस जनपद में अनेकों मंदिर व महल हैं। जिसमें बिजेथुआ का हनुमान मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।

सुल्तानपुर संसदीय सीट का इतिहास

गोमती किनारे बसे सुल्तानपुर की गद्दा पर लंबे समय तक कांग्रेस ने राज किया है, लेकिन रायबरेली और अमेठी जनपदों के जैसे कभी भी इसे महत्वपूर्ण सीट के रूप में न तो देखा गया है और न ही समझा गया। इस सीट पर कांग्रेस से लेकर जनता दल, बीजेपी और बसपा पार्टी जीत का परचम लहराने में सफल रही हैं, लेकिन अभी समाजवादी पार्टी का इस सीट से खाता खुलना बाकी रह गया है।

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें इस सीट पर हैं। हालांकि, अभी इस सीट से किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है। वर्तमान में इसी सीट से बीजेपी पार्टी की तरफ से मेनका गांधी सांसद हैं। इससे पहले 2014 में उनके पुत्र वरुण गांधी यहां से सांसद थे। फिलहाल 2024 के आम चुनाव में भी बीजेपी इस सीट को हल्के में न लेकर हर हाल में अपने पाले में करना चाहती है शायद यही कारण है कि इस सीट से अभी तक किसी प्रत्याशी का नाम आगे नहीं लाया है।

लोकसभा 2019 चुनाव के परिणाम

2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो सुल्तानपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी को बसपा प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह सोनू से कड़ी टक्कर मिली थी। और मेनका गांधी इस चुनाव में मात्र 10 हजार के अंतर से विजयी हुई थीं। ऐसे में बीजेपी इस सीट को लेकर काफी सजग रूप में कार्य कर रही है।

पार्टी का नाम- भाजपा
प्रत्याशी का नाम- मेनका गांधी
कुल वोट- 459196
वोट प्रतिशत- 45.88 फीसद

पार्टी का नाम- बसपा
प्रत्याशी का नाम- चंद्रभद्र सिंह सोनू
कुल वोट- 444670
वोट प्रतिशत- 44.43 फीसद

पार्टी का नाम- कांग्रेस
प्रत्याशी का नाम- संजय सिंह
कुल वोट- 41681
वोट प्रतिशत- 4.16 फीसद

मेनका गांधी के बारे में

मेनका गांधी एक भारतीय राजनेता हैं, जो पशु अधिकार कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् के रूप में भी कार्यरत रही हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की नेता और सुलतानपुर जनपद निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा की सदस्य भी हैं। वह भारतीय राजनीतिज्ञ संजय गांधी की पत्नी भी हैं जिनका देहांत हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हो गया था। अभी तक वे चार अलग-अलग सरकारों में मंत्री पद पर रह चुकी हैं। 2014 से 2019 तक नरेंद्र मोदी की सरकार में महिला और बाल कल्याण मंत्री (Women and Child Development Minister) के तहत उन्होंने अपना राजनीतिक कर्तव्य निर्वहन किया।

मेनका गांधी का जन्म 26 अगस्त 1956 को दिल्ली के एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल तरलोचन सिंह आनंद थे और उनकी मां सर दातार सिंह की बेटी अमतेश्वर आनंद थीं। उनकी स्कूली शिक्षा लॉरेंस स्कूल, सनावर से हुई और बाद में उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन से शिक्षा ग्रहण किया। इसके बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में जर्मन भाषा का अध्ययन भी किया।

मेनका पहली बार 1973 में संजय गांधी से एक कॉकटेल पार्टी में मिली थीं। मेनका ने एक साल बाद 23 सितंबर 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे गांधी से शादी की, जिनसे 1980 में उनके बेटे, वरूण गांधी का जन्म हुआ।

मेनका गांधी ने 1984 में अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन राजीव गांधी से हार गईं। 1988 में, वह वी. पी. सिंह की जनता दल पार्टी में शामिल हुईं और महासचिव बनीं। 1989 के आम चुनाव में, गांधी ने संसद के लिए अपना पहला चुनाव जीता और पर्यावरण मंत्री के रूप में राज्य मंत्री की भूमिका को निभाया।

इसी के साथ उन्होंने पर्यावरण और पशु के अधिकार के लिए भी आवाज उठाया। जिसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। ऐसे में उन्हें 1995 में जानवरों पर प्रयोगों के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के उद्देश्य के लिए समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

उन्होंने साप्ताहिक टेलीविजन कार्यक्रम हेड्स एंड टेल्स की भी एंकरिंग की थी, जिसमें जानवरों के व्यावसायिक शोषण के कारण होने वाली पीड़ा पर प्रकाश डाला गया था। उन्होंने इसी शीर्षक से अपनी एक किताब भी लिखी।

2024 के लोकसभा चुनाव में किसको मिला है यहां से टिकट

राजनीति के गली में बेशक इस जनपद का नाम न हो पर प्रत्येक पार्टी के लिए ये सीट किसी खजाने से कम नहीं है, ऐसे में कोई भी पार्टी इस सीट को अपने पाले में रखना चाहती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भाजपा द्वारा यहाँ मेनका गांधी जैसे नेता होने पर भी अभी तक यहां से प्रत्याशी घोषित न करना है। वहीं सपा की तरफ से भीम निषाद को यहां से प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया गया है।

सुल्तानपुर के बारे में खास बातें

ऐतिहासिक दृष्टि से सुलतानपुर का इतिहास अत्यंत गौरवशाली और महिमामंडित रहा है । पुरातात्विक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा औध्योगिक दृष्टि से सुलतानपुर का स्थान शिखर पर है । इसी जनपद के भूमि पर महर्षि वाल्मीकि,दुर्वासा वशिष्ठ आदि ऋषि मुनियों ने तपस्या करके अपने जीवन को धन्य बनाया है। परिवर्तन के शाश्वत नियम के अनेक झंझावातों के बावजूद इसका अस्तित्व अक्षुण्य् रहा है ।

अयोध्या और प्रयाग के मध्य गोमती नदी के दोनों ओर सई और तमसा नदियों के बीचों-बीच कभी यह भू-भाग बहुत दुर्गम था। गोमती के किनारे का यह क्षेत्र कुश-काश के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है, कुश-काश से बनने वाले बाध की प्रसिद्ध मंडी यही पर है । प्राचीन काल में सुलतानपुर जनपद का नाम कुशभवनपुर था जो कालांतर मे बदलते बदलते सुलतानपुर हो गया। वहीं मोहम्म्द गोरी के आक्रमण के पूर्व यह राजभरो के अधिपत्य मे था जिनके जनपद मे तीन राज्य इसौली, कुलपुर व दादर थे, आज भी उनके किलो मे भग्न अवशेष विद्यमान है, जो तत्कालीन गौरव व समृद्धि को दिखाते हैं ।

सुल्तानपुर जनपद से कांग्रेस 8 तो बीजेपी 5 बार जीती

लोकसभा सीट सुल्तानपुर में अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं। जिसमें से सबसे अधिक सत्ता कांग्रेस के पाले में रही है। कांग्रेस ने आठ बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी को पांच बार सफलता मिली है। लेकिन इस सीट पर सपा का अब तक खाता बंद है। वहीं बसपा यहां से दो बार, जनता दल एक बार, जनता पार्टी एक बार और निर्दलीय एक बार जीते हैं।

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