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Loksabha Election 2024: भारतीय शास्त्रीय संगीत से मसहूर कैराना संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

कैराना संसदीय सीट की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। ये मुजफ़्फ़रनगर से करीब 50 किमी, पश्चिम में हरियाणा पानीपत से सटा यमुना नदी के पास बसा है। कैराना को प्राचीन काल में ‘कर्णपुरी’ के नाम से जाना जाता था जो बाद में बिगड़कर किराना नाम से जाना जाने लगा और फिर किराना से कैराना में परिवर्तित हो गया। आपको बता दें कि यहां मुस्लिम बहुमत ज्यादा हैं। इसके पांच विधानसभा क्षेत्र हैं और 1962 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव पूर्ण हुए थे।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: भारतीय शास्त्रीय संगीत से मसहूर कैराना संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

कैराना संसदीय सीट की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। ये मुजफ़्फ़रनगर से करीब 50 किमी, पश्चिम में हरियाणा पानीपत से सटा यमुना नदी के पास बसा है। कैराना को प्राचीन काल में ‘कर्णपुरी’ के नाम से जाना जाता था जो बाद में बिगड़कर किराना नाम से जाना जाने लगा और फिर किराना से कैराना में परिवर्तित हो गया। आपको बता दें कि यहां मुस्लिम बहुमत ज्यादा हैं। इसके पांच विधानसभा क्षेत्र हैं और 1962 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव पूर्ण हुए थे।

कैराना का इतिहास

इतिहास के पन्नों को टटोलें तो कैराना का महत्व सदियों पुराना है और इस स्थान का संगीत से गहरा रिश्ता है। किसी समय ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भारतीय शास्त्रीय संगीत के मशहूर किराना घराना के लिए जाना जाता था, जिसकी स्थापना महान शास्त्रीय गायक अब्दुल करीम खां द्वारा की गयी थी।

ऐसा माना जाता है कि अपने समय के महान संगीतकार रहे मन्ना डे जब किसी काम से कैराना पहुंचे थे तो कैराना की सीमा में घुसने से पहले इस क्षेत्र का सम्मान करने के लिए अपने जूते उतारकर हाथों में पकड़ लेते थे। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि यह धरती महान संगीतकारों की है और इस धरती पर वो जूतों के साथ नहीं चल सकते। भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पंडित भीमसेन जोशी भी कैराना घराने से संबंध रखते हैं।

कैराना का संसदीय इतिहास

आजादी के बाद सात बार हुए लोकसभा चुनाव में कभी कांग्रेस प्रत्याशी जीते तो कभी दूसरे नंबर पर रहे। पर 1989 के बाद कांग्रेस का प्रत्याशी अहम मुकाबले में भी अपना दबदबा कायम बनाने में कामयाब नहीं हुए।

चुनाव वर्ष ———— प्रत्याशी कौन ——— पार्टी का नाम —————— प्राप्त वोट

1962 ————– यशपाल सिंह ————-निर्दलीय —————— 134581
1967 ———— गय्यूर अली खान———- सोशलिस्ट पार्टी(एसएसपी)– 76415
1971———– शफक्कत जंग —————– कांग्रेस —————- 162276
1977 ———– चंदन सिंह ———– ——–बीएलडी ——————242500
1980 ———– गायत्री देवी—- ———- जनता पार्टी (एस————–203242
1984——– —चौधरी अख्तर हसन ——- कांग्रेस——— ————-236904
1989———- हरपाल पंवार ————- जनता दल ——————- 306119
1991 ——– हरपाल पंवार —————जनता दल ——————–223892
1996——– मुनव्वर हसन ——————- सपा ——————184636
1998——— वीरेंद्र वर्मा ——————— भाजपा —————-289110
1999 ——–अमीर आलम ——————- रालोद —————–206345
2004——– अनुराधा चौधरी ————— रालोद/सपा———–523923
2009——- तबस्सुम हसन ——————- बसपा —————-283259
2014——– हुकुम सिंह ————- ——- भाजपा ————– 565909

2019 में इस सीट का क्या रहा परिणाम

2019 में कैराना संसदीय सीट से भाजपा पार्टी के उम्मीदवार प्रदीप कुमार ने बाजी मारी। उन्हें इस सीट पर 566,961 वोट मिले जो कि कुल वोट प्रतिशत का 50.6 फीसद था। वहीं दूसरे नंबर पर सपा की प्रत्याशी तबस्सुम बेगम रही जिन्हें 474,801 वोट मिले और ये कुल वोट प्रतिशत का 42.37 फीसद था। जबकि तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हरेंद्र सिंह मलिक रहे जिन्हें 69,355 वोट मिले जो कि कुल वोट प्रतिशत का 6.19 फीसद था।

2024 में इस संसदीय सीट से कौन हैं मैदान में

  • भाजपा प्लस गठबंधन ने प्रदीप कुमार पर एक बार फिर भरोसा करते हुए इस सीट से प्रत्याशी के रूप में उतारा है।
  • सपा प्लस गठबंधन ने इस सीट से इकरा हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है।
  • बसपा ने इस सीट से प्रत्याशी के रूप में श्रीपाल सिंह को मैदान में उतारा है।

प्रदीप कुमार के बारे में

कुमार का जन्म 10 मार्च 1969 को उत्तर प्रदेश के गंगोह ब्लॉक के दुधला गांव के एक गुर्जर परिवार में कंवरपाल सिंह के घर हुआ था । उनके पास स्नातकोत्तर की डिग्री है । कुमार ने 19 फरवरी 1999 को सुनीता चौधरी से शादी की, जिनसे उनको दो बेटे हैं। वह पेशे से कृषक हैं। इसी के साथ प्रदीप कुमार एक भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश की 13वीं , 16वीं और 17वीं विधानसभा के सदस्य भी हैं। वे अपने पहले राजनीतिक कार्यकाल के दौरान, 2000 में नकुड़ (विधानसभा क्षेत्र) में राष्ट्रीय लोक दल के सदस्य के रूप में उप-चुनाव में जीते थे ।

जातीय समीकरण क्या है इस सीट का

पहले लोकसभा चुनाव में जाट नेता यशपाल सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत प्राप्त की थी। यह क्षेत्र मुस्लिम और जाट बाहुल्य क्षेत्र है। वहीं पश्चिमी यूपी की चर्चित कैराना संसदीय सीट पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक की भूमिका में होते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, शामली जिले में कुल 1,273,578 वोटर्स हैं जिसमें 57.09% वोटर्स हिंदू हैं तो 41.73% आबादी मुसलमानों की हैं। इसमें कैराना में मुस्लिम लोगों की आबादी ज्यादा है और कुल जनसंख्या का 52.94% है तो 45.38% हिंदू बिरादरी के लोग रहते हैं। वहीं यहां की खास बात यह है कि यहां की साक्षरता दर 81.97% है।

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