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Loksabha 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले हुए सियासी नुकसान की भरपाई पर भाजपा की निगाहें

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जहाँ भाजपा ने 7 सीटें गंवाई तो वहीं विधानसभा में 31 सीटों का नुकसान यूपी में उठाना पड़ा था। वहीं शामली में भाजपा खाता खोलने में भी नाकाम रही थी। वहीं RLD भी जाट, मुस्लिम और दलित के समीकरण पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भाजपा RLD के साथ वेस्ट यूपी में अपने स्थिति को मजबूत करना चाहती है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Loksabha 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले हुए सियासी नुकसान की भरपाई पर भाजपा की निगाहें

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जहाँ भाजपा ने 7 सीटें गंवाई तो वहीं विधानसभा में 31 सीटों का नुकसान यूपी में उठाना पड़ा था। वहीं शामली में भाजपा खाता खोलने में भी नाकाम रही थी। वहीं RLD भी जाट, मुस्लिम और दलित के समीकरण पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भाजपा RLD के साथ वेस्ट यूपी में अपने स्थिति को मजबूत करना चाहती है।

 

रालोद के साथ गठबंधन से मुस्लिम वोटों पर भी भाजपा का निशाना

 

लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखकर तैयारियों में जुटी भाजपा पिछले पांच साल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए सियासी नुकसान की भरपाई को कवर करने पर है। लोकसभा चुनाव 2019 और इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा को जाट-मुस्लिम बहुलता वाली सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ा था जिससे पार्टी किसी भी तरह से चुनाव आने से पहले बाहर निकलना चाहती है। वहीं रालोद के साथ गठबंधन होने पर जाटों के साथ मुस्लिम वोट हासिल करने का अंदेशा लगाया जा रहा है। लेकिन ये गठबंधन कितना सार्थक होने वाला है ये तो चुनाव के बाद निर्णय आने के बाद ही पता चलेगा।

 

जाट वोट बैंक भाजपा में जाने पर हो गया था रालोड को नुकसान

 

आपको बता दें कि भाजपा ने साल 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम यूपी के 22 जिलों में भारी मतो से बहुमत हासिल किया था। क्योंकि उस समय जाट वोट बैंक भाजपा में ट्रांसफर हो गए थे जिसके चलते रालोद का खाता भी नहीं खुल पाया था। इसमें केवल एक अपवाद 2017 में हुआ था जहाँ सिर्फ छपरौली में रालोद के सहेंद्र रमाला ही जीत हासिल कर पाए थे, पर वे भी भाजपा में शामिल हो गए थे। परंतु साल 2019 आते-आते जाट, दलित और मुस्लिम मतों की ज्यादा संख्या वाली सीटों पर भाजपा पार्टी का प्रभाव कम होने लगा था।

 

जिसके कारण बिजनौर, सहारनपुर, नगीना, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद और रामपुर की सीटों से भाजपा को अपना हाथ ढोना पड़ा था। वहीं किसान आंदोलन के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिमी यूपी में 60 साटों में से केवल 40 सीटों से संतोष करना पड़ा था और 31 सीटों पर विपक्षी दलों के प्रत्याशी सपा-रालोद के के बने थे। उस समय ऐसी स्थिति बनी थी कि भाजपा का शामली जिले में खाता भी नहीं खुल सका था। वहीं मुजफ्फरनगर जिले की छह में से पांच सीटें विपक्ष के पास हो चली गई थी। ऐसे में जीरो से शुरू हुए रालोद पार्टी के 9 विधायकों ने जीत हासिल कर लिया, तब पश्चिमी यूपी में रालोड के बढ़ती ताकत का अंदाजा भाजपा को हुआ।

 

लोकसभा 2024 में भाजपा का मिशन 400 पार

 

भाजपा इस लोकसभा में अपने मिशन के तहत 400 पार के लक्ष्य को देख रही है, ऐसे में पश्चिम यूपी पर उसकी सबसे पहली नजर बनी हुई है। इसका मुख्य कारण चुनाव का पहले चरण का यहाँ से शुरू होना भी है। यही कारण है कि रालोद के साथ गठबंधन में आकर जाट वोट बैंक के साथ-साथ मुस्लिम वोटों पर भी अपना कब्जा करना चाहती है।

RLD के कोटे से मुस्लिम पक्ष की लग सकती है लॉटरी

 

रालोद पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के देखते हुए जाट, मुस्लिम और दलितों के समीकरण पर कार्य कर रही है। गठबंधन में रोलाड के हिस्से में आने वाली राज्यसभा, MLC या मंत्रालय में किसी एक पद पर मुस्लिम को बैठाया जा सकता है। जिसके लिए मुस्लिम नेताओं ने रालोद नेतृत्व से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।

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