आम चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल को होने वाला है ऐसे में ऐसी कई सीटें हैं जिसपर भाजपा ने अभी तक किसी भी प्रत्याशी को नहीं उतारा है, असल में कहा जाए तो इन्हीं सीटों पर भाजपा का अन्य पार्टियों से कड़ी टक्कर है। वहीं इस सीटों पर कई लोग उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं जिन्हें पार्टी किसी भी रूप में नाराज़ नहीं करनी चाहती। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि रामनवमी के बाद ही भाजपा अन्य उम्मीदवारों का नाम सामने लाएगी।
इस सभी बची हुई सीटों में सबसे ज्यादा टक्कर वाली सीट सपा का किला कहे जाने वाले मैनपुरी की है जहां फिलहाल अभी तक भाजपा को डिंपल यादव के सामने खड़ा करने के लिए कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा है।हालांकि इन सीटों पर उम्मीदवारों की सूची रामनवमी के बाद ही जारी होने की बात कही जा रही है।
लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में माहौल गर्म है बस हथौडे़ के देरी है। इसी के अंतर्गत यहां लोकसभा की बची 12 सीटों पर भाजपा के हाईकमान मंत्री माथा-पच्ची करने में लगे हुए हैं। परंतु ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा रामनवमी के समय इन बचे हुए लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं।
बता दें कि भाजपा अपने कोटे की 75 सीटों में 63 सीटों पर उम्मीदवारों का नाम घोषित कर चुकी है। बचे 12 सीटों पर उम्मीदवार तय करना बाकी है। जिन सीटों पर भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार नहीं उतारा है उन संसदीय सीट के नाम हैं- मैनपुरी, रायबरेली, गाजीपुर, बलिया, भदोही, मछलीशहर, प्रयागराज, फूलपुर, कौशांबी, देवरिया, फिरोजाबाद और कैसरगंज। इन सीटों पर भाजपा ने अभी तक इसलिए उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है क्योंकि अभी तक पार्टी को यहां से चुनाव जीताने वाला चेहरा नहीं मिल पाया है।
इसी के साथ भाजपा ने पिछली बार यानी 2019 में जिन तीन सीटों पर (रायबरेली, गाजीपुर मैनपुरी में) चुनाव में मात खा चुकी थी, उन सीटों वह हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है। जिसको ध्यान में रखकर अभी तक उम्मीदवार तय करने में जल्दबादी नहीं कर रही है और जीताऊ चेहरे की खोज में है। साथ ही 2019 के आम चुनाव में 14 सीटों पर हार को बदलकर जीत दर्ज करना चाहती है।
सूत्रों की माने तो बची हुई सीटों पर लगभग सभी पर, नए चेहरे पर दांव लगाने का विचार विमर्श हो रहा है। जिससे ये आशंका है कि इस बार कई मौजूदा सांसदों का टिकट कट जाएगा। वहीं राजनीति की इस स्वर्णिम संभावनाओं को देखकर एक-एक सीट पर कई लोगों ने अपनी दावेदारी ठोंक रखी है और अपने अपने शक्ति के अनुरूप संबंधित पदाधिकारियों, मंत्रियों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहा है।
भाजपा नेतृत्व के सामने सबसे अधिक उलझन रायबरेली, कैसरगंज और गाजीपुर जैसी सीटों पर है। जिनमें रायबरेली और गाजीपुर सीट पर विपक्ष काबिज है। जबकि कैसरगंज सीट पर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह खुद मैदान में उतरने के लिए अड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर महिला पहलवानों से जुड़े विवादों में घिरे होने के नाते भाजपा उनके परिवार के किसी सदस्य या उनकी सहमति के किसी अन्य चेहरे को मैदान में प्रत्याशी के रूप में उतारना चाहती है, पर बृजभूषण मान नहीं रहे हैं। वहीं गाजीपुर और रायबरेली संसदीय सीट को जीतना भाजपा ने अपने प्रतिष्ठा का सम्मान बना लिया है।
अभी तक कभी भी भाजपा के खाते में नहीं रही मैनपुरी सीट। ऐसे में इस सीट को जीतने के लिए पार्टी के रणनीतिकार इस सीट पर कब्जा करने के लिए ऐसा चेहरा तलाश रहे हैं, तो डिंपल यादव को मात देने में सक्षम हो। भाजपा सपा को उसके ही घर में घेरने की रणनीति के अंतर्गत मजबूत विकल्प तलाश रही है।
सूत्रों की माने तो प्रयागराज, फुलपुर और कौशांबी में मौजूदा सांसदों के स्थान पर भाजपा नए चेहरे की ओर देख रही है। इस विषय में यह चर्चा है कि प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने अपनी पत्नी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। उनकी कोशिश है कि इन तीनों में किसी एक सीट पर उनकी पत्नी का नाम अंकित हो जाए। इसके लिए उन्होंने ऊपर से एक बड़े पदाधिकारी से दबाव बना रखा है। जिस कारण से इन तीनों सीटों पर उम्मीदवार तय करने को लेकर पेंच पूरी तरह से फसा हुआ है। वहीं इस बार पुराने सांसदों का टिकट भाजपा काट सकती है और नए चेहरों पर दांव खेल सकती है।