भदोही संसदीय सीट के अंतर्गत प्रयागराज की दो विधानसभा सीटें हंडिया और प्रतापपुर इसके क्षेत्र में आती हैं। यह क्षेत्र बाहुबली विधायक और सपा के नेता विजय मिश्रा के कारण भी चर्चित रही है। भदोही अपने कालीन करोबार के लिए भी प्रसिद्ध है।
भदोही भारत में कालीन उद्योग के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है और इसे ‘कालीन शहर’ के नाम से भी जाना जाता है। भदोही के कालीनों पर ‘भौगोलिक संकेत’ का टैग लगा होता है। दो सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण और समृद्ध विरासत शहरों प्रयागराज और वाराणसी के बीच स्थित होने के कारण भदोही का बहुत बड़ा भौगोलिक महत्व और मजबूत स्थिति इससे जुड़ी हुई है ।
महाकाव्य महाभारत के अनुसार, पांडव एक सुरंग के माध्यम से लक्ष्याग्रह से भाग निकले थे और वे यहां सेमराधनाथ नामक स्थान पर आकर शरण लिए थे। इस स्थान के लिए ये भी कहा जाता है कि भगवान राम की पत्नी माता सीता महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में रहती थीं, जब उन्हें भगवान राम ने त्याग दिया था। ऐसे में यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ।
माना जाता है कि भदोही का नाम उस क्षेत्र के भार राज से भी मिलता है , जिसकी राजधानी भदोही थी, इसके निशान कन्नौज साम्राज्य की एक सहायक नदी भर शासकों के नाम पर बर्बाद हुए टीलों और पुराने तालाबों के नाम पर आज भी पाए जा सकते हैं , जो प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में बने हुए थे और बाद में जौनपुर राज्य में शामिल किया गया था ।
भदोही जनपद ऐसा जिला है जहां के गांव हो या फिर मोहल्ले सभी किसी न किसी रूप में इतिहास को अपने आंचल में लिए हुए है। इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है कि कितने उतार-चढ़ाव झेलकर अपने वजूद को अभी तक यह कायम किए हुए है। वहीं जनपद के इतिहास पर गौर किया जाए तो सन् 1100 ई. के आसपास भरों ने भदोही में अपनी पकड़ बना ली थी। यहां का भर राजा बहुत ही अहंकारी एवं अत्याचारी हुआ करते थे। मौनस राजपूत राम सिंह उमरगढ़ से इलाहाबाद होते हुए भदोही आए थे।
यह लोकसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। भदोही सीट पर पहली बार 2009 में आम चुनाव हुए थे। 2009 में भदोही के पहले सांसद गोरखनाथ त्रिपाठी बीएसपी से चुनाव जीते थे। इस क्षेत्र को संत रविदास नगर के नाम से भी जाना जाता है। इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की पांच सीटें सम्मिलित हैं, जिनके नाम प्रतापपुर, हंडिया, औरई, ज्ञानपुर और भदोही हैं। जिनमें से औरई सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त ने बीएसपी उम्मीदवार को डेढ़ लाख वोटों से मात दिया था। वीरेंद्र सिंह को 4,03,695 वोट मिले थे, जबकि 2,45,554 वोट पाकर बीएसपी के राकेशधर त्रिपाठी दूसरे पायदान पर रहे थे।
2019 में भदोही के इस सीट से भाजपा के रमेश चंद ने जीत दर्ज की थी। उन्हें इस सीट पर 510,029 वोट मिले थे जो कि कुल वोट प्रतिशत का 49.5 फीसद था। वहीं दूसरे नंबर पर 466,414 वोटों और 45.27 प्रतिशत के साथ बीएसपी के प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा रहे और तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी के रमाकांत को 25,604 वोट(2.49 प्रतिशत) मिले।
रमेश चंद बिंद (15 मार्च 1974) भारतीय जनता पार्टी से हैं। वर्ष 2019 में, वह 17वीं लोकसभा में भदोही, उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए संसद सदस्य के रूप में चुने गए। रमेश चंद्र बिंद सांसद बनने से पहले तीन बार लगातार मिर्जापुर के मझवाँ क्षेत्र से विधायक रह चुके है। रमेश चंद्र बिंद कद्दावर नेताओं में से शुमार हैं।
इंडी गठबंधन के तहत टीएमसी ने ललितेश पति त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन अभी तक भाजपा और अन्य पार्टियों ने इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
2011 की जनगणना के अनुसार भदोही की आबादी 1,578,213 है। जिसमें पुरुषों की संख्या 807,099 और महिलाओं की संख्या 771,114 है वहीं भदोही की कुल आबादी का 45 प्रतिशत मुसलमान हैं। इसी के साथ यहां पिछड़ों की सबसे ज्यादा आबादी है इसके बाद ब्राह्मण और दलित आते हैं। यहां ब्राह्मण-3 लाख 15 हजार, बिंद: 2.90 हजार, दलित 2.60 हजार, यादव- 1.40 हजार, राजपूत एक लाख, मौर्या-95 हजार ,पाल-85 हजार, वैश्य-1.40 हजार, पटेल की आबादी 75 हजार जबकि अन्य डेढ़ लाख और मु्स्लिम की आबादी 2.50 लाख है।