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Vrindavan Bramhotsav: हनुमान जी के कंधों पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हुए भगवान श्री रंगनाथ

धर्मनगरी वृंदावन में स्थित श्री रंग मंदिर में श्री ब्रह्मोत्सव के तृतीय दिवस की सायंकालीन सवारी भव्यता के साथ निकाली गई। इस विशेष अवसर पर भगवान श्री रंगनाथ ने अपने प्रिय भक्त संकटमोचन हनुमान जी महाराज के कंधों पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। इस आध्यात्मिक दृश्य ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री हनुमान जी सदैव अपने प्रभु श्रीराम की सेवा में समर्पित रहते हैं। उन्होंने स्वयं को “दासो अहंम कौशेलेंद्रस्य” कहकर यह स्पष्ट किया कि वे भगवान राम के अनन्य भक्त और सेवक हैं। हनुमान जी ने अपने कंधों पर बैठाकर श्रीराम और लक्ष्मण की मित्रता वानरराज सुग्रीव से कराई थी, जिसके बाद श्रीराम की शक्ति से सुग्रीव ने बाली का वध किया।

इसीलिए भगवान रंगनाथ के हनुमान जी के कंधों पर विराजमान होने का दृश्य भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य दर्शन से सभी भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें विजय, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

रंगीन आतिशबाजी से चमका वृंदावन का आसमान

इस भव्य सवारी का मुख्य आकर्षण बड़े बगीचा मैदान में हुई रंगीन आतिशबाजी रही, जिसे “छोटी आतिशबाजी” के नाम से जाना जाता है। लगभग आधा घंटे तक चली इस भव्य आतिशबाजी ने पूरे आकाश को रोशनी से भर दिया और श्रद्धालु इस नज़ारे का आनंद उठाते रहे। आतिशबाजी के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, ताकि श्रद्धालु निर्बाध रूप से इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बन सकें।

भक्ति, आस्था और उल्लास से भरा ब्रह्मोत्सव

वृंदावन में श्री ब्रह्मोत्सव के इस आयोजन ने श्रद्धालुओं को अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया। भगवान श्री रंगनाथ का हनुमान जी के कंधों पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देना अपने आप में एक दुर्लभ और पवित्र क्षण था। साथ ही, आतिशबाजी ने इस उत्सव को और भव्य बना दिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव भी साबित हुआ।

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