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Mahakumbh 2025: युवाओं को सनातन से जोड़ने वाला ऐतिहासिक आयोजन बना महाकुंभ

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि इसने नई पीढ़ी को सनातन परंपरा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। आधुनिक डिजिटल युग में सोशल मीडिया और तकनीक से जुड़े युवाओं ने इस बार महाकुंभ में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Mahakumbh 2025: युवाओं को सनातन से जोड़ने वाला ऐतिहासिक आयोजन बना महाकुंभ

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 सिर्फ धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि इसने नई पीढ़ी को सनातन परंपरा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। आधुनिक डिजिटल युग में सोशल मीडिया और तकनीक से जुड़े युवाओं ने इस बार महाकुंभ में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसकी भव्यता और सांस्कृतिक महत्व को देखकर युवाओं में सनातन परंपरा और गौरव की भावना जागृत हुई।

महाकुंभ में इस बार 25 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों की भागीदारी सबसे अधिक रही। इससे स्पष्ट है कि युवा अब अपनी संस्कृति और जड़ों की ओर लौट रहे हैं। इस दौरान वेद-पुराण, गीता और सनातन धर्म से जुड़ी जानकारियों की ऑनलाइन खोज 300 गुना तक बढ़ गई, जो दर्शाता है कि युवा अब अपने धर्म और आध्यात्मिकता में गहरी रुचि दिखा रहे हैं।

युवाओं की ऐतिहासिक भागीदारी

महाकुंभ 2025 के 45 दिनों में कुल 66.30 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे, जिसमें से लगभग आधा हिस्सा 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं का था। यह पहली बार हुआ जब कुंभ में इतनी बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी देखी गई। इससे पहले, कुंभ को मुख्य रूप से अधेड़ और बुजुर्गों का धार्मिक आयोजन माना जाता था। परंपरागत रूप से, यह माना जाता था कि “कुंभ नहा लिए” का अर्थ था कि व्यक्ति अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के बाद ही इस आयोजन का हिस्सा बनता था।

डिजिटल क्रांति और तकनीक से जुड़ा महाकुंभ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर इस बार महाकुंभ को डिजिटल और तकनीकी रूप से अत्याधुनिक बनाया गया। इसका सबसे ज्यादा फायदा युवाओं को हुआ। एआई (AI) आधारित कुंभ सहायक ऐप, गूगल नेविगेशन, क्यूआर कोड स्कैनिंग से जानकारी प्राप्त करने की सुविधा, और सीआर कोड से स्वच्छता व्यवस्था ने युवाओं को इस महाआयोजन से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई।

महाकुंभ में आने वाले लोगों को ऑनलाइन टिकट बुकिंग, हाई-स्पीड इंटरनेट, बेहतर फ्लाइट कनेक्टिविटी, रेलवे और रोड नेटवर्क जैसी सुविधाएं मिलीं, जिससे युवाओं को इसमें शामिल होने में कोई कठिनाई नहीं हुई।

युवाओं ने महाकुंभ को डिजिटल माध्यम से पहुंचाया दुनिया तक

इस महाकुंभ की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि युवाओं ने अपनी तस्वीरें और वीडियो गर्व से सोशल मीडिया पर साझा कीं। करीब 33 करोड़ से अधिक युवाओं ने महाकुंभ के अनुभवों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शेयर किया, जिससे यह आयोजन पूरी दुनिया में चर्चित हुआ। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि डिजिटल क्रांति अब सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि हकीकत में नजर आ रही है।

सनातन संस्कृति और अध्यात्म में युवाओं की दिलचस्पी बढ़ी

महाकुंभ के दौरान रामकथा, भागवत कथा और प्रवचन में युवाओं की भारी भीड़ उमड़ी। इसके अलावा, सत्संग, कीर्तन और धार्मिक आयोजनों में भी करोड़ों युवा श्रद्धा और उत्साह से शामिल हुए। यह संकेत है कि आधुनिक युग के युवा अपनी जड़ों और सनातन परंपरा की ओर लौट रहे हैं। युवा केवल आयोजन का हिस्सा बनकर ही नहीं लौटे, बल्कि महाकुंभ से संगम की मिट्टी और जल अपने साथ ले गए, ताकि वे इस पवित्रता और आस्था को दुनिया भर में फैला सकें।

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