जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस वहशियाना वारदात में 28 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। मृतकों में अधिकांश टूरिस्ट थे। पूरे देश में इस घटना की तीव्र निंदा हो रही है। धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने इसे कायरता की पराकाष्ठा बताया है।
देवबंद के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने भी इस हमले पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे “इंसानियत का क़त्ल” करार देते हुए सरकार से दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है।
‘देश की तहज़ीब पर हमला है ये’
मौलाना ने कहा कि यह हमला सिर्फ निर्दोष लोगों की जान लेने का मामला नहीं है, बल्कि यह देश की अमनपसंद और इंसाफ़पसंद तहज़ीब पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा, “ये केवल आतंकी हमला नहीं बल्कि पूरी इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उलेमा वर्ग इस घटना से आहत और हैरान है कि कोई व्यक्ति कैसे इतनी क्रूर मानसिकता के साथ ऐसा काम कर सकता है।
‘सज़ा ऐसी मिले जो मिसाल बन जाए’
मौलाना इसहाक़ गोरा ने सरकार से अपील की कि हमले के पीछे जिम्मेदार आतंकियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर ऐसा दंड दिया जाए जो भविष्य में नजीर बन सके। उन्होंने कहा कि कानून को तेजी से काम करना चाहिए, जिससे पीड़ित परिवारों को जल्द न्याय मिल सके।
‘आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता’
मौलाना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। इसे किसी मजहब से जोड़ना गलत और समाज को बांटने वाली सोच है। उन्होंने सभी धर्मों के नेताओं और आम नागरिकों से आग्रह किया कि ऐसे विचारों और मानसिकता के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय है भाईचारे, मोहब्बत और इंसाफ़ के माहौल को बचाने और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ एकजुट होने का।