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UP POLITICS: ‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव का मायावती ने किया समर्थन, कहा- जनहित हो उद्देश्य

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने 'एक देश-एक चुनाव' के केंद्रीय निर्णय पर पार्टी पदाधिकारियों के साथ उपचुनाव सहित और कई मुद्दों पर बैठक की। उन्होंने इस बैठक में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए एक देश एक चुनाव प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि इसका उद्देश्य जनहित के उद्देश्य से होना चाहिए।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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UP POLITICS: ‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव का मायावती ने किया समर्थन, कहा- जनहित हो उद्देश्य

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने ‘एक देश-एक चुनाव’ के केंद्रीय निर्णय पर पार्टी पदाधिकारियों के साथ उपचुनाव सहित और कई मुद्दों पर बैठक की। उन्होंने इस बैठक में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए एक देश एक चुनाव प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि इसका उद्देश्य जनहित के उद्देश्य से होना चाहिए।

‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव का किया समर्थन

बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्रीय कैबिनेट के ‘एक देश-एक चुनाव’ के मंजूर किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव पर बसपा का स्टैंड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित होना जरूरी है। बसपा ने ये बयान पार्टी की लखनऊ में आयोजित बैठक के बाद जारी किया।

बसपा ने बृहस्पतिवार को पार्टी के जनाधार को बढ़ाने और उपचुनाव की समीक्षा करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा के लिए लखनऊ में बैठक बुलाई जिसमें पार्टी की राज्य इकाई के छोटे-बड़े सभी पदाधिकारी व जिलाध्यक्ष शामिल हुए।

भाजपा और विपक्षी पार्टियां आम मुद्दों पर नहीं दे रही हैं ध्यान

मायावती ने बैठक में कहा कि भाजपा सरकार व विपक्षी पार्टियों के बीच जनहित व जनकल्याण के ज्वलंत मुद्दों को लेने की बजाय केवल जातिवादी, सांप्रदायिक व जाति-बिरादरी आधारित राजनीति कर रहे हैं ऐसे में बसपा को जनता के बीच मुस्तैदी से पैठ बनाने का लाभ उपचुनाव में पार्टी को मिल सकता है।

बुलडोजर विध्वंस कानून के राज का प्रतीक नहीं

मायावती ने कहा कि बुलडोजर विध्वंस कानून के राज का प्रतीक किसी भी रूप में नहीं हो सकता है। इसके बावजूद इसके प्रयोग की बढ़ी प्रवृत्ति चिंताजनक और सोचनीय है। उन्होंने कहा कि बुलडोजर या ऐसे ही किसी मामले में जनता जब सहमत नहीं होती है तो केंद्र को आगे आकर मामले में गाइडलाइंस बनानी चाहिए। जो कि उन्होंने नहीं किया तभी तो सुप्रीम कोर्ट को खुद आगे आकर इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों को संविधान व कानूनी राज के अमल करने पर जरूर ध्यान देना चाहिए।

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