Agra LS Election 2024: आम चुनाव 2024 के मद्देनजर तीसरे चरण में 7 मई को आगरा और फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट पर मतदान होना है। ऐसे में शनिवार को बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में आज आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगी। इससे पहले मायावती 2022 में इस मैदान पर विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के लिए वोट मांगने आई थी।
बसपा सुप्रिमो आगरा लोकसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी पूजा अमरोही और सीकरी के प्रत्याशी रामनिवास शर्मा के लिए वोट मागेंगी। उल्लेखनीय है कि इस लोकसभा चुनाव में बसपा ने किसी भी दल से गठबंधन नहीं किया है और अकेले ही मैदान पर उतरी हैं। मायावती हेलिकॉप्टर से दोपहर एक बजे आएंगी और वह कोठी मीना बाजार मैदान पर जनसभा पहुंचेंगी। गौरतलब है कि उनके हर इस सीट के, चुनाव में प्रचार खत्म होने से ऐन पहले उनकी जनसभा इसी मैदान पर होती है।
बसपा ने अभी तक इस सीट से अपना खाता नहीं खोला है, जबकि फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट पर वह एक बार ही जीत दर्ज कर पाई है। ऐसे में आगरा सीट से बसपा अध्यक्ष पूरी ताकत से खाता खोलने की फिराक में है। इसके लिए पार्टी ने बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप दी है। पार्टी यहां दलित-मुस्लिम गढ़ जोड़ के जरिए कुर्सी का रास्ता तलाश रही है। इस संदर्भ में मुस्लिम वोटों को साधने के लिए पूर्व सांसद मुनकाद अली, दो दिन से मुस्लिम इलाकों में जाकर सभाएं कर रहे हैं और बसपा के पक्ष में वोट देने को कह रहे हैं।
आगरा को बसपा का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से बसपा को विधायक तो मिले, लेकिन अभी तक लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिली। बसपा ने साल 2009 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक 10 साल में वोट प्रतिशत में इजाफा किया है, लेकिन पार्टी प्रत्याशी को जीत हासिल नहीं हो पाई है। साल 2009 में बसपा के कुंवरचंद वकील को 29.98 फीसदी वोट मिले। वहीं, साल 2014 में बसपा के नरायन सिंह सुमन को 26.48 फीसदी वोट ही मिल पाए। साल 2019 के चुनाव में सपा से गठबंधन होने पर बसपा प्रत्याशी मनोज कुमार सोनी को 38.47 फीसदी वोट मिले, भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल से जीत नहीं सके।
फतेहपुर सीकरी पर बसपा ने हर बार ब्राह्मण प्रत्याशी पर ही दांव खेला है। फतेहपुर लोकसभा सीट बनने के बाद 2009 में बसपा प्रत्याशी सीमा उपाध्याय सांसद बनीं थीं, उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को हराया था। इसके बाद से पार्टी हर बार ब्राह्मण प्रत्याशी पर ही दांव खेल रही है। सीकरी में लगातार चौथी बार ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा गया है। इनमें साल 2014 और 2019 में पार्टी प्रत्याशी के न केवल वोट कम हुए, बल्कि हार भी हुई।