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मायावती का राजनीतिक सफर फर्श से अर्श तक पहुंचा : क्या 2024 में  करेंगी वापसी या फिर ख़त्म होगा राजनीतिक करियर ?

Lok -Sabha poll 2024 : BSP New Poll Gimmic as Mayawati startles detractors with her decisions

Mayawati's political journey

बसपा कहती है उसके पास दलित वोटर्स का एक बड़ा हिस्सा

तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बसपा अपने वर्तमान हालात के बावजूद 21 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दलित वोटर्स के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा रखने का दावा करती है और यही चीज मायावती को प्रदेश की राजनीति में प्रासंगिक भी रखता है जिन्होंने अपने 17 साल के संघर्ष से भरे राजनीतिक करियर में फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया है।

वह निश्चित तौर पर काबिले तारीफ़ भी है 2007 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों में से 206 जीतने के शानदार परिणाम से लेकर 2022 में सिर्फ एक सीट तक और फिर 2014 के संसदीय चुनावों में शून्य पर जीत हासिल करने तक मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 17 साल में यह सब देखा है।

 

मेरे पास प्रतिबद्ध वोटर्स का बड़ा आधार : मायावती

2014 के बाद से लोकसभा और राज्य चुनावों में बार-बार हार के बावजूद बसपा अभी भी एकमात्र ऐसी पार्टी होने का दावा करती है, जिसके पास वोटर्स का प्रतिबद्ध आधार है। 21 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बसपा दलित वोटर्स के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा रखने का दावा करती है, जो मायावती को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक भी बनाए रखता है।

वोटर शेयर में भारी गिरवट के बावजूद आधे से अधिक दलित वोटर्स मायावती के प्रति अब भी वफादार

बसपा के वोट शेयर में भारी गिरावट के बाद भी यह देखा गया कि कुल दलित आबादी के आधे से अधिक संख्या वाले जाटव वोटर्स मायावती के प्रति वफादार बने रहे हैं। भाजपा की ‘बी’ टीम होने के आरोपों से बेपरवाह मायावती ने 1984 में बसपा का गठन करने वाले अपने गुरु कांशीराम की तरह ही पार्टी कैडर को स्पष्ट निर्देश दिया है कि कोशिश हो कि एनडीए और INDIA ब्लॉक को पूर्ण बहुमत न मिल पाए।

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