लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हुए आज 18 दिन से ज्यादा हो रहा है, वहीं 19 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव भी होने जा रहा है जिसके लिए नमांकन भी प्रत्याशियों ने करवा लिया है। पर वहीं राजनीतिक पार्टियों को देखें तो भाजपा के यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ प्रतिदिन 3 रैलियों में जा रहे हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी विभिन्न जिलों में जाकर आमजन से बातचीत कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बसपा की प्रमुख मायावती समुद्र की तरह सांत लग रही हैं और इन 18 दिनों में अभी तक किसी भी आम जनसभा या रैली में भाग नहीं लिया है। जिसके राजनीतिक परिणाम क्या होंगे ये तो वोटों की गिनती के बाद ही पता चलेगा।
मायावती का चुनाव में रैली करने का अलग रहा है ढंग
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में मायावती अपनी पहली रैली, 19 अप्रैल से ठीक 5 दिन पहले करेंगी। उन्होंने यह तरीका 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी अपनाया था। लेकिन यह तरीका उनके किसी भी काम नहीं आया था और उनकी पार्टी मात्र एक सीट पर रह गई थी। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के अनुसार बसपा का कोर वोटर जाटव भी 35 फीसद कम होकर दूसरे पार्टी की तरफ चला गया। आपको बता दें कि 15 सालों में पार्टी का वोट 30% से घटकर 12% पर रह गया है। वहीं बहुजन समाज पार्टी इस वक्त अपने 40 वर्ष के राजनीतिक इतिहास में सबसे बुरे दौर में है। वहीं भाजपा की ओर से योगी लगातार रैलियों में शामिल हो रहे हैं।
बीते 6 दिनों में योगी का 16 जिलों में दौरा पर मायावती का इस मामले में पारा लूज
Cm Yogi 27 मार्च से 3 अप्रैल तक कुल 16 जिलों में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव करीब 4 जिलों में भ्रमण पर रहे। पर 16 मार्च को हुए चुनावी घोषणा के बाद बीएसपी की मुखिया मायावती ने अभी तक किसी भी रैली में या किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया है। मिली सूचनाओं के अनुसार उनकी पहली रैली 11 अप्रैल को नागपुर में है वहीं जिस यूपी में सबसे ज्यादा वोट बैंक होते हुए भी उनकी पहली रैली 14 अप्रैल को होनी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मायावती के रैली करने के कारण 1 सीट पर विजय के साथ सिर्फ 12.88 फीसद ही वोट पाले में आया था।
लोकसभा चुनाव 2024 में 40 रैलियां करेंगी
मायावती 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर 14 अप्रैल को सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जैसा संसदीय क्षेत्र में प्रचार करेंगी। फिर उनके द्वारा पूरे लोकसभा चुनाव में 40 रैलियों का नेतृत्व करेंगी। वहीं जिस सहारनपुर से उनके चुनाव प्रचार की शुरुआत होगी वहां से वह 2019 में जीत चुकी हैं, लेकिन उस वक्त के जीते सांसद हाजी फजलुर्रहमान को पार्टी से निलंबित कर दिया गया और अभी उनके स्थान पर माजिद अली को प्रत्याशी बनाया गया है।
बता दें कि मायावती ने इस चुनाव से पहले अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया था। ऐसी संभावना जटाई जा रही थी कि वह इस चुनाव में ज्यादा एक्टिव रहेंगे लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। वे 6 अप्रैल को नगीना में अपनी पहली चुनावी सभा करेंगे।
पार्टी का कोर वोटर 50% दूसरी पार्टियों के साथ
CSDS द्वारा पिछले दिनों एक रिपोर्ट जारी की गई थी। जिस सर्वे रिपोर्ट में यह सामने आया है कि 2017 में 87% जाटवों ने बीएसपी को वोट दिया था। फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या कम होकर 65% पर आ गई। 2024 के आम चुनाव में इसका 50 फीसद से भी कम होने की संभावना है। जो कि बीएसपी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। दलित वर्ग में कुल 66 उपजाति हैं वहीं पूरे प्रदेश में इनकी कुल आबादी करीब 22% के करीब है। इसमें 50% आबादी जाटव समाज की है। मायावती भी इसी वर्ग से हैं। वहीं इस आम चुनाव में जाटव वोट टूट जाते हैं तो बसपा के स्वामित्व पर भी खतरा बन सकता है।