बलरामपुर जिले में मनरेगा मजदूरों के अधिकारों पर लगातार डाका डाला जा रहा है। तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार को छिपाने में प्रशासनिक अधिकारी जुटे हुए हैं। गांव में तालाब सौंदर्यीकरण के लिए तीन मस्टर रोल जारी किए गए थे, लेकिन ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और बीडीओ द्वारा कोई भी काम नहीं करवाया गया।
शिकायत के बाद शुरू हुआ गड़बड़ियों को छिपाने का खेल
जब गांव के लोगों ने तालाब सौंदर्यीकरण में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई, तो प्रशासन ने इस मामले को दबाने के लिए तुरंत बिना किसी नए मस्टर रोल के ही तालाब पर काम शुरू करवा दिया। अब जांच के दौरान दर्जनों बाहरी मजदूरों को लाकर तालाब के जीर्णोद्धार का काम कराया जा रहा है, जिससे अनियमितताओं को छिपाने की कोशिश की जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप: अधिकारी अपनी गलतियों को छिपाने में जुटे
गांव के लोगों का कहना है कि तालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर मिली राशि का दुरुपयोग किया गया, और जब भ्रष्टाचार की जांच की मांग उठी, तो अधिकारी अपनी गलतियों को छिपाने में लग गए। ग्रामीणों के मुताबिक, यह पूरी योजना सिर्फ कागजों में ही चलती रही और असल में कोई काम नहीं हुआ।
प्रशासनिक अधिकारी कैमरे पर कुछ भी बोलने से बच रहे
इस मामले में जिले के अधिकारी मीडिया के कैमरों के सामने कुछ भी कहने से बच रहे हैं। प्रशासन की चुप्पी और बिना मस्टर रोल के काम शुरू होने से साफ है कि पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। ग्रामीणों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि मनरेगा मजदूरों के हक पर हो रही लूट को रोका जा सके और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।