UP Politics: भारत गणराज्य के सियासत में उत्तर प्रदेश का क्या योगदान रहा है, ये तथ्य किसी से भी छिपा नहीं हुआ है। प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटे हैं और 80 सीटें लोकसभा की हैं जिसपर चुनाव के समय सभी देशवासियों की नजरें यहां की सीटों पर रहती हैं। हाल ही में संपन्न हुए आम चुनाव 2024 में, यहां से जहां इंडी गठबंधन मस्त रही वहीं भाजपा पस्त नजर आई। गौरतलब है कि साल 2017 से ही सीएम योगी की बहुमत वाली सरकार प्रदेश में है। इतना ही नहीं वाराणसी संसदीय सीट से पीएम मोदी तीसरी बार सांसद बने हैं।
वर्तमान समय में वाराणसी से तीसरी बार बने सांसद पीएम मोदी के संबंध में पत्रकार श्यामलाल यादव ने अपनी किताब- At The Heart Of Power The Chief Ministers Of Uttar Pradesh में किया है। जिसमें पीएम मोदी के बारे में लिखा है कि मोदी 2002 में यूपी में चुनाव प्रचार नहीं करना चाहते थे क्योंकि वे संजय जोशी को पसंद नहीं करते थे।
किताब में साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि जब भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य में सात चरणों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का नियम बनाया तब राज्य में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा सरकार शासन में थी। वह 2012 के चुनाव में एंटी इन्कंबेंसी का सामना कर रही थी। वहीं सपा अपनी छवि को बदलने की भरसक कोशिश में लगी थी और वह मुस्लिम और यादवों की पार्टी होने के ठप्पे को पार्टी से हटाना चाहती थी।
वहीं दूसरी तरफ साल 2002 के बाद से, यूपी में सत्ता का इंतजार कर रही भाजपा इस जुगत में थी कि देश के सबसे बड़े सियासी नक्शे वाले राज्य में उसकी स्थिति अच्छी बन जाए। फिर वक्त आया 2012 के विधानसभा चुनाव का इस वक्त बीजेपी ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को पार्टी की स्थिति संभालने का जिम्मा सौंप दिया। उनसे, पार्टी से उम्मीद थी कि वह कल्याण सिंह के पार्टी छोड़कर जाने के बाद वह खाली जगह को भरने में कामयाब हो पाएंगी। वहीं इस चुनाव में बीजेपी पार्टी के अंतर्द्वंद और कलह का भी सामना कर रही थी।
किताब के दावे के तहत इस चुनाव में भाजपा ने गुजरात इकाई के नेता संजय जोशी को यूपी का इंचार्ज बनाया गया था। दावा है कि तब के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी, जोशी को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे और इसी कारण से उन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रचार करने से साफ इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने बड़ी जीत दर्ज की थी और अखिलेश यादव सीएम बने थे। उस चुनाव में बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, बसपा को 80 और सपा को 224 सीटें प्राप्त हुई थी।