प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान 1800 से अधिक साधुओं को नागा साधु बनाया जाएगा। इस प्रक्रिया की शुरुआत जूना अखाड़े में धर्मध्वजा के नीचे आज से हो रही है। इसके साथ ही निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़ों में भी यह विशेष संस्कार संपन्न किए जाएंगे।
नागा साधु बनने के लिए साधुओं को कठोर तपस्या करनी होती है। इस प्रक्रिया में साधु 24 घंटे तक तप में लीन रहते हैं। इसके बाद गंगा में 108 बार डुबकी लगानी होती है। इसके पश्चात क्षौर कर्म (सिर और शरीर का संपूर्ण मुंडन) और विजय हवन किया जाता है।
19 जनवरी को साधुओं को उनकी लंगोटी उतारकर नागा साधु के रूप में दीक्षा दी जाएगी। इस दौरान साधु दिगंबर (पूर्णत: नग्न) रहने का भी विकल्प चुन सकते हैं।
यह प्रक्रिया आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और नागा साधु बनने के बाद व्यक्ति को समाज से अलग होकर पूरी तरह तपस्या और सन्यास के मार्ग पर चलना होता है। महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर यह अनुष्ठान लाखों श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनेगा।