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Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या पर नागा साधुओं का अमृत स्नान, श्रद्धालुओं की अपार भीड़

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 का आज 17वां दिन (29 जनवरी) है। इस पावन अवसर पर मौनी अमावस्या के दिन दूसरा अमृत स्नान जारी है। संगम तट पर नागा साधु और संतगण परंपरागत ढंग से स्नान कर रहे हैं। हाल ही में हुई भगदड़ की घटना के बाद स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए प्रशासन ने अखाड़ों से बातचीत की और अब संतगण सांकेतिक रूप से अमृत स्नान कर रहे हैं।

नागा साधुओं का जोश: तलवारें लहराकर जयकारे

जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने इस पवित्र स्नान के दौरान तलवारें लहराईं और जयकारे लगाते हुए संगम घाट की ओर बढ़े। यह दृश्य महाकुंभ के आध्यात्मिक और शौर्यपूर्ण माहौल को दर्शाता है। रास्ते में RAF और पुलिस बल तैनात रहे ताकि सुरक्षा बनी रहे और भगदड़ जैसी कोई अप्रिय घटना न हो।

भगदड़ के बाद संतों ने लिया निर्णय

इससे पहले, तड़के सुबह अखाड़ों के साधु-संत अमृत स्नान के लिए निकलने लगे थे, लेकिन भगदड़ के कारण हालात बिगड़ गए। प्रशासन ने अखाड़ों से अपील की कि वे स्नान के लिए आगे न बढ़ें। इस स्थिति को देखते हुए संतों ने बैठक कर निर्णय लिया कि वे स्नान स्थगित कर देंगे।

हालांकि, बाद में जब स्थिति सामान्य हुई तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखाड़ों के प्रमुख संतों से बात की और उन्हें स्नान के लिए राजी किया। इसके बाद, संतों ने कहा कि वे अपने इष्टदेव के साथ सांकेतिक अमृत स्नान करेंगे और बड़ा जुलूस नहीं निकालेंगे।

श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब: 4.24 करोड़ ने लगाई डुबकी

मौनी अमावस्या के इस पावन अवसर पर दोपहर 12 बजे तक 4.24 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे। वहीं, अब तक पूरे महाकुंभ में करीब 20 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। प्रयागराज और महाकुंभ मेले में इस समय 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु मौजूद हैं। प्रशासन की ओर से लगातार यह कोशिश की जा रही है कि श्रद्धालुओं को अन्य घाटों पर स्नान कराकर उन्हें सुरक्षित वापस भेजा जाए।

महान संतों और नेताओं का आगमन

इस महाकुंभ में कई प्रमुख संतों, आध्यात्मिक गुरुओं और राजनीतिक हस्तियों ने भी स्नान किया। भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी और प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर भी संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इस दौरान उन्होंने सनातन संस्कृति और कुंभ मेले के महत्व पर अपने विचार भी साझा किए।

महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि का संदेश

जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने अमृत स्नान के बाद एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा, “हमने यह सोचा कि हमारी वजह से श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसलिए हमने स्नान स्थगित कर दिया था। लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है, इसलिए हम स्नान करने आए हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत को जातियों के आधार पर नहीं बंटना चाहिए। हम सभी हिंदू हैं, हम सनातनी हैं और हमें एकजुट रहना चाहिए।”

महाकुंभ में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

भगदड़ की घटना के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पूरे क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल और सुरक्षा एजेंसियां तैनात हैं। CCTV कैमरों से निगरानी की जा रही है और श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए प्रशासन द्वारा मार्गदर्शन दिया जा रहा है।

महाकुंभ का महत्व और ऐतिहासिक परंपरा

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।

महाकुंभ में सन्यासी, बैरागी और उदासीन अखाड़ों के साधु-संत भव्य जुलूस के साथ संगम तट पर पहुंचते हैं और एक निश्चित क्रम में स्नान करते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव

महाकुंभ 2025 में अब तक करोड़ों श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं और यह आयोजन आध्यात्मिकता, भक्ति और सनातन परंपरा का प्रतीक बना हुआ है। प्रशासन की चुनौतियों के बावजूद, भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ है। इस बार का महाकुंभ एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहरी हैं और श्रद्धालुओं की आस्था कितनी अटूट है।

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