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Noida News: नोएडा की विकास योजना में डिफाल्टर बिल्डर की नो एंट्री, 90 दिन का दिया समय

जमीन मिलने के बाद बिल्डरों को 90 दिन के अंदर पूरा पैसा जमा करने को कहा है। जिसका अभी तक समय-सीमा आठ साल तक थी पर 15 साल पहले भूखंड लेने वाले बिल्डरों ने अभी तक प्राधिकरण का बकाया नहीं चुकाया है।

ऐसे में नए आवंटन के अंतर्गत नोएडा प्राधिकरण ने पूरा बकाया धन जमा करने के लिए 90 दिन की डेडलाइन दी है। ऐसे में पूरा पैसा जमा करने के बाद ही भूखण्ड लीज डीड बिल्डर के नाम किया जाएगा। इसके साथ ही डिफॉल्ट करने वाले किसी भी योजना में भाग नहीं ले पाएंगे।

चार ग्रुप हाउसिंग भूखंड की योजना ला रहा प्राधिकरण

नए नियमों के तहत नोएडा प्राधिकरण चार ग्रुप हाउसिंग भूखंडों की योजना लाने जा रहा है। ये भूखंड सेक्टर-44 और 151 में हैं। सीईओ डॉ. लोकेश एम ने बताया कि सेक्टर-151 में छह ग्रुप हाउसिंग भूखंड के लिए जगह चिह्नित की गई है, लेकिन इस महीने आने वाली योजना में सिर्फ तीन भूखंड शामिल किए जाएंगे। बाकी भूखंड को दूसरी योजना में शामिल किया जाएगा। सीईओ ने बताया कि नए नियमों के तहत भूखंड पाने के बाद बिल्डर को 90 दिन के अंदर पूरा पैसा जमा करना होगा। इसके बाद ही भूखंड की रजिस्ट्री की जाएगी।

सीईओ ने बताया कि प्रयास है कि जल्द यह भूखंड योजना लाई जाए। उन्होंने बताया कि 90 दिन के अंदर पैसा जमा करने की शर्त की वजह से वही बिल्डर योजना में आगे आएंगे, जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। सीईओ ने कहा कि बीते सालों में भूखंड लेने के बाद बिल्डरों की तरफ से प्राधिकरण का बकाया नहीं देने की वजह से नियमों को सख्त बनाया गया है।

डिफाल्टर बिल्डर को योजना में कोई स्थान नहीं

प्राधिकरण अधिकारियों ने कहा कि नई ग्रुप हाउसिंग योजनाओं में कोई भी ऐसा बिल्डर भूखंड के लिए आवेदन नहीं कर सकता, जिसके ऊपर पहले से ही प्राधिकरण का बकाया हो। ऐसे में नए बिल्डरों को नई योजना में शामिल होने का सुनहरा मौका मिलेगा, इसकी वजह यह है कि यहां अधिकांश बिल्डर डिफाल्टर ही हैं।

2006 के आसपास शुरू हुआ था बिल्डरों को जमीन देना

नोएडा में ग्रुप हाउसिंग से जुड़े बिल्डरों ने फ्लैट बनाने के लिए वर्ष 2006-07 के आसपास जमीन लेना शुरू किया था। बिल्डरों को जमीन देने का सिलसिला वर्ष 2014-15 तक बड़ी संख्या में चला। इस समय शहर में करीब 110 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं हैं। वर्ष 2006-07 से पहले ग्रुप हाउसिंग के लिए भूखंड लेने के बाद आवंटन राशि 30 प्रतिशत जमा करनी जरूरी थी। लेकिन 2007 के आसपास बसपा सरकार में नियमों में बदलाव कर दिया गया। इसके तहत सिर्फ 10 प्रतिशत आवंटन राशि लेने का नियम लागू किया गया।

26 हजार करोड़ का बकाया

10 प्रतिशत जमा करके भूखंड आवंटन किया गया। इसके बाद दो से तीन किस्त जमा की और पैसा देना भूल गए। ऐसे में बिल्डरों पर 26 हजार करोड़ रुपए का बकाया हो गया। ये बकाया वापस लाने के लिए अमिताभ कांत की सिफारिश लाई गई। इसके बाद भी बिल्डर बकाया जमा करने में आनाकानी कर रहे हैं।

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