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Noida News: नोएडा प्राधिकरण का तीन बिल्डरों पर सख्त कदम, वित्तीय अनियमितताओं और बकाया वसूली के लिए कार्रवाई शुरू

नोएडा प्राधिकरण ने तीन बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सख्त कदम उठाए हैं। दो बिल्डरों की वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) दिल्ली को पत्र लिखा गया है, जबकि एक बिल्डर से बकाया राशि की वसूली के लिए आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) जारी की गई है।

केस-1: शुभकामना बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड

प्राधिकरण ने 23 मार्च 2010 को सेक्टर-137 के जीएच-05 प्लॉट का आवंटन शुभकामना बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड को किया। 20 अगस्त 2010 को बिल्डर को प्लॉट का कब्जा दे दिया गया, लेकिन उसने न तो निर्धारित राशि जमा की और न ही फ्लैटों का निर्माण किया।

इस परियोजना के प्रमोटरों मुकेश खुराना, दीवाकर शर्मा, कमल सिंह रोथान, हरीश कुमार और पीयूष तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने फ्लैट बेचकर तृतीय पक्षीय अधिकार बनाए और प्राधिकरण को वित्तीय नुकसान पहुंचाया। इस मामले की वित्तीय जांच के लिए EOW दिल्ली को शिकायत भेजी गई है।

केस-2: आईवीआर प्राइम डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड

सेक्टर-118 के जीएच-01 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट (133750 वर्गमीटर) का आवंटन 18 अप्रैल 2007 को आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर आईवीआर प्राइम डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया। 25 अप्रैल 2012 को प्लॉट का कब्जा दिया गया, लेकिन आवंटी ने धनराशि जमा नहीं की।

इस परियोजना के प्रमोटरों ईला रेड्डी, ई. सुधीर रेड्डी, टीएन चतुर्वेदी, आरसी सिन्हा, टीआरसी बॉस और आशीष ने फ्लैट बेचकर तृतीय पक्षीय अधिकार बनाए और प्राधिकरण को धनराशि जमा नहीं की। प्राधिकरण ने इस मामले में भी EOW दिल्ली को शिकायत भेजी है।

केस-3: सेठी बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड

सेक्टर-76 के जीएच-02बी प्लॉट (20,000 वर्गमीटर) का आवंटन 9 जून 2010 को सेठी बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड को किया गया। आवंटी ने बार-बार नोटिस जारी होने के बावजूद बकाया धनराशि जमा नहीं की।

कोविड-19 के दौरान 25% बकाया राशि जमा करने की छूट भी दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद 31 दिसंबर 2023 तक 57.65 करोड़ रुपये बकाया रहे। अब इस राशि को भू राजस्व की तरह वसूलने के लिए कलेक्टर गौतम बुद्ध नगर को पत्र लिखा गया है।

नोएडा प्राधिकरण की सख्त नीति

नोएडा प्राधिकरण ने इन मामलों में सख्त कदम उठाते हुए स्पष्ट किया है कि अनियमितता करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। इससे न केवल बकाया राशि की वसूली होगी, बल्कि वित्तीय पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।

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