नोएडा, उत्तर प्रदेश में स्थित एक आधुनिक नियोजित शहर, भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 17 अप्रैल 1976 को अपनी स्थापना के बाद से नोएडा (नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने तेज़ी से प्रगति की है और आज यह आवासीय, औद्योगिक और आईटी हब के रूप में विख्यात है।
दिल्ली पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए बसे इस शहर ने बीते दशकों में गगनचुंबी इमारतों, विस्तृत सड़कों, हरे-भरे पार्कों और उन्नत बुनियादी ढांचे के साथ एक अलग पहचान बनाई है। आइए नोएडा शहर के इतिहास, इसकी स्थापना के कारणों, विकास के चरणों और आगामी योजनाओं पर विस्तृत नज़र डालें।
नोएडा शहर के गठन की पृष्ठभूमि 1970 के दशक में तैयार हुई। वर्ष 1972 में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली से सटे यमुना-हिंडन नदी के किनारे स्थित लगभग 50 गाँवों को “विनियमित क्षेत्र” घोषित किया, ताकि दिल्ली के आसपास अनियमित विकास नियंत्रित किया जा सके। आपातकाल (1975-77) के दौर में इस नई बसी बस्ती की योजना को तेजी मिली।
नोएडा को आधिकारिक तौर पर 17 अप्रैल 1976 को उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 के तहत अधिसूचित किया गया और तब से हर साल 17 अप्रैल को “नोएडा दिवस” मनाया जाता। नोएडा की स्थापना देश में आपातकाल के दौरान हुई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार दिल्ली की बढ़ती आबादी और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए नए शहर बसा रही थी। शुरुआत में नोएडा तत्कालीन बुलंदशहर ज़िले की दादरी तहसील का हिस्सा था, बाद में गाज़ियाबाद ज़िले में शामिल हुआ और 1997 में गौतम बुद्ध नगर नामक नए ज़िले के गठन पर उसका हिस्सा बन गया।
1960-70 के दशक तक दिल्ली में आबादी और उद्योगों का दबाव ख़तरनाक रूप से बढ़ चुका था। कई रिहायशी इलाकों में कल-कारखाने चल रहे थे जिससे प्रदूषण और अव्यवस्था फैल रही थी। ऐसे में केंद्र सरकार को राजधानी के निकट एक नियोजित औद्योगिक शहर की आवश्यकता महसूस हुई, जहाँ दिल्ली से उद्योगों को स्थानांतरित किया जा सके और जनसंख्या का संतुलन बनाया जा सके।
इस सोच के तहत नोएडा की परिकल्पना की गई: एक ऐसा उपनगर जहां उद्योगपतियों को जगह मिले, आम लोगों के लिए किफायती आवास बने और दिल्ली का बोझ कम हो। नोएडा की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था दिल्ली से प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को हटाकर एक सुनियोजित क्षेत्र में स्थापित करना और राजधानी क्षेत्र के लिए एक सुव्यवस्थित उपग्रह शहर तैयार करना। दिल्ली पर बढ़ते बोझ को कम करने की इस रणनीति ने नोएडा को जन्म दिया।
नोएडा (NOIDA) नाम स्वयं इसके विकास प्राधिकरण “New Okhla Industrial Development Authority” के नाम से निकला है। नए औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर ओखला (दिल्ली का एक औद्योगिक क्षेत्र) के नाम को लेकर इसे नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण कहा गया और यही संक्षिप्त रूप में नोएडा बन गया। इस शहर की कल्पना और स्थापना में कई प्रमुख हस्तियों की भूमिका रही:
इन तीनों के अलावा अनेक स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और केंद्र-राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने नोएडा परियोजना को साकार करने में योगदान दिया। वर्षों बाद नोएडा इतना लोकप्रिय नाम बन गया कि नाम बदलने के सुझाव भी आए लेकिन जनता की पसंद ‘नोएडा’ ही बनी रही।
नोएडा उत्तर प्रदेश राज्य के गौतम बुद्ध नगर ज़िले में स्थित है और दिल्ली से पूर्व दिशा में यमुना नदी के पार बसा हुआ है। पश्चिम में नोएडा की सीमा यमुना नदी द्वारा दिल्ली से लगती है – नदी के उस पार दिल्ली के कालकाजी, ओखला, मयूर विहार जैसे इलाके हैं। पूर्वोत्तर दिशा में हिंडन नदी इसे गाज़ियाबाद जिले से अलग करती है। नोएडा के दक्षिण में ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक क्षेत्र हैं, जबकि दक्षिण-पश्चिम में यमुना नदी के पार हरियाणा (फरीदाबाद जिला) की सीमाएँ पड़ती हैं।
प्रशासनिक दृष्टि से नोएडा का क्षेत्रफल करीब 203 वर्ग किलोमीटर। स्थापना के समय यह बुलंदशहर जिले का हिस्सा था और दादरी तहसील में आता था। 1976 के बाद इसे गाज़ियाबाद जिले में शामिल किया गया, क्योंकि इस क्षेत्र को दिल्ली से सटे औद्योगिक विकास के लिए अलग पहचान दी जा रही थी।
अंततः 6 सितंबर 1997 को उत्तर प्रदेश सरकार ने गाज़ियाबाद और बुलंदशहर के हिस्सों को मिलाकर एक नया जिला गौतम बुद्ध नगर बनाया, जिसमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा दोनों सम्मिलित किए गए। वर्तमान में नोएडा गौतम बुद्ध नगर जिले का हिस्सा है और इसी जिले का प्रशासनिक मुख्यालय ग्रेटर नोएडा में स्थित है।
नोएडा का भूगोल समतल गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र का हिस्सा है। यमुना और हिंडन नदियों के बीच बसे होने के कारण यहां की मिट्टी जलोढ़ (alluival) है। शहर का अधिकतर क्षेत्र बाढ़ के मैदानों पर विकसित हुआ है, हालांकि शहर को बाढ़ से बचाने के लिए तटबंध और ड्रेनेज की व्यवस्था की गई है। नोएडा की समुद्र तल से औसत ऊँचाई करीब 200 मीटर है।
नोएडा शहर जिन ज़मीनों पर बसाया गया, वे मुख्यतः आसपास के गाँवों के खेत-खलिहान थे। प्रारंभ में 36 गाँवों की जमीन अधिग्रहित कर नोएडा योजना क्षेत्र की नींव रखी गई। 17 अप्रैल 1976 को इन 36 गाँवों की भूमि अधिग्रहण का अधिसूचना जारी हुई थी। दो वर्ष बाद, 18 मई 1978 को परियोजना का विस्तार करते हुए और 14 गाँवों की जमीन नोएडा में शामिल की गई। इस तरह शुरुआती दौर में कुल 50 गांवों को मिलाकर नोएडा बसाया गया। बाद के वर्षों में नोएडा का दायरा और बढ़ा – 1991 तक नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में लगभग 81 गाँव सम्मिलित हो चुके थे, जिनमें से कई ग्रामीण आबादियाँ शहरीकरण के बावजूद आज भी अपने पारंपरिक स्वरूप में मौजूद हैं।
नोएडा बसाने में स्थानीय किसानों की भूमि प्रमुख रूप से इस्तेमाल हुई। सरकार ने भूमि अधिग्रहण के समय किसानों को मुआवज़ा प्रदान किया, लेकिन प्रारंभिक मुआवज़ा दर काफी कम थी। 1976 में अधिगृहित जमीन के लिए किसानों को मात्र ₹3 से ₹4 प्रति वर्गगज़ की दर से भुगतान किया गया। कई किसानों ने इसे नाकाफी माना और विरोध दर्ज कराया।
कुछ किसानों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अदालत का दरवाजा भी खटखटाया और उच्चतम न्यायालय तक लड़ाई लड़ी। समय के साथ किसानों के आंदोलन के दबाव में नोएडा प्राधिकरण ने मुआवज़े की दरों में बढ़ोतरी की और विकसित भूमि का एक हिस्सा पुनः आवंटित करने जैसी नीतियाँ अपनाईं, जिससे किसानों को संतुष्ट किया जा सके। हालांकि प्रारंभिक विरोध के बावजूद, यह किसानों की जमीन और सहभागिता ही थी जिसने नोएडा शहर को जमीन पर उतारा।
भूमि देने वाले कई किसानों ने मुआवज़े से मिले धन से नोएडा व आसपास ही अपना नया रोजगार शुरू किया या रियल एस्टेट में निवेश किया, इस प्रकार शहर की अर्थव्यवस्था में उनका अप्रत्यक्ष योगदान भी रहा।
नोएडा को एक योजनाबद्ध ग्रिड पैटर्न में विकसित किया गया है, जिसे विकास चरणों (फेज़) और सेक्टरों में बाँटा गया। प्रारंभिक विकास को फेज़-1 के रूप में जाना जाता है, जिसके अंतर्गत 1 से लेकर लगभग 50-60 तक के सेक्टर आते हैं। ये सेक्टर नोएडा के मूलभूत और पुराने बसे क्षेत्र हैं, जहां शुरुआती आवासीय कॉलोनियाँ, औद्योगिक क्षेत्र तथा नोएडा प्राधिकरण का मुख्यालय (सेक्टर-6) स्थापित हुआ।
दूसरा चरण फेज़-2 के नाम से जाना जाता है, जिसमें नोएडा के विस्तार के तहत बने सेक्टर शामिल हैं – जैसे सेक्टर 61, 62 से लेकर 100 तक के आसपास के सेक्टर। फेज़-2 में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के दोनों ओर विकसित कई नए सेक्टर आते हैं। इन सेक्टरों में बड़े आवासीय सोसाइटी, आईटी पार्क और संस्थान बसे। उदाहरण के लिए, सेक्टर-62 एक संस्थागत एवं आईटी हब के रूप में विकसित हुआ, वहीं सेक्टर-78, 79 इत्यादि में आधुनिक हाईराइज़ आवासीय परियोजनाएँ बनीं।
तीसरा चरण फेज़-3 के रूप में नवीनतम विस्तार है, जिसमें 100 से ऊपर संख्या वाले सेक्टर शामिल हैं। ये सेक्टर नोएडा के दक्षिणी-पश्चिमी छोर पर यमुना एक्सप्रेसवे के नज़दीक विकसित किए गए हैं। सेक्टर-128 से 140 तक के क्षेत्र में कई नई आवासीय टाउनशिप, गोल्फ थीम्ड प्रोजेक्ट और संस्थान स्थापित हुए हैं। सेक्टर-150 स्वयं बड़े खेल परिसर और हरित क्षेत्र के लिए जाना जाता है। वर्तमान में नोएडा में लगभग 160 से अधिक सेक्टर अधिसूचित किए जा चुके हैं, जिनकी कुल संख्या बढ़कर 168 के करीब पहुँच गई है (2021 तक)। प्रत्येक सेक्टर विशिष्ट संख्या द्वारा चिन्हित है और आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, संस्थागत जैसी भूमि उपयोग श्रेणियों में विभाजित है।
नोएडा के सेक्टरों को उनके मुख्य उपयोग के आधार पर पहचाना जा सकता है: कुछ पूरे तरह आवासीय सेक्टर हैं (जैसे सेक्टर-इन 15A, 26, 27, 28 जो मुख्यत: कॉलोनियां हैं, तो कुछ औद्योगिक सेक्टर (जैसे प्रारंभिक सेक्टर-1, 3, 5, 6 जहां लघु उद्योग और कारखाने स्थापित हुए)। कई सेक्टर मिश्रित उपयोग के भी हैं जिनमें आवास, बाज़ार और कार्यालय एक साथ हैं (जैसे सेक्टर-18 वाणिज्यिक बाज़ार के साथ, आसपास रिहायशी क्षेत्र भी है)। इसके अलावा नोएडा में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी स्थापित किया गया है – नोएडा स्पेशल इकॉनॉमिक ज़ोन (NSEZ)।
एनएसईज़ेड नोएडा के फेज़-2 क्षेत्र में स्थित है और निर्यात उन्मुख उद्योगों के लिए समर्पित क्षेत्र है, जहाँ इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, आभूषण इत्यादि के कई उत्पादनUnits संचालित होते हैं। पूरे नोएडा शहर को भारत सरकार द्वारा एक विशेष आर्थिक क्षेत्र के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है, जिससे यहां निवेश करने वाली कंपनियों को कर में रियायत जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
सेक्टरों की इस व्यवस्थित रूपरेखा और चरणबद्ध विकास ने नोएडा को एक सुनियोजित नगरी का स्वरूप दिया है। चौड़ी सड़कें, सेक्टरों के बीच ग्रीन बेल्ट और सेक्टरों की संख्या द्वारा पहचान की सुविधा ने शहर को व्यवस्थित ढंग से बढ़ने में मदद की है। सेक्टर प्रणाली के कारण पता खोजना सरल है और अधिसूचित भूमि-उपयोग के चलते अव्यवस्थित विकास पर रोक लगी है।
अपने नाम के अनुरूप “औद्योगिक विकास प्राधिकरण” द्वारा संचालित नोएडा ने प्रारंभ से ही औद्योगिक हब के रूप में पहचान बनाई। 1970-80 के दशक में यहां कई लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) स्थापित हुए – जैसे वस्त्र निर्माण, जूता एवं चमड़ा उद्योग, प्रिंटिंग प्रेस, इलेक्ट्रॉनिक सामान असेंबली आदि। सेक्टर-1 से लेकर सेक्टर-11 तक के शुरुआती औद्योगिक सेक्टरों में हज़ारों छोटी इकाइयाँ लगीं, जिनमें स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिला। 1980 के दशक के अंत तक नोएडा में करीब 3000 से अधिक छोटे उद्योग कार्यरत थे, जिनमें 80,000 से ज्यादा लोगों को रोज़गार मिला था।
आर्थिक उदारीकरण के बाद 1990 के दशक में बड़े बहुराष्ट्रीय निगम (MNCs) और आईटी कंपनियों ने भी नोएडा का रुख किया। नोएडा में एचसीएल (HCL) जैसी देशी आईटी कंपनी का मुख्यालय स्थापित हुआ, वहीं बाद में टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा, एचसीएल जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों ने अपने कार्यालय या कैंपस नोएडा/ग्रेटर नोएडा में स्थापित किए। IBM, एक्सेंचर, ओरेकल जैसी अंतरराष्ट्रीय आईटी/सॉफ्टवेयर कंपनियों की मौजूदगी ने नोएडा को उत्तर भारत के आईटी हब के रूप में अग्रणी बना दिया। सेक्टर-62, 63, 125, 135 आदि सेक्टर आईटी/आईटीईएस कंपनियों और स्टार्टअप्स के केंद्र बनकर उभरे।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मोबाइल निर्माण उद्योग नोएडा की एक बड़ी सफलता कहानी है। नोएडा में सैमसंग, एलजी, वीकॉन जैसी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के उत्पादन संयंत्र लगे हुए हैं। वर्ष 2018 में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन निर्माण फैक्ट्री सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने नोएडा में स्थापित की। स्वयं प्रधानमंत्री ने इस संयंत्र का उद्घाटन किया और यह ‘Make in India’ पहल का प्रतीक बना।
इस नए प्लांट की स्थापना के साथ सैमसंग ने नोएडा में मोबाइल उत्पादन क्षमता 6.8 करोड़ इकाई वार्षिक से बढ़ाकर 12 करोड़ इकाई करने की योजना बनाई। नोएडा में बने मोबाइल फोन न केवल भारत में बेचे जाते हैं, बल्कि विश्व बाजार में निर्यात भी किए जाते हैं। सैमसंग के अलावा नोएडा/ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में ओपो, वीवो, रियलमी, लावा, माइक्रोमैक्स जैसे मोबाइल निर्माताओं की यूनिट्स भी हैं, जिससे इस क्षेत्र को “मोबाइल उत्पादन हब” कहा जाने लगा है।
निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में नोएडा ने ऑटोमोबाइल कंपोनेंट, मशीनरी, केमिकल, दवा उत्पादन आदि उद्योगों को भी पनपते देखा है। हवेल्स, कैल्चर, डीएस समूह जैसी कई बड़ी विनिर्माण कंपनियों के कारखाने नोएडा में हैं। भारतीय तेल निगम (HPCL-Mittal Energy) का प्लांट, आईएसजीईसी जैसी भारी इंजीनियरिंग कंपनी, पैकेजिंग उद्योग, प्लास्टिक सामान निर्माण आदि ने भी यहां निवेश किया। इन बड़े उद्योगों और निवेशों के चलते नोएडा प्राधिकरण देश के सबसे संपन्न नागरिक निकायों में गिना जाता है।
औद्योगिक विकास ने नोएडा में सहायक क्षेत्रों को भी बढ़ावा दिया है। बड़ी कंपनियों और बढ़ती आबादी की जरूरतों ने शहर में होटलों, शॉपिंग मॉल, रेस्तरां, वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स की मांग बढ़ाई। सेक्टर-18 जैसे क्षेत्रों को व्यावसायिक बाज़ार के तौर पर विकसित किया गया जहां बड़े शोरूम, भोजनालय और मनोरंजन केंद्र खुले। नोएडा आज एक विकसित औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र है जहां छोटे उद्योग से लेकर वैश्विक निगम तक सह-अस्तित्व में फल-फूल रहे हैं। इससे लाखों नौकरियाँ सृजित हुई हैं और नोएडा उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का एक इंजन बनकर उभरा है।
नोएडा अपने उद्योगों के साथ-साथ मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग में भी खास पहचान रखता है, जिसका श्रेय नोएडा फिल्म सिटी को जाता है। नोएडा फिल्म सिटी की स्थापना 1988 में की गई थी। इसे उत्तर प्रदेश सरकार ने 100 एकड़ भूमि पर सेक्टर-16A में बसाया, जहां फिल्म निर्माण और टीवी प्रसारण के लिए आवश्यक अधोसंरचना विकसित की गई। इस परियोजना के संस्थापक अध्यक्ष और प्रेरक फिल्म निर्माता संदीप मारवाह थे, जिन्होंने एशियन ऐकडमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलिविज़न (AAFT) की स्थापना भी यहीं की।
आज नोएडा फिल्म सिटी देश के प्रमुख मीडिया हब के रूप में जानी जाती है। लगभग 75 एकड़ आउटडोर शूटिंग स्पेस और 25 एकड़ इनडोर स्टूडियो स्पेस के साथ यहां 16 से अधिक अत्याधुनिक स्टूडियो हैं। फिल्म सिटी में भारत के प्रमुख न्यूज़ चैनलों के मुख्यालय और ऑफिस हैं – जैसे Zee News, NDTV, TV18, India TV, News18 आदि समाचार चैनल यहीं से प्रसारित होते हैं।
कुल मिलाकर 300 से अधिक टीवी चैनलों के प्रसारण की सुविधाएं फिल्म सिटी से संचालित होती हैं, जो रोज़ 160 से ज्यादा देशों में प्रसारित होते हैं। समाचार मीडिया के अलावा, कई धारावाहिक, वेब सीरीज़ और विज्ञापनों की शूटिंग भी यहां होती है। फिल्म सिटी परिसर में मारवाह स्टूडियोज़ जैसे प्रोडक्शन हाउस, पोस्ट-प्रोडक्शन सुविधाएं, रिकॉर्डिंग स्टूडियो, प्रीव्यू थिएटर आदि मौजूद हैं।
फिल्म सिटी ने उत्तर भारत में मुंबई के बाद एक वैकल्पिक फिल्म निर्माण केंद्र प्रदान किया है। यहाँ बनी ढांचागत सुविधाओं के कारण कई बॉलीवुड फिल्मों और टीवी शोज़ की शूटिंग नोएडा/दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में संभव हुई। साथ ही, एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलिविज़न जैसे संस्थान नई पीढ़ी को मीडिया, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। करीब 17,000 से अधिक मीडिया पेशेवर नोएडा फिल्म सिटी से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं और कुल मिलाकर 1.5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है(जिसमें फ्रीलांसर, टेक्नीशियन, सपोर्ट स्टाफ आदि शामिल हैं)।
नोएडा फिल्म सिटी ने शहर की पहचान में चार चाँद लगाए हैं। यह स्थान न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अहम बन चुका है – देश को खबरों से लेकर मनोरंजन तक सामग्री यहीं से प्रसारित होती है। मीडिया हब होने के कारण नोएडा में सतत रौनक और गतिविधि बनी रहती है।
नोएडा शहर के निकट भविष्य का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा, जो गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर क्षेत्र में बनाया जा रहा है। इसे आमतौर पर जेवर एयरपोर्ट भी कहा जाता है। 25 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा इसकी आधारशिला रखी गई थी, और वर्तमान में इसका निर्माण तीव्र गति से चल रहा है। यह हवाईअड्डा पूरा होने पर दिल्ली-NCR का दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा, जिसका उद्देश्य दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर बढ़ते यात्रीभार को कम करना है।
नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा अपनी विशाल योजना के कारण चर्चा में है। इसे एशिया के सबसे बड़े हवाईअड्डों में से एक कहा जा रहा है, क्योंकि पूर्ण होने पर यहां 6 रनवे होंगे – जो कि दिल्ली एयरपोर्ट के रनवे की संख्या से दोगुने हैं। हवाईअड्डा लगभग 7200 एकड़ (2900 हेक्टेयर) क्षेत्रफल में फैलेगा और प्रति वर्ष करोड़ों यात्रियों को संभालने की क्षमता रखेगा। शुरुआती चरण में 2 रनवे बनाए जा रहे हैं जो 2024-25 तक चालू होने की उम्मीद है। अपडेट (2025): खबरों के अनुसार पहला चरण पूरा होकर मई 2025 तक व्यावसायिक उड़ानें शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रारंभिक चरण में घरेलू उड़ानें मई 2025 के आसपास और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें जून 2025 तक शुरू होने की योजना है।
इस ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे का टर्मिनल भवन आधुनिक तकनीक एवं परंपरागत भारतीय स्थापत्य का संगम होगा। टर्मिनल के प्रवेश द्वार का डिजाइन काशी के घाटों से प्रेरित है, जो यात्रियों को उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक झलक प्रदान करेगा। 10 गेट वाले इस टर्मिनल का ढांचा 2024 तक लगभग तैयार हो चुका था। 3.9 किमी लंबे मुख्य रनवे का निर्माण भी अंतिम चरण में है। हवाईअड्डे के संचालन के लिए ज़्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल AG (स्विट्ज़रलैंड) की सहायक कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा. लि. (YIAPL) को चुना गया है, जो निर्माण एवं संचालन का कार्य संभाल रही है।
नोएडा एयरपोर्ट के चालू होने से क्षेत्र में विकास की रफ़्तार को पंख लगने की उम्मीद है। हवाई कनेक्टिविटी बढ़ने से नोएडा-ग्रेटर नोएडा में निवेश आकर्षित होगा, पर्यटन बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह एयरपोर्ट उत्तर भारत का एक प्रमुख एविएशन हब बनेगा। साथ ही, दिल्ली हवाईअड्डे पर दबाव कम होने से यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल पाएंगी। जेवर एयरपोर्ट को यमुना एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे और प्रस्तावित मेट्रो/बुलेट ट्रेन से जोड़ने की योजना है, जिससे यह नोएडा शहर से सुगमता से जुड़ा रहेगा। कुल मिलाकर, नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा नोएडा के भविष्य के विकास का केन्द्रबिंदु परियोजना है।
नोएडा की सफलता में उसके उत्कृष्ट परिवहन नेटवर्क की बड़ी भूमिका है। दिल्ली से सटे होने के कारण नोएडा शुरू से ही सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा रहा, लेकिन बीते दो दशकों में मेट्रो रेल के आगमन ने आवागमन को अत्यंत सुगम बना दिया है।
दिल्ली मेट्रो (DMRC) की ब्लू लाइन ने नवंबर 2009 में नोएडा तक अपनी सेवाएं शुरू कीं। ब्लू लाइन नोएडा को सीधे दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस और द्वारका उपनगर से जोड़ती है। वर्तमान में ब्लू लाइन नोएडा के भीतर नोएडा सेक्टर-62 तक आती है, जिसमें रास्ते में नोएडा सेक्टर-15, 16, 18 (अट्टा बाज़ार), बॉटैनिकल गार्डन, गोल्फ कोर्स, नोएडा सिटी सेंटर (सेक्टर-32) जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन हैं।
बाद में इसका विस्तार इलेक्ट्रॉनिक सिटी तक किया गया, जिससे नोएडा के औद्योगिक क्षेत्र (सेक्टर-62) तक मेट्रो पहुंच गई। दिल्ली मेट्रो की ही मैजेंटा लाइन ने जनवरी 2018 में नोएडा में प्रवेश किया – यह लाइन दक्षिण दिल्ली (जनकपुरी) को नोएडा के बॉटैनिकल गार्डन स्टेशन से जोड़ती है। बॉटैनिकल गार्डन अब एक इंटरचेंज स्टेशन है जहां ब्लू और मैजेंटा लाइन मिलती हैं। मैजेंटा लाइन ने नोएडा को दक्षिण दिल्ली और गुरुग्राम से आने-जाने में और सुविधा प्रदान की है।
नोएडा मेट्रो रेल (NMRC) द्वारा संचालित एक्वा लाइन नोएडा और ग्रेटर नोएडा को जोड़ने वाली विशेष मेट्रो सेवा है। एक्वा लाइन का संचालन जनवरी 2019 से शुरू हुआ। यह लाइन नोएडा के सेक्टर-51 स्टेशन से शुरू होकर ग्रेटर नोएडा के डिपो स्टेशन तक लगभग 29.7 किमी लंबाई में फैली है और इसमें कुल 21 स्टेशन हैं। एक्वा लाइन सेक्टर-51 (नोएडा) पर दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन (सेक्टर-52 स्टेशन) से एक वॉकवे द्वारा जुड़ी है, जिससे यात्रियों को नोएडा व ग्रेटर नोएडा के बीच सीधा आवागमन मिलता है। एक्वा लाइन के प्रमुख स्टेशनों में सेक्टर-50, सेक्टर-76, सेक्टर-101, परी चौक (ग्रेटर नोएडा) आदि शामिल हैं। नोएडा मेट्रो के दूसरे चरण की योजना भी प्रस्तावित है, जिसमें एक नई लाइन द्वारा नोएडा के अधिक सेक्टरों (जैसे सेक्टर-142, 143 आदि) को जोड़ने पर विचार किया जा रहा है।
सड़क मार्ग की बात करें तो नोएडा बेहतरीन राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से घिरा है। दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाला सबसे प्रसिद्ध मार्ग डीएनडी फ्लाईवे (DND) है – 1998 में बना यह 8-लेन का टोल ब्रिज मात्र कुछ ही मिनटों में नोएडा सेक्टर-15/16 को दक्षिण दिल्ली (कालिंदी कुंज) से जोड़ता है। इसके अलावा नोएडा को ग्रेटर नोएडा से जोड़ने वाला नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे वर्ष 2002 में चालू हुआ, जिसने नोएडा से ग्रेटर नोएडा की दूरी आधी कर दी।
25 किमी लंबा यह एक्सप्रेसवे आज शहर की रीढ़ की हड्डी है – सेक्टर-44, 93, 96, 132, 135 आदि नए सेक्टर इसी एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित हुए हैं। ग्रेटर नोएडा के पार यमुना एक्सप्रेसवे नोएडा/ग्रेटर नोएडा को आगरा शहर से जोड़ता है – 165 किमी लंबा यह उत्कृष्ट एक्सप्रेसवे 2012 में शुरु हुआ, जिसने दिल्ली से आगरा की यात्रा को 3 घंटे के भीतर संभव बना दिया।
नोएडा से होकर कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग भी गुजरते हैं, जैसे NH-24 (Delhi-Meerut एक्सप्रेसवे) जो नोएडा के उत्तर में स्थित इंदिरापुरम/ग्रेटर नोएडा वेस्ट क्षेत्र के पास से गुजरता है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे को दक्षिण में यमुना एक्सप्रेसवे और उत्तरी छोर पर प्रस्तावित फरीदाबाद-नोएडा-गाज़ियाबाद (FNG) एक्सप्रेसवे से जोड़ने की योजना है, जिससे पूरे NCR में एक रिंग रोड जैसी कड़ी बन जाएगी।
बस सेवा और सड़क परिवहन: नोएडा में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) और डीटीसी की बसें प्रचुर मात्रा में चलती हैं। नोएडा सेक्टर-34 में अंतरराज्यीय बस अड्डा (ISBT) है, जहां से लखनऊ, आगरा, मेरठ, अलीगढ़ इत्यादि शहरों के लिए बसें मिलती हैं। शहर के भीतर सेक्टरों को जोड़ने के लिए नोएडा मेट्रो (NMRC) ने सिटी बस सेवा भी शुरू की है। साथ ही, इलेक्ट्रिक रिक्शा, ऑटो-रिक्शा और कैब सेवाएं (ओला/उबर) हर समय उपलब्ध हैं जो लोकल परिवहन को आसान बनाती हैं।
इन बेहतरीन कनेक्टिविटी विकल्पों के चलते नोएडा में आवागमन सुगम है। लोग दिल्ली, गुरुग्राम या गाज़ियाबाद से नोएडा कार्य के लिए आसानी से आ-जा सकते हैं और नोएडा के निवासी भी मेट्रो/सड़क मार्ग से पूरे NCR में आवागमन कर पाते हैं। अच्छी कनेक्टिविटी ने नोएडा के आर्थिक विकास को तेज़ किया है और इसे NCR में रहने-काम करने के लिए एक पसंदीदा जगह बना दिया है।
नोएडा शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है। यहां कई प्रतिष्ठित स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित हैं जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करते हैं:
इनके अलावा नोएडा में भारतीय विद्यापीठ, केंद्रीय विद्यालय, समरविले स्कूल, अमेठी स्कूल, जीआईपी मेरिटस स्कूल जैसे कई अन्य स्कूल हैं। उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल प्रशिक्षण के लिए IIM Lucknow का नोएडा कैंपस (प्रबंधन अध्ययन), Media institutes (जैसे Film City में AAFT), तथा अनेकों कोचिंग संस्थान भी यहां सक्रिय हैं। नोएडा के छात्र देश-विदेश की प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करते रहे हैं, जो यहां की शिक्षा गुणवत्ता को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, नोएडा शिक्षा के क्षेत्र में एक पूर्ण परिसर शहर जैसा है जहां स्कूली शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की सुविधाएं उपलब्ध हैं। अच्छी शिक्षा सुविधाओं के कारण यह ज्ञान-आधारित उद्योगों और कुशल कार्यबल को पोषित करने में भी सहायक होता है।
नोएडा की आबादी ने पिछले कुछ दशकों में तेज़ वृद्धि देखी है। 2011 की जनगणना के अनुसार नोएडा शहर की आबादी लगभग 6.37 लाख थी, जिसमें 3.49 लाख पुरुष और 2.88 लाख महिलाएं थीं। उस समय नोएडा की साक्षरता दर 88.58% दर्ज की गई – पुरुष साक्षरता 92.9% और महिला साक्षरता 83.3% थी, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक थी। यह नोएडा की शहरी एवं शिक्षित जनसंख्या संरचना को दिखाता है। अनुसूचित जाति/जनजाति की आबादी मिलाकर शहर की कुल जनसंख्या का करीब 7% हिस्सा थी।
पिछले एक दशक में नोएडा की जनसंख्या में और वृद्धि हुई है। औद्योगिक और आईटी हब बनने से देशभर से लोग नोएडा आकर बस रहे हैं। नई आवासीय सोसायटियों के विकसित होने से आबादी का विस्तार नए सेक्टरों तक हुआ है। आधिकारिक रूप से 2021 की जनगणना COVID-19 के कारण स्थगित हो गई थी, लेकिन वर्तमान अनुमानों के मुताबिक नोएडा शहर की आबादी 9-10 लाख के बीच पहुंच चुकी है। कुछ अनुमानों के अनुसार 2025 तक नोएडा शहर की आबादी लगभग 9.3 लाख हो चुकी है। अगर नोएडा और इससे सटे ग्रेटर नोएडा को संयुक्त रूप से देखें, तो गौतम बुद्ध नगर जिले की कुल आबादी 2011 में ~16 लाख थी, जिसके 2023-24 तक 25 लाख से ऊपर होने का अनुमान है।
जनसंख्या के दृष्टिकोण से नोएडा एक बहुसांस्कृतिक शहर बन चुका है। मूल रूप से यहां के स्थानीय निवासी (जिनके गांव नोएडा में शामिल हुए) के अलावा भारी संख्या में देश के अन्य राज्यों – पंजाब, हरियाणा, बिहार, राजस्थान, बंगाल, उत्तराखंड, दक्षिण भारत आदि – से आकर लोग बसे हैं। नोएडा में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी समुदायों के लोग रहते हैं। 2011 में शहर की आबादी में हिंदू लगभग 80% थे, मुस्लिम ~15%, शेष सिख, जैन, ईसाई आदि मिलाकर 5% थे (जिले के आंकड़ों के अनुसार)। प्रवासी आबादी ज़्यादा होने से यहां प्रायः हिंदी, अंग्रेज़ी के साथ-साथ पंजाबी, मैथिली, मराठी, तमिल, गुजराती आदि भाषाएं बोलने वाले लोग भी मिल जाते हैं।
नोएडा की जनसंख्या युवा और कामकाजी वर्ग प्रधान है। आईटी और सर्विस सेक्टर की नौकरियों के चलते 20-40 आयु वर्ग के प्रोफेशनल्स बड़ी संख्या में यहां रहते हैं। नौकरीपेशा दंपतियों की भी खासी तादाद है। शिक्षा स्तर उच्च होने से शहर में मानव विकास सूचकांक अच्छा है। जनसंख्या वृद्धि के साथ नोएडा के समक्ष कुछ चुनौतियां भी आई हैं जैसे यातायात का दबाव, किफायती आवास की मांग, पर्यावरणीय दबाव आदि, जिन्हें प्राधिकरण अपने मास्टरप्लान के ज़रिये संतुलित करने का प्रयास कर रहा है।
जीवनशैली और पर्यावरण
नोएडा की जीवनशैली एक आधुनिक महानगर जैसी है, लेकिन दिल्ली की तुलना में यह अपेक्षाकृत शांत और सुव्यवस्थित मानी जाती है। शहर का नियोजित ढांचा जीवन को सुगम बनाता है – चौड़ी सड़कें, सेक्टरों में विभाजित आवासीय क्षेत्र, हरे-भरे पार्क और खेल के मैदान हर मोहल्ले के आस-पास मौजूद हैं।
नोएडा को अपने हरित आवरण के लिए भी जाना जाता है; यहां कई बड़े पार्क हैं, जिनमें सेक्टर-54 का रोज़ गार्डन, सेक्टर-91 का सिटी पार्क, और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध ओखला पक्षी विहार (बर्ड सैंक्चुअरी) शामिल हैं। ओखला बर्ड सैंक्चुअरी यमुना नदी के किनारे स्थित 3.5 वर्ग किमी का संरक्षित क्षेत्र है जहां सैकड़ों प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं, यह नोएडा-दिल्ली सीमा पर एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय साइट है।
जीवनशैली के पहलू में, नोएडा में मनोरंजन और खरीदारी के बेहतरीन विकल्प हैं। सेक्टर-18 नोएडा का प्रमुख कमर्शियल और मनोरंजन केंद्र है, जहां कई मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेस्टोरेंट और ब्रांडेड स्टोर हैं। यहीं स्थित DLF मॉल ऑफ इंडिया देश के सबसे बड़े शॉपिंग मॉल में से एक है, जिसमें सैकड़ों रिटेल स्टोर, अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड, फूड कोर्ट और सिनेमा हैं। इसके अलावा Great India Place (GIP) मॉल, Wave Mall, Gardens Galleria जैसे अन्य मॉल भी हैं जो युवाओं और परिवारों की पसंदीदा स्थल हैं।
नोएडा में कई थीम पार्क और मनोरंजन केंद्र भी हैं – जैसे Worlds of Wonder (WoW) वाटर पार्क, तथा बच्चों के लिए इमेजिनेशन पार्क आदि। शहर में कैफे कल्चर और नाइटलाइफ़ भी उभर रही है, विशेषकर सेक्टर-32 के लॉजिक्स मॉल या सेक्टर-18 के आसपास कई पब और रेस्तरां खुले हैं।
खेल और फिटनेस के लिए नोएडा में गोल्फ कोर्स (सेक्टर-38) और कई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स उपलब्ध हैं। नोएडा गोल्फ कोर्स एक 18-होल का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कोर्स है, जिसके किनारे ब्रिटिश काल के ऐतिहासिक स्मारक भी हैं। सेक्टर-21A में नोएडा स्टेडियम है जहां एथलेटिक्स ट्रैक, स्विमिंग पूल, टेनिस कोर्ट, स्क्वैश, बास्केटबॉल आदि की सुविधाएं हैं। इस प्रकार नोएडा निवासियों के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के पर्याप्त अवसर हैं।
स्वच्छता और पर्यावरण के मामले में नोएडा ने हाल के वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किया है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्वच्छ सर्वेक्षण में नोएडा को मध्यम आबादी श्रेणी के शहरों में भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया था। 2015 में एक सर्वेक्षण में नोएडा को उत्तर प्रदेश का “सर्वश्रेष्ठ शहर” कहा गया और 2020 के सर्वे में नोएडा 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में 25वें स्थान पर सबसे स्वच्छ पाया गया।
नोएडा प्राधिकरण शहर में कूड़ा प्रबंधन, हरित क्षेत्र बढ़ाने और प्रदूषण नियंत्रण पर लगातार काम कर रहा है। कई सेक्टरों में कूड़े से कम्पोस्ट खाद बनाने के प्लांट लगे हैं, सड़क किनारे वृक्षारोपण किए गए हैं और प्रदूषक उद्योगों पर निगरानी रखी जाती है।
फिर भी, NCR का हिस्सा होने के कारण नोएडा पूरी तरह समस्याओं से अछूता नहीं है। सर्दियों में दिल्ली की तरह यहां भी वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है जिसका बड़ा कारण पड़ोसी शहरों की पराली जलाना और वाहनों/उद्योगों का धुआं है। इस चुनौती से निपटने को नोएडा में ग्रेप (GRAP) नियम लागू होते हैं, जिसमें निर्माण कार्यों पर रोक, सड़क की पानी से धुलाई, डीजल जनरेटर पर पाबंदी जैसे उपाय किए जाते हैं। जलनिकासी की समस्या भी पुराने क्षेत्रों में देखी गई है – कुछ निचले इलाकों में भारी वर्षा पर जलभराव हो जाता है, हालांकि नए सेक्टरों में बेहतर ड्रेनेज इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है। भूजल स्तर में गिरावट भी एक मुद्दा है जिसे रेनवाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित कर ठीक करने का प्रयास है।
कुल मिलाकर, नोएडा की जीवनशैली एक संतुलित मिश्रण प्रस्तुत करती है – एक ओर बड़े शहरों जैसी आधुनिक सुविधाएं, तो दूसरी ओर पर्याप्त हरियाली और अपेक्षाकृत कम भीड़भाड़। यही कारण है कि नोएडा को NCR में उच्च गुणवत्ता जीवन के लिए जाना जाता है। आने वाले वर्षों में, जैसे-जैसे और विकास होगा, लक्ष्य है कि नोएडा इस संतुलन को बनाए रखते हुए एक सस्टेनेबल (टिकाऊ) शहर के रूप में उभरे।
नोएडा निरंतर विकास पथ पर अग्रसर है और आने वाले वर्षों में इसके और विस्तार की योजनाएं तैयार हैं। नोएडा मास्टरप्लान 2031 एवं 2041 के तहत शहर के भौगोलिक और आर्थिक विस्तार के खाके बनाए गए हैं। राज्य सरकार नोएडा को एक बहु-आयामी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना चाहती है, जहां उद्योग, निवास, परिवहन व मनोरंजन सुविधाओं का संतुलित मिश्रण हो।
“न्यू नोएडा” परियोजना: नोएडा के पूर्व और दक्षिण दिशा में एक नए योजना क्षेत्र को विकसित करने की योजना है, जिसे अनौपचारिक रूप से “न्यू नोएडा” कहा जा रहा है। जनवरी 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा प्राधिकरण के दायरे में लगभग 80 नए गांवों को शामिल करने की अधिसूचना जारी की। ये गाँव पड़ोसी बुलंदशहर जिले (60 गांव) व गौतम बुद्ध नगर के दादरी क्षेत्र (20 गांव) के हैं, जिनको मिलाकर एक विशेष निवेश क्षेत्र बनाने का लक्ष्य है। इसे दादरी-नोएडा-गाज़ियाबाद निवेश क्षेत्र (DNGIR) कहा जा रहा है, जिसके तहत 2041 तक नोएडा में बड़े पैमाने पर औद्योगिक और आवासीय विस्तार होगा।
न्यू नोएडा क्षेत्र में अत्याधुनिक औद्योगिक पार्क, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, लॉजिस्टिक हब और आवासीय कॉलोनियों का विकास प्रस्तावित है। इस नए उपग्रह शहर से नोएडा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और NCR में बढ़ती आबादी को समाहित करने की तैयारी है। अनुमान है कि न्यू नोएडा परियोजना के पूर्ण होने पर नोएडा की भौगोलिक सीमा दोगुनी हो जाएगी और 2040 तक नोएडा+ग्रेटर नोएडा की संयुक्त जनसंख्या 45-50 लाख तक पहुंच सकती है।
नई फिल्म सिटी: नोएडा में पहले से मौजूद फिल्म सिटी के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार एक दूसरी, अत्याधुनिक फिल्म सिटी विकसित करने जा रही है। यह नई फिल्म सिटी नोएडा से सटे यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र (JEWAR/YEIDA सिटी) में प्रस्तावित है। लगभग 1000 एकड़ में बनने वाली यह फिल्म सिटी आकार में वर्तमान फिल्म सिटी से दस गुना बड़ी होगी। अगले पांच वर्षों में इसके चरणबद्ध निर्माण की योजना है।
इस परियोजना का उद्देश्य उत्तर भारत में मनोरंजन उद्योग को एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म देना और मुंबई के फिल्म उद्योग का विकल्प तैयार करना है। नई फिल्म सिटी में विश्वस्तरीय स्टूडियो, बाहरी शूटिंग परिसर, फिल्म संस्थान, थीम पार्क, और उत्पादन सुविधाएं होंगी। यह परियोजना राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेकर आगे बढ़ाई जा रही है और उम्मीद है कि इससे न सिर्फ निवेश आएगा बल्कि हज़ारों रोज़गार भी सृजित होंगे।
औद्योगिक और आईटी पार्क: नोएडा में भविष्य के लिए कई नए औद्योगिक पार्क और आईटी पार्क भी योजना स्तर पर हैं। सेक्टर-142 से 150 के आसपास इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी या मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर बनाने की चर्चा है, ताकि अधिक से अधिक मोबाइल फोन एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्लांट यहां लगें।
नोएडा पहले ही एक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग ज़ोन के रूप में केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त कर चुका है, जिससे आने वाले दिनों में एप्पल जैसे ब्रांड के आपूर्तिकर्ता भी यहां इकाइयाँ खोल सकते हैं। इसके अतिरिक्त सेक्टर-85 और सेक्टर-153 के निकट डाटा सेंटर पार्क विकसित किए जा रहे हैं, जहां कई बड़ी आईटी कंपनियां अपने डेटा सेंटर स्थापित कर रही हैं – इसमें देश-विदेश की कंपनियों ने निवेश की घोषणा की है, जो नोएडा को डेटा सेंटर हब बनाएगा।
इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड: शहर में यातायात सुगम रखने के लिए भविष्य में कुछ नए मार्ग व सुविधाएं भी जोड़ने की योजना है। नोएडा मेट्रो (NMRC) की एक नई लाइन जो बॉटैनिकल गार्डन से सेक्टर-142 तक जाएगी, प्रस्तावित है– यह लाइन नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के साथ-साथ चलेगी और बीच में सेक्टर-91, 98, 108, 137 आदि को जोड़ेगी। दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन को भी नोएडा से आगे ग्रेटर नोएडा तक विस्तार देने की बातें चल रही हैं (जिससे नोएडा-ग्रेटर नोएडा सीधे जुड़ जाएं)।
सड़क परिवहन में, FNG एक्सप्रेसवे (फरीदाबाद-नोएडा-गाज़ियाबाद) पर कार्य प्रगति पर है – इसके बन जाने से नोएडा सीधे फरीदाबाद और गाज़ियाबाद से एक्सप्रेस मार्ग द्वारा जुड़ जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की दिल्ली एक्सटेंशन नोएडा के पास निकलने से पूर्वी उत्तर प्रदेश से कनेक्टिविटी और बढ़ेगी। शहर के अंदर ट्रैफिक प्रबंधन बेहतर करने हेतु कई नए फ्लाइओवर और अंडरपास बनाए जा रहे हैं – जैसे सेक्टर-25A/बी.एच.ई.एल. के पास, सेक्टर-12/22 के पास अंडरपास इत्यादि। पार्किंग की समस्या हल करने को मल्टीलेवल पार्किंग (जैसे सेक्टर-3, 5 में) का निर्माण हुआ है और आगे और स्थानों पर भी योजना है।
स्मार्ट सिटी और पर्यावरण: नोएडा को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए तकनीकी उन्नयन जारी है। शहर में सार्वजनिक स्थानों पर फ्री वाई-फ़ाई, इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम, CCTV सर्विलांस इत्यादि लगाए जा रहे हैं। नोएडा प्राधिकरण ने कई स्मार्ट सिटी मिशन प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जैसे स्मार्ट स्ट्रीटलाइट्स, स्मार्ट पब्लिक टॉयलेट्स, सोलर पावर प्लांट्स आदि. पर्यावरण संरक्षण के लिए 2030 तक नोएडा को कार्बन-न्यूट्रल शहर बनाने का लक्ष्य है – अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, पब्लिक इलेक्ट्रिक बसें और सोलर रूफटॉप यूनिट लगाने पर काम चल रहा है।
संस्कृति और मनोरंजन केंद्र: भविष्य में नोएडा में एक भव्य स्पोर्ट्स सिटी और विश्वस्तरीय म्यूज़ियम/सांस्कृतिक केंद्र बनाने की भी चर्चा है। यमुना एक्सप्रेसवे के पास एक इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम और F1 रेसिंग ट्रैक (बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट) पहले से मौजूद हैं, जिनके इर्द-गिर्द खेल विश्वविद्यालय या अकादमी खोले जा सकते हैं। सेक्टर-94 में एक बड़े कन्वेंशन सेंटर और प्रदर्शनी मैदान का कार्य चल रहा है, जिससे नोएडा कॉर्पोरेट इवेंट्स और कांफ्रेंस के लिए दिल्ली का विकल्प बन सके।
इन सभी योजनाओं का समग्र लक्ष्य नोएडा को एक समावेशी, टिकाऊ और उन्नत शहर बनाना है। नोएडा ने बीते 4-5 दशकों में जिस तरह आश्चर्यजनक प्रगति की है, वह दर्शाती है कि सही योजना और क्रियान्वयन से एक नया शहर कैसे सफल हो सकता है। आने वाले दशक में नोएडा के पास देश के अग्रणी शहरों की श्रेणी में स्थान बनाने का सुनहरा अवसर है। बुनियादी ढांचे से लेकर उद्योग और पर्यावरण तक संतुलित विकास पर जोर देकर नोएडा प्रशासन इस दिशा में कार्यरत है। अगर ये योजनाएं समयबद्ध पूरी होती हैं, तो नोएडा निस्संदेह न केवल उत्तर भारत बल्कि पूरे भारत के सबसे आकर्षक और प्रगतिशील महानगरों में शुमार होगा।
नोएडा शहर की स्थापना से वर्तमान तक का सफर यह दिखाता है कि कैसे एक सोची-समझी योजना ने एक छोटे से ग्रामीण क्षेत्र को महानगर में बदल दिया। नोएडा का इतिहास, इसकी वर्तमान उपलब्धियां और उज्जवल भविष्य की योजनाएं यह सिद्ध करती हैं कि यह शहर वास्तव में एक “आइडिया जो सफल हुआ” है– दिल्ली के बगल में एक ऐसा शहर जो अपनी अलग पहचान और महत्व रखता है।
संबंधित खबर… Noida News: नोएडा के सुनहरे कल के शिल्पकार डॉ. लोकेश एम के बारे में आइए जानते हैं