नोएडा में बिल्डिंग्स के स्ट्रक्चरल ऑडिट को लेकर एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब केवल सरकारी संस्थानों पर निर्भरता नहीं रहेगी। नोएडा प्राधिकरण ने निजी एजेंसियों को भी स्ट्रक्चरल ऑडिट की प्रक्रिया में शामिल करने का फैसला किया है। बोर्ड की मंजूरी के बाद इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है और जल्द ही आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी की जाएगी।
अभी केवल आठ सरकारी एजेंसियां पैनल में
फिलहाल नोएडा प्राधिकरण के पैनल में केवल आठ सरकारी इंजीनियरिंग संस्थान शामिल हैं जो स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए अधिकृत हैं:
1. IIT कानपुर
2. IIT दिल्ली
3. BITS पिलानी
4. दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी
5. MNNIT इलाहाबाद
6. MMU अलीगढ़
7. MNIT जयपुर
8. CBRI रुड़की
इन संस्थानों के पास सीमित संसाधन होने की वजह से बढ़ती मांग को पूरा करना कठिन हो रहा है, खासकर पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों के मामलों में।
निजी एजेंसियों को पैनल में जोड़ने की तैयारी
नोएडा प्राधिकरण अब इस पैनल में करीब 10 निजी एजेंसियों को जोड़ने की योजना बना रहा है। इसके लिए:
🔹एक सलाहकार कंपनी के माध्यम से RFP दस्तावेज तैयार किया जाएगा।
🔹एजेंसियों का चयन आरएफपी के जवाब के आधार पर किया जाएगा।
🔹चयनित एजेंसियों को सरकारी संस्थानों के साथ पैनल में स्थान दिया जाएगा।
इस कदम से बायर्स और बिल्डर्स को अधिक विकल्प मिलेंगे और स्ट्रक्चरल ऑडिट की प्रक्रिया अधिक लचीली और तेज हो सकेगी।
स्ट्रक्चरल ऑडिट क्यों है जरूरी?
1 अप्रैल 2023 से नोएडा प्राधिकरण ने यह अनिवार्य कर दिया था कि 15 मीटर से ऊंची हर इमारत को अधिभोग प्रमाणपत्र (Occupancy Certificate) पाने से पहले एक स्वीकृत एजेंसी से स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
यदि कोई बिल्डर बिना रिपोर्ट के आवेदन करता है तो उसका आवेदन अस्वीकृत कर दिया जाता है। ऐसे में अब तक प्राधिकरण ने 9 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट के बाद ही अधिभोग प्रमाणपत्र जारी किया है।
पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों की भी उठी मांग
नोएडा की 7 पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों — जैसे कि:
🔹सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (सेक्टर-93A)
🔹यूटोपिया रेजिडेंट (सेक्टर-93A)
🔹होम्स (सेक्टर-121)
🔹ग्रेट वैल्यू शरणम (सेक्टर-107)
🔹सिक्का कार्मिक (सेक्टर-78)
🔹अंतरिक्ष नेचर (सेक्टर-52)
इनकी ओर से स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की गई है। इसके लिए 2023 में एक कमेटी भी गठित की गई थी, लेकिन अब तक न तो सर्वे हुआ और न ही कोई ठोस कार्रवाई।
निजी एजेंसियों के आने से क्या होगा फायदा?
🔹स्ट्रक्चरल ऑडिट की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी
🔹बायर्स को विविध विकल्प मिलेंगे
🔹सरकारी संस्थानों पर अतिभार कम होगा
🔹पुरानी और नई दोनों प्रकार की इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।