मकर संक्रांति के पावन अवसर पर प्रयागराज के महाकुंभ में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। ठिठुरती ठंड और भोर की पहली किरण निकलने से पहले ही करोड़ों श्रद्धालु संगम पर पहुंचकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में अमृत डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़े। हर-हर महादेव और जय श्री राम के गगनभेदी जयघोषों के बीच यह दृश्य भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं का जीवंत प्रमाण बना।
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान के दौरान पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं की भव्य शोभायात्रा ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया। हाथों में त्रिशूल, तलवार और भाला लिए नागा साधु घोड़े और रथों पर सवार होकर स्नान के लिए संगम पहुंचे। उनकी उपस्थिति से पूरा क्षेत्र भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। शोभायात्रा में चल रही भजन मंडलियों और जयघोषों ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया।
रात से ही संगम की ओर बढ़ते श्रद्धालु सिर पर गठरी और बगल में झोला लिए हुए नजर आए। बुजुर्ग, महिलाएं और युवा सभी ठंड की परवाह किए बिना पवित्र स्नान के लिए संगम की ओर उमड़े। ब्रह्म मुहूर्त में गंगा में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया गया, और हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की गहन जांच की गई। डीआईजी कुंभ मेला वैभव कृष्ण और एसएसपी राजेश द्विवेदी ने घुड़सवार पुलिस के साथ मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया।
12 किलोमीटर लंबे घाट क्षेत्र में हर-हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष गूंजते रहे। नागा साधुओं के स्नान के साथ आम श्रद्धालुओं ने भी आस्था की डुबकी लगाई। संगम तट पर गंगा स्नान करने वालों की भीड़ चारों ओर फैली हुई थी, जो अपनी आस्था को व्यक्त करते हुए भक्ति में लीन नजर आए।
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालुओं ने इस अद्वितीय आयोजन में भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित किया। महाकुंभ में उमड़ी आस्था की यह लहर भारतीय परंपराओं की गहराई और दिव्यता को सजीव रूप में प्रस्तुत करती है।