उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विधायकों के फोन न उठाने और कॉल बैक न करने की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। इसको लेकर शासन ने सख्त रुख अपनाया है और निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य सचिव के निर्देशों की अनदेखी
मुख्य सचिव द्वारा पहले ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि वे विधायकों और सांसदों के फोन कॉल का जवाब दें और प्रोटोकॉल का पालन करें। इसके बावजूद कई जिलों में अधिकारी इन निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं।
प्रमुख सचिव ने जारी किए सख्त आदेश
प्रमुख सचिव संसदीय कार्य विभाग जेपी सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि सांसदों और विधायकों के प्रति शिष्टाचार, प्रोटोकॉल और सम्मान का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले भी कई शासनादेश जारी किए गए हैं, लेकिन अभी भी अधिकारियों द्वारा इन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।
संसदीय बैठकों में उठाया जा रहा मुद्दा
शासन को यह भी जानकारी मिली है कि विधायकों द्वारा यह मुद्दा सदन और संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठकों में बार-बार उठाया जा रहा है। इससे सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जो शासन के लिए खेदजनक है।
अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश
शासनादेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि:
शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि विधायकों और सांसदों के साथ समन्वय बनाए रखना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। यदि अधिकारी निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब देखना होगा कि प्रशासन इन आदेशों को कितनी गंभीरता से लागू करता है और अधिकारियों के व्यवहार में कितना सुधार होता है।