विकास परियोजनाओं के निर्माण से स्थानीय लोगों को कोई असुविधा न हो इसके लिए पहले से तैयारी की जाती है। लेकिन बलिया के अड़रा-पाण्डेय में निर्माण हो रहे एक्सप्रेस-वे निर्माण में ग्रामीणों के आवागमन को ध्यान में नहीं रखा गया।
ग्रामीणों के आवागमन के सारे रास्ते बंद कर दिए जा रहे हैं। लेकिन उनके लिए वैकल्पिक व्य़वस्था नहीं बनाई गई। जिससे स्थानीय लोग खासे नाराज हैं और उन्होंने एक्सप्रेसवे निर्माण का विरोध किया है।
ये नजारा बलिया के अड़रा-पाण्डेय का है जहां ग्रामीणों की तमाम सुविधाओं को रौंदकर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि एक्सप्रेस वे बनने के बाद करीब 10-15 गांव के लोगों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाएगा। लोगों के एक्सप्रेसवे के दूसरी तरफ खेत हैं, जहां से लगातार उन्हें आना जाना पड़ता है।
जिसके लिए अंडरपास बनने के बाद ही एक्सप्रेस वे पर काम करने दिया जाएगा। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान के साथ मिलकर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है।
दरअसल गांवों के बीचोंबीच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है। इस तरफ गांव है तो ज्यादातर किसानों की खेती दूसरी तरफ है। वहीं कई गांवों के लोगों का आवागमन भी इन्हीं रास्तों से होता है। एक्सप्रेसवे बन जाने बाद इनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। इसलिए ग्रामीणों ने अंडरपास बनाने की गुहार लगाई है।
क्षेत्र में चल रही विकास परियोजनाओं के बदले ग्रामीणों की सुविधाओं नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अपने हकों को लेकर ग्रामीण न्याय की गुहार लगा रहे हैं। ऐसा न होने से ग्रामीण और कृषकों का जीवन यापन करना कठिन हो जाएगा। वहीं इस पार से उस पर जाने के लिए 10 से ज्यादा गांवों के किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए एक्सप्रेसवे बनाने से पहले ग्रामीणों को रास्ते का विकल्प देना होगा।