प्रदेश में 10 फरवरी से शुरू होने वाले फाइलेरिया रोधी अभियान (एमडीए) में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), पंचायती राज और बेसिक शिक्षा विभाग भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस अभियान में व्यापक स्तर पर जनसहयोग सुनिश्चित किया जाएगा। इसी के तहत प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने संबंधित विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर अभियान में योगदान देने की अपील की है।
भारत सरकार ने वर्ष 2027 तक देश को फाइलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी कड़ी में 10 से 28 फरवरी के बीच उत्तर प्रदेश के 14 जिलों (लखनऊ, उन्नाव, बाराबंकी, अमेठी, बलिया, बरेली, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, प्रयागराज और सोनभद्र) के 45 ब्लॉकों में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान संचालित किया जाएगा। अभियान के तहत एक वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगियों को छोड़कर सभी स्वस्थ व्यक्तियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं दी जाएंगी।
एनआरएलएम के पोषण सखियां निभाएंगी अहम भूमिका
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पोषण सखी, मिशन मैनेजर और ब्लॉक मैनेजर पहले से ही राज्य सरकार के विभिन्न अभियानों में सहयोग कर रहे हैं। इस अभियान के दौरान, पोषण सखियां घर-घर जाकर जागरूकता फैलाने का कार्य करेंगी और उन परिवारों को समझाने में मदद करेंगी जो दवा लेने से हिचकिचाते हैं। वहीं, मिशन मैनेजर और ब्लॉक मैनेजर अभियान की गतिविधियों का पर्यवेक्षण करेंगे।
ग्राम प्रधान और पंचायत प्रतिनिधि देंगे अभियान को गति
पंचायती राज विभाग के सहयोग से, ग्राम प्रधान, जिला पंचायत अध्यक्ष, बीडीसी सदस्य और ब्लॉक प्रमुख भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। प्रमुख सचिव ने उनसे 10 फरवरी को अपने क्षेत्र में अभियान का शुभारंभ करने, स्वयं दवा खाकर जागरूकता फैलाने और लोगों को प्रेरित करने का अनुरोध किया है।
बेसिक शिक्षा विभाग का भी सहयोग
प्रमुख सचिव ने बेसिक शिक्षा विभाग को भी इस अभियान से जोड़ने का निर्णय लिया है। इसके तहत –
1. स्कूलों में जागरूकता रैली निकाली जाएगी।
2. प्रार्थना सभा में फाइलेरिया से बचाव की जानकारी दी जाएगी।
3. बच्चों की डायरी में फाइलेरिया के बारे में विशेष संदेश लिखा जाएगा।
4. स्कूल में मिड-डे मील के बाद बच्चों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी।
5. शिक्षक प्रतिरोधी परिवारों को समझाकर दवा लेने के लिए प्रेरित करेंगे।
निष्कर्ष
इस अभियान के माध्यम से सरकारी विभागों के तालमेल से प्रदेश में फाइलेरिया उन्मूलन को गति दी जाएगी। पंचायत प्रतिनिधियों, शिक्षकों और पोषण सखियों की भागीदारी से अधिक से अधिक लोगों तक यह संदेश पहुंचेगा और फाइलेरिया मुक्त उत्तर प्रदेश के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।