यूपी के कासगंज जिले में गंगा नदी विकराल रूप धारण कर खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं। नरौरा बैराज से दो लाख नौ हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसके बाद गंगा के किनारे बसे गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। पटियाली तहसील के बरी बगवास और ओम नगरिया गांव में बने कच्चे बांध को तोड़कर गांगा का पानी खेतों में भर गया और सड़कों को भी पार कर गया। जिससे इलाके को तकरीबन 60 गांव जलमग्न हो गए हैं।
गंगा नदी के रौद्र रूप से हजारों बीघा जमीन और फसल जलमग्न हो गई है। यहां गंगा के जलस्तर ने पिछले करीब 12 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कासगंज जिले में गंगा के जलस्तर ने 164 मीटर का आंकड़ा छू लिया है, और करीब 165 मीटर पर खतरे का निशान है। गंगा नदी के किनारे बसें गांवों के ग्रामीणों की फसलें, खेत खलियान सब पूरी तरह जलमग्न हो गये है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है।
यहां के हालात पर अधिकारी भी गांव वालों को जागरूक कर रहे हैं। इसके साथ ही सिंचाई विभाग की ओर से बाढ़ रोकने के सभी इंतजाम किये जा रहे हैं। बरौना गांव में बाढ़ रोकने के लिये जियो ट्यूब के 19 स्टड बनाये गये हैं। गंगा के खतरे के निशान के करीब पहुंचने पर निचले इलाकों में बड़े नुकसान की आशंका है। लेकिन प्रशासन वहां की चुनौतियों से पार पाने की कोशिश में लगा हुआ है।
गांवों में गंगा का पानी भरने से में रोजी-रोटी का संकट हो गया है। लोग पानी में चारा काटने के लिए मजबूर हैं। लोगों को खुद के भोजन के साथ ही पशुओं के चारे की चिंता सता रही है। ओम नगरिया चौराहे पर पानी बदायूं-मैनपुरी हाईवे के ऊपर से जा रहा है। लोगों को सड़क भी कटने की चिंता सता रही है। लेकिन प्रशासन ने सड़क पर काम शुरू करा दिया है। स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार मुआवजा दे और बरी बगवास पर और नरदोली से राजेपुर कुर्रा तक पक्का बांध बनाया जाये।
नवाबगंज नगरियां गांव के रहने वाले जयप्रकाश ने यूपी की बात की टीम को बताया कि बांध का किनारा कट गया है और गंगा नदी से पानी आ रहा है। उन्होंने बताया कि स्थिति का जायजा लेने अधिकारी कल आए थे। उन्होंने कहा कि हर साल ऐसा ही होता है। जब उनसे पूछा गया कि कितना नुकसान हुआ है, तो उन्होंने कहा कि यहां काफी नुकसान हुआ है।
कासगंज से संवाददाता अशोक कुमार शर्मा की रिपोर्ट।