गोरखपुर में बाढ़ की समस्या निरंतर बनी हुई है। मानसूनी बारिश के साथ नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण राप्ती नदी का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रहा है। जिससे निचले इलाकों में जलभराव की समस्या से लोग जूझ रहे हैं।
राप्ती नदी के किनारे बसें गांवों में बाढ़ का पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में सैकड़ों घर पूरी तरह से पानी में जलमग्न हो चुके हैं और जिससे करीब 40,000 लोग प्रभावित हुए हुए हैं। जिनको मजबूरन अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में और अस्थायी आश्रयों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, गुरुवार शाम के 4 बजे तक राप्ती नदी का जलस्तर 74.42 मीटर पर था। एक्सपर्ट्स की बात माने तो राप्ती नदी का जलस्तर धीरे धीरे घट रहा है। इसी के साथ जिला प्रशासन द्वारा लगातार राहत और बचाव कार्य किए जा रहे है। NDRF और SDRF की टीमें मौके पर तैनात हैं और 100 से अधिक नावों के माध्यम से लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।
बाढ़ के चलते स्वच्छ पानी की उपलब्धता और साफ-सफाई की स्थिति भारी मात्रा में प्रभावित हुई है। जल-जनित बीमारियों के फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें नावों से गांवों का दौरा कर रही हैं और मेडिकल कैंप का आयोजन कर रही हैं, ताकि लोगों को प्राथमिक चिकित्सा और आवश्यक दवाइयां उपलब्ध हो सके।
बाढ़ के कारण गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से पूरी तरह से खत्म हो चुका है, जिससे कई स्कूल तक जाने वाली सड़कें बंद हो गई हैं। ऐसे में बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और लोग अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए परेशान दिख रहे हैं। सरकार ने बेशक बंद स्कूलों में अस्थायी आश्रय स्थलों के रूप में व्यवस्था की है, ताकि बाढ़ पीड़ितों को राहत मिल सके पर लोगों को बाढ़ के बाद आने वाली चिंताओं की चिंता है।