जालौन जिले में माधौगढ़ नगर पंचायत के कई परिवारों को आज भी सरकारी सुविधाओं से महरूम है। हालात ये हैं कि यहां करीब 20 परिवार नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। ये लोग किसी तरह से सरकारी जमीन पर अपना जीवन काट रहे हैं। इन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज रहना पड़ रहा है। पीड़ित परिवार के लोगों ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों पर आरोप लगाया है।
सरकार गरीब लोगों के लिए शुरू करती है योजनाएं पर जनप्रतिनिधि की बेरुखी से गरीब वंचित
सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाएं लागू कर रही है। लेकिन स्थानीय जन प्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते निचले पायदान पर जीवन जीने वाले लोगों को इन योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है। ताजा मामला जालौन जिले की माधौगढ़ नगर पंचायत का है जहां करीब 20 परिवार स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उदासीनता का नतीजा भुगत रहे हैं।
मामला क्या है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये लोग करीब 40 साल से सरकारी जमीन पर झुग्गी बनाकर रह रहे हैं। लेकिन नगर पंचायत की तरफ से उन्हें कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है। इन लोगों की हालत ये है कि इनके पास न तो रहने के लिए घर है और ना ही कोई दूसरी सुविधा। रोजी रोटी का भी कोई खास जरिया नहीं है, इसलिए वो किसी तरह से अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं।
यहां के लोगों का आरोप है कि स्थानीय नेता हर बार वोट मांगने आते हैं और हर बार ही आश्वासन दे जाते हैं कि जल्द ही उनकी सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। लेकिन वोट के बाद समस्याओं का समाधान तो दूर, नेता पांच साल तक दर्शन नहीं देते। यहां के लोगों ने कई बार नगर पंचायत के जिम्मेदारों को अपनी समस्या बताई लेकिन किसी ने भी उनकी बात नहीं सुनी।
लोग बीमार पर पार्षद की बात सुनने को तैयार नहीं
हालात ये हैं कि इस जगह पर गंदगी इतनी है कि यहां के स्थानीय निवासी कई बार बीमार पड़ जाते हैं। गरीबी के चलते ये लोग अपना इलाज तक नहीं करवा पाते। जिसके चलते कई लोगों की इलाज के अभाव में जान तक चली गई। लेकिन इन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहां तक कि नगर पंचायत के जिम्मेदार अपने पार्षद की बात तक सुनने को तैयार नहीं हैं|
सरकार की योजनाएं बीच में ही नदारद हो जाती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। गरीबों के लिए घर, शौचालय, स्वास्थ्य कार्ड, फ्री राशन समेत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन स्थानीय जन प्रतिनिधियों की नाकामी के चलते गरीब लोग सरकारी योजनाओं से वंचित रह रहे हैं। ऐसे में जन प्रतिनिधियों को इन गरीब लोगों की सुनवाई करनी चाहिए। ताकि इन लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। फिलहाल इस खबर में इतना ही आप देखते रहिए यूपी की बात।