महाकुंभ 2025 का आयोजन भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस ऐतिहासिक आयोजन पर बोलते हुए इसकी भव्यता और सफलता की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने पूरे विश्व को भारत की विशालता और एकता का परिचय दिया। यह आयोजन ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करता है, जहां विभिन्न राज्यों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग एकजुट होकर प्रयागराज में एकत्र हुए।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, महाकुंभ ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अगले 1000 वर्षों के लिए खुद को तैयार कर रहा है। यह आयोजन देश की सामूहिक चेतना और उसकी अपार शक्ति को दर्शाता है।
विपक्ष का विरोध: मृतकों का जिक्र नहीं करने पर आपत्ति
पीएम मोदी के इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने लोकसभा में विरोध दर्ज कराते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष का आरोप था कि प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की सफलता की बात तो की, लेकिन इस दौरान हुए हादसों और मृतकों के बारे में कोई जिक्र नहीं किया।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री केवल अपनी बात कहकर चले गए और विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि महाकुंभ में कितने लोग लापता हुए, कितने लोगों की मृत्यु हुई, और सरकार उनके परिवारों के लिए क्या कर रही है, इस पर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए था।
केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि महाकुंभ दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन था, और प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी सफलता के लिए सभी के प्रयासों को सराहा है। उन्होंने कहा कि कुंभ जैसे आयोजन से देश की एकता और संस्कृति की ताकत का प्रदर्शन होता है, और यह पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा बनता है।
विपक्ष की मांग: सभी को मिले बोलने का मौका
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि महाकुंभ पर पीएम मोदी ने सकारात्मक बातें कीं, लेकिन विपक्ष को भी अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अवसर मिलना चाहिए था। विपक्ष के नेताओं ने मांग की कि उन्हें भी दो मिनट का समय दिया जाना चाहिए था ताकि वे भी इस आयोजन पर अपनी बात कह सकें।