प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयागराज के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने महाकुंभ मेले के लिए कलश की स्थापना करते हुए 5700 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का शिलान्यास-उद्घाटन किया।
बता दें कि पीएम का हेलिकॉप्टर साढ़े 11 बजे बमरौली एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। वहां से अरैल घाट पहुंचे, फिर निषादराज क्रूज में सवार होकर संगम तट पर गए। यहां साधु-संतों से मुलाकात के बाद संगम नोज पर 30 मिनट गंगा पूजन किया। गंगा को चुनरी और दूध चढ़ाया।
पीएम ने अक्षयवट की परिक्रमा की। इसके बाद लेटे हनुमान जी की आरती उतारी, फिर भोग अर्पित किया। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी पीएम के साथ हैं।
1. पीएम मोदी ने प्रयागराज के पावनभूमि को प्रणाम करते हुए महाकुंभ में पधार रहे सभी साधु-संतों को नमन किया। इसी के साथ महाकुंभ को सफल बनाने के लिए दिन-रात काम करने वाले कर्मचारियों और सफाई कर्मियों का अभिवादन भी किया।
2. पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ 2025 में AI चैट बॉट 11 भाषाओं में चैट करेगा। हमारी ये मंशा है कि लोग इसकी मदद से महाकुंभ में ज्यादा से ज्यादा जुड़ें।
3. कुंभ और धार्मिक यात्राओं का इतना बड़ा महत्व होने के बावजूद पहले की सरकारों ने इसके महत्म पर ध्यान नहीं दिया। श्रद्धालु ऐसे आयोजनों में कष्ट उठाते रहे, लेकिन तब की सरकारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। इसकी वजह थी कि भारतीय संस्कृति से उनका लगाव नहीं था। आज केंद्र और राज्य में भारत के प्रति आस्था और भारतीय संस्कृति को सम्मान देने वाली सरकार है।
4. यहां आकर ऋषि-मुनि, विद्वान, सामान्य सब एक हो जाते हैं
5. महाकुंभ में जातियों का भेद खत्म हो जाता है
6. लोगों को जागरूक करने के लिए गंगादूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्रों की नियुक्ति की गई है। इस बार 15 हजार से ज्यादा मेरे सफाईकर्मी भाई-बहन कुंभ की स्वच्छता को संभालने वाले हैं।
7. पहले कुंभ जैसे आयोजन सामाजिक परिवर्तनों के आधार थे।
8. गुलामी के कालखंड में भी कुंभ की आस्था नहीं रुकी। राजा-महाराजाओं का दौर हो या सैकड़ों वर्षों की गुलामी का कालखंड, आस्था का यह प्रवाह कभी नहीं रुका। इसकी एक बड़ी वहज यह रही है कि कुंभ का कारक कोई बाहरी शक्ति नहीं है।
9. प्रयागराज वो स्थान, जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते हैं।
10. विश्व का इतना बड़ा आयोजन, रोज लाखों श्रद्धालुओं के स्वागत, 45 दिनों तक चलने वाला महायज्ञ, एक नया नगर बसाने का महा अभियान। प्रयागराज की धरती पर एक नया इतिहास रचा जा रहा है। अगले साल महाकुंभ का आयोजन देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक पहचान को नए शिखर पर पहुंचाएगा। मैं बड़े विश्वास के साथ कहता हूं कि अगर मुझे इस महाकुंभ का वर्णन करना हो तो मैं कहूंगा कि यह एकता का ऐसा महायज्ञ होगा, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होगी।
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