मिल्कीपुर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चंद्रभानु पासवान को अपना प्रत्याशी बनाया, और अब तक के रुझानों में वे सपा प्रत्याशी से आगे चल रहे हैं। अगर यह बढ़त अंत तक बरकरार रहती है, तो चंद्रभानु पासवान इस सीट पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करेंगे।
भाजपा का युवा चेहरे पर दांव सही साबित होता दिख रहा
भाजपा ने इस उपचुनाव में एक नए और युवा चेहरे पर दांव लगाया था, जो अब सफल होता दिख रहा है। संगठन की ओर से कराए गए सर्वे और जनप्रतिनिधियों की राय के आधार पर चंद्रभानु पासवान को प्रत्याशी घोषित किया गया था। उनकी राजनीतिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि भी काफी मजबूत है, जिससे उन्हें चुनावी रणनीति बनाने में मदद मिली।
चंद्रभानु पासवान: कारोबारी से राजनेता तक का सफर
चंद्रभानु पासवान कपड़े और पेपर के बड़े कारोबारी हैं, जिनका कारोबार गुजरात के अहमदाबाद और सूरत तक फैला हुआ है। इसके अलावा, वे पेशे से एक अधिवक्ता भी हैं। भाजपा संगठन में वे जिला कार्यसमिति के सदस्य हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख के रूप में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
टिकट की दौड़ में कई बड़े नामों को पीछे छोड़ा
भाजपा के टिकट के लिए इस सीट पर कई दिग्गज नेताओं की दावेदारी थी। पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी भी इस दौड़ में शामिल थे। इसके अलावा, उपपरिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार को भी टिकट के मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा था। उन्होंने तो टिकट के लिए आवेदन करने के बाद सरकारी सेवा से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) तक के लिए आवेदन कर दिया था। लेकिन, इन सभी दावेदारों को पीछे छोड़कर चंद्रभानु पासवान को पार्टी ने टिकट दिया।
राजनीतिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि
- चंद्रभानु पासवान रुदौली के परसौली गांव के निवासी हैं।
- इनकी शैक्षिक योग्यता बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी है।
- उनकी पत्नी कंचन पासवान दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं।
- 2015 में रुदौली पंचम सीट से 8,396 मतों से विजयी हुईं।
- 2021 में रुदौली चतुर्थ सीट से 11,382 मतों से जीत दर्ज की और जिले में सबसे अधिक वोट पाने वाली प्रत्याशी बनीं।
- उनके पिता बाबा राम लखन दास भी 2021 में ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए।
- वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी जुड़े रहे हैं।
मिल्कीपुर में भाजपा की जीत का बढ़ता प्रभाव
अगर चंद्रभानु पासवान इस उपचुनाव में जीत दर्ज करते हैं, तो यह भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में इसी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को समाजवादी पार्टी से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार पार्टी ने एक नए चेहरे को मौका देकर चुनावी रणनीति में बदलाव किया, जो राजनीति के रूप में भाजपा के लिए सटीक साबित हुआ।