योगी सरकार सूबे से सभी जिलों के ग्राम पंचायतों में सौंदर्यीकरण के नाम पर अमृत सरोवर योजना चला रही है। बढ़ते जल संकट को देखते हुए सरकार इस योजना के तहत किसानों को 50 हजार तालाब देगी। जिससे कि इन तालाबों में जल संग्रह हो सके और उन संग्रहित जल का उपयोग किसान सिंचाई एवं मछलीपालन के लिए कर सकें। लेकिन मैनपुरी जिले में करहल विकासखंड के ग्राम पंचायत ररुआ में इस योजना के नाम पर बड़ा घोटाले का मामला सामने आया है।
योगी सरकार जल के संचय के लिए काफी संवेदनशील है। जल के संकट को देखते हुए सरकार पेड़ लगाने की भी मुहीम चला रही है। इसके बाद भी सूबे में कहीं न कहीं से ऐसी खबरे सामने आ जाती हैं, जिससे सरकार की मंशा पर पानी फिरता हुआ नजर आता है। सरकार की इन योजनाओं के माध्यम में ग्राम प्रधान बड़ा घोटाला करते हैं। जिससे सरकार की योजना जनता तक नहीं पहुंच पाती है।
विकासखंड करहल क्षेत्र के ग्राम पंचायत ररुआ में योगी सरकार की मंशा के अनुसार अमृत सरोवर बनाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य है कि नीचे गए जलस्तर को ऊपर उठाया जा सके। अगर तालाब में पानी रहेगा तो ग्राम पंचायत में जलस्तर भी ऊपर आएगा। जिससे जानवरों के पीने के लिए भी पानी मिलेगा। इस योजना पर ग्राम प्रधान बिना किसी भी मानक के ही कार्य करा रहे हैं। प्रदेश सरकार लगातार दावे करती है कि ज्यादा से ज्यादा कार्य मनरेगा से कराएं जाए लेकिन ग्राम प्रधान ररुआ की मनमानी के चलते मजदूरों की बजाए जेसीबी से खुदाई का काम कराया जा रहा है और मनरेगा के नाम पर पैसा निकाला जा रहा है।
इसी हकीकत का जायजा लेने यूपी की बात की टीम ग्राम पंचायत ररुआ पहुंची। जहां पर ग्रामीणों से बात की तो हकीकत सामने आ गई। गांव वालों ने प्रधान पर आरोप लगाया कि तालाब की खुदाई कुछ को मजदूर लगाकर कराया गया लेकिन जेसीबी से भी खुदाई कराई गई है। जिसका पैसा मनरेगा से निकाला गया है। ऐसे में गांव के लोग प्रधान पर काफी क्रोधित हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि मशीन (जेसीबी) आई थी। छह से सात घंटे चली है।
मैनपुरी से संवाददाता देवेंद्र सिंह पाल की रिपोर्ट।