नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एनएमआरसी) बॉटेनिकल गार्डन से सेक्टर-142 एक्वा लिंक लाइन के निर्माण से पहले टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण कराने की प्रक्रिया में जुट गया है। इस 11.56 किलोमीटर लंबे मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण पर अनुमानित 2254.35 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसका उपयोग प्रतिदिन लगभग 1.25 लाख यात्री करेंगे।
एनएमआरसी ने इस सर्वे के लिए एक विशेष कंपनी का चयन किया है, जो 15-20 दिनों के भीतर पूरे मार्ग का अध्ययन करेगी। सर्वेक्षण के दौरान मिट्टी की गुणवत्ता, जमीन की ऊंचाई-गहराई, भौगोलिक संरचना और अन्य तकनीकी पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। इस डेटा के आधार पर ही पिलर्स की ऊंचाई, नींव की मजबूती और निर्माण डिजाइन तय की जाएगी। सर्वे रिपोर्ट पूरी होने के बाद एक अन्य कंसल्टेंट कंपनी को परियोजना का ब्लूप्रिंट तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
इसके बाद, अंतिम रिपोर्ट और डिजाइन को आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) को भेजा जाएगा। मंत्रालय की मंजूरी मिलने पर ही निर्माण कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। एनएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. लोकेश एम के अनुसार, केंद्र सरकार को परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पहले ही भेजी जा चुकी है। हालांकि, कुछ प्रश्नों के समाधान के बाद ही अनुमति की प्रक्रिया पूरी होगी। उन्होंने बताया कि मंजूरी मिलने के छह महीने के भीतर निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है और पूरा कॉरिडोर लगभग पांच वर्षों में तैयार होगा।
टोपोग्राफी सर्वेक्षण का महत्व
यह सर्वेक्षण मेट्रो मार्ग के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। इसमें जमीन की प्रकृति, संरचना और संभावित चुनौतियों का अध्ययन कर निर्माण योजना को सटीक बनाया जाता है। उदाहरण के लिए, मिट्टी की जांच से पिलर्स की गहराई और नींव की सामर्थ्य का पता चलता है, जो परियोजना की सुरक्षा और टिकाऊपन के लिए अहम है। इस लिंक लाइन के पूरा होने पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात सुविधा में बड़ा सुधार होगा, साथ ही यह क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी गति देगा।