नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-94 में प्रस्तावित हैबिटेट एंड कन्वेंशन सेंटर की परियोजना पर एक बार फिर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। 217वीं बोर्ड बैठक में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर एक विस्तृत प्रस्ताव पेश किया गया, जिस पर अब पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर निर्माण की योजना तैयार की जा रही है।
395 करोड़ की लागत, ग्रीन बिल्डिंग और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर
2017 में प्रस्तावित इस योजना की लागत पहले 433 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जिसे घटाकर अब 395 करोड़ कर दिया गया है। यह परियोजना 62088 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाई जानी है। इसमें ग्रीन प्लेटिनम रेटिंग के मानकों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट बिल्डिंग के रूप में विकास किया जाएगा। भवन में डबल बेसमेंट, 31 मंजिल, और कन्वेंशन सेंटर में ऑडिटोरियम, बैक्वेंट हॉल, कांफ्रेंस रूम सहित कई आधुनिक सुविधाएं प्रस्तावित हैं।
काम कई बार शुरू हुआ लेकिन रुका, अब वायबिलिटी पर फोकस
इस प्रोजेक्ट पर 2021 में राजकीय निर्माण निगम ने काम शुरू किया था, लेकिन बेसमेंट में पानी भरने की समस्या के चलते काम ठप पड़ गया। अब प्राधिकरण ने परियोजना का प्रबंधन स्वयं लेने का निर्णय किया है। इसके लिए एक महीने में वायबिलिटी बेस्ड प्रजेंटेशन तैयार कर अगली बोर्ड बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
क्यों जरूरी है वायबिलिटी रिपोर्ट?
नोएडा एक्सप्रेसवे क्षेत्र में कई ऐसी कमर्शियल इमारतें बनी हैं जिनके स्पेस अब भी खाली हैं। ऐसे में यह जांच जरूरी हो गया है कि क्या हैबिटेट एंड कन्वेंशन सेंटर जैसी परियोजना वास्तव में आर्थिक रूप से सफल हो सकती है। इसी कारण इस बार डीपीआर और प्रजेंटेशन में वायबिलिटी अध्ययन को प्रमुखता दी जाएगी।
क्या-क्या होगा इस सेंटर में?
कन्वेंशन सेंटर में:
हैबिटेट सेंटर में:
दो साल में बनकर तैयार हो सकता है केंद्र
यदि अगली बोर्ड बैठक में परियोजना को हरी झंडी मिल जाती है तो निर्माण कार्य दोबारा शुरू किया जाएगा और इसे दो साल में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। नोएडा प्राधिकरण के अनुसार, इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए संभाव्य निवेशकों और एजेंसियों से साझेदारी की जाएगी।