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Modi Cabinet 3.0: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का नौकरशाह से राजनेता बनने का सफर, आइए जानते हैं…

Railway Minister Ashwini Vaishnav's journey from bureaucrat to politician, let's know...

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आम चुनाव 2024 में एनडीए गठबंधन की जीत के बाद उड़ीसा से राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव को एक बार फिर से मोदी 3.0 सरकार में रेलवे मंत्रालय और सूचना विभाग मंत्रालय सौंपा गया है। वैष्णव को टेक्नोकैट्र मंत्री के रूप में भी जाना जाता है और राजनीति में आने से पहले ये 1994 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और बालासोर और कटक जिलों में कलेक्टरेट के रूप में काम किया। वहीं 1999 में सुपर चक्रवात के सटीक समय और स्थान से संबंधित डेटा को सफलता पूर्वक एकत्र करने में कामयाब रहे, जिसकी सहायता से ओडिशा सरकार ने ओडिशा के लोगों के लिए पहले ही सुरक्षा के उपाय कर लिए।

अश्विनी वैष्णव का शुरुआती जीवन

अश्विनी वैष्णव का जन्म 18 जुलाई 1970 को राजस्थान के पाली जिले के जीवंद कल्लन गांव में हुआ फिर उनका परिवार जोधपुर राजस्थान में शिफ्ट हो गया। इनके माता का नाम सरस्वती वैष्णव और पिता का नाम दाऊ लाल वैष्णव है जो कि अधिवक्ता और कर सलाहकार के रूप में कार्यरत रहे। इनके एक भाई आनंद वैष्णव हैं। वहीं अश्विनी वैष्णव का विवाह 1995 में सुनीता वैष्णव से हुआ जो की पेशे से उद्यमी हैं। उनके दो बच्चे हैं। जिनमें बेटा राहुल वैष्णव Apple Inc. कंपनी में कार्यरत हैं और बेटी तान्या वैष्णव सामाजिक उद्यमी के रूप में कार्य कर रही हैं।

अश्विनी वैष्णव ने शिक्षा कहा से ग्रहण की

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने मूल निवास जोधपुर राजस्थान के सेंट एंथोनी स्कूल और महेश स्कूल से की है। वहीं 1991 में बीए की पढाई उन्होंने एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान से किया है और एमटेक की पढ़ाई 1994 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश से पूरी की। 2008 में, वैष्णव पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने के लिए अमेरिका चले गए। बता दें कि 1994 में 27वें अखिल भारतीय रैंक के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने से पहले एमटेक की पढ़ाई पूरी की।

सिविल सेवा में कार्यरत

अश्विनी वैष्णव 1994 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में सम्मिलित हुए और उन्हें ओडिशा कैडर मिला। वहीं अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिससे उनके प्रशासनिक कौशल और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण का प्रदर्शन साफ-साफ दिखा। उन्होंने ओडिशा के कटक जिले में कलेक्टर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और बाद में बालासोर जिले में कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला। साल 2003 में, उन्हें पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यालय में उप सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। 2004 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आम चुनाव हारने के बाद भी वैष्णव ने वाजपेयी के निजी सचिव के रूप में काम करना जारी रखा और यहीं से वे भाजपा के नजर में आना शुरू हो गए।

उनका योगदान इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी बढ़ा। 2006 से 2008 तक, वैष्णव ने मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने बंदरगाह और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर 2010 में उन्होंने नौकरशाही सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया।

राजनीति में आने से पहले दर्जनों कंपनियों में दी सेवाएं

ब्यूरोक्रेसी छोड़ने के बाद अश्विनी वैष्णव ने करीब एक दर्जन नामी कंपनियों में अपनी सेवाएं दी। जहां लगभग सभी कंपनियों में उनका पद डायरेक्टर का था। जनरल इलेक्ट्रिक और साइमेंस जैसी कंपनियों में काम कर चुके वैष्णव साल 2012 में मारुति और होंडा जैसी मशहूर कंपनी की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने में भी सहायता करी।

अश्विनी वैष्णव का गुजरात कनेक्शन

साल 2012 के आसपास ही वैष्णव ने गुजरात में कंपनियों की नींव डाली। उनकी पहली कंपनी थ्री टी ऑटो लॉजिस्टिक्स (Three Tee Auto Logistics) कंपनी रही। देशभर में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सर्विस मुहैया कराने वाली इस कंपनी की शुरुआत उन्होंने दिनेश कुमार मित्तल के साथ की। वैष्णव वर्ष 2017 तक इस कंपनी के डायरेक्टर के रूप में कार्यरत रहे। अश्विनी वैष्णव की पत्नी सुनीता वैष्णव भी इस कंपनी से जुड़ी रही हैं।

फिर Three Tee Auto Logistics कंपनी नरेंद्र मोदी के गुजरात का सीएम रहते हुए लगातार वाइब्रेट गुजरात समिट (Vibrant Gujarat Summit) में सम्मिलित होती रही है। साल 2017 में कंपनी ने राज्य के हालोल और पंचमहल में भारी-भरकम निवेश का ऐलान किया था। इसी तरह अश्विनी वैष्णव एक और कंपवी वी जी ऑटो कॉम्पोनेन्ट्स (Vee Gee Auto Components) से जुड़े रहे हैं। यह मुख्य तौर पर सुजुकी मोटर्स, गुजरात के साथ मिलकर काम करती है। वैष्णव इस कंपनी में भी साल 2017 तक डायरेक्टर हुआ करते थे।

पीएम मोदी के संपर्क में कैसे आए?

गुजरात में विभिन्न कंपनियों में कामकाज के दौरान ही अश्विनी वैष्णव नरेंद्र मोदी के संपर्क क्षेत्र में आए थे। मोदी उनके कामकाज से इतने प्रभावित हो चुके थे कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी नीतियों पर उनकी सलाह लिए बिना उस काम को आगे नहीं बढ़ाते थे। ऐसे में वैष्णव और मोदी को एक दूसरे को प्रत्यक्ष रूप से जानने के पीछे एक और कारण है कि, वे धड़ल्ले से गुजराती बोल लेते हैं और उनकी पुरानी पीढ़ी गुजरात के भावनगर से ही जोधपुर गई थी। वहीं साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली पहुंचे थे तब भी दोनों की बातचीत हुआ करती थी।

राजनीतिक गलियारा और अश्विनी वैष्णव

जून 2019 में, अश्विनी वैष्णव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा। जनसेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने तेजी से पार्टी के भीतर जिम्मेदारियां संभालीं।भाजपा में शामिल होने के कुछ समय बाद, वैष्णव को अधीनस्थ विधान और याचिकाओं की समिति के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। इन नियुक्तियों ने इन क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञता और नीति निर्माण में योगदान के लिए उनके समर्पण को प्रदर्शित किया।

वैष्णव ने मोदी 3.0 सरकार में रेल और सूचना मंत्रालय मिलने से पूर्व भारतीय संसद के सदस्य रहे हैं जिसके तहत राज्यसभा में ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व किया है । उन्होंने ओडिशा में बीजू जनता दल के सदस्यों की मदद से निर्विरोध राज्यसभा चुनाव जीता था।

फिर 8 जुलाई, 2021 को, वैष्णव ने अपने राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, क्योंकि उन्होंने रेल मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और संचार मंत्री के रूप में शपथ ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस पदोन्नति ने उनकी क्षमताओं और सरकार द्वारा उनमें रखे गए भरोसे को रेखांकित किया।

पारदर्शिता रखकर काम करने में रखते हैं विश्वास

अश्विनी वैष्णव ने शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को मजबूती ने निर्वहन किया है। उन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान, भ्रष्टाचार को खत्म करने और एक स्वच्छ और कुशल प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए एक अटूट तत्परता को दर्शाया है।

वहीं एक सिविल सेवक के रूप में, वैष्णव ने सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय भी किए। उन्होंने ई-गवर्नेंस सिस्टम को लागू करने, सरकारी प्रक्रियाओं को सरल बनाने और नौकरशाही लालफीताशाही को कम करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका इन सब सुधारों को लेकर बस एक ही नजरिया था कि अधिक नागरिक-केंद्रित और उत्तरदायी शासन ढांचा तैयार हो ताकि आम लोग और सरकारी योजनाओं और कार्यों को समक्ष सकें।

मोदी 3.0 सरकार में उन्हें ये पद मिला

09 जून 2024 को राष्ट्रपति भवन में मोदी 3.0 सरकार ने संविधान के प्रति शपथ लिया। ऐसे में 2 दिन बाद ही मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री का शपथ लेने वाले अश्विनी वैष्णव ने उन्हें अवांटित किए गए विभाग रेल मंत्रालय और सूचना और केंद्रीय सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय का भार संभाल लिया।

अश्विनी वैष्णव 7 बिंदुओं में…

1. अश्विनी वैष्णव की अद्भुत शैक्षिक पृष्ठभूमि
2. भारत सरकार में एक बहु-पोर्टफोलियो मंत्री
3. स्वर्ण पदक विजेता- 1991 में जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज (जेएनवीयू) से स्नातक करने के बाद।
4. एक आईएएस अधिकारी के रूप में 1994 में 27वीं रैंक।
5. ओडिशा में सुपर साइक्लोन से बचाव के उपायों में वैष्णव की अहम भूमिका
6. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उप सचिव, सरकार जाने के बाद भी किया काम
7. ओडिशा रेल दुर्घटना 2023 में इस्तीफे की मांग। यह दुर्घटना शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस के उस ट्रैक पर आने पर हुआ जहाँ एक मालगाड़ी रुकी हुई थी।

संक्षेप में, अश्विनी वैष्णव की उपलब्धियाँ और देश का प्रति उनका समर्पण भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। उनका बहुमुखी व्यक्तित्व, एक प्रगतिशील राष्ट्र के लिए एकरूपता को दर्शाता है। वहीं एक प्रभावशाली नेता के रूप में, वैष्णव का योगदान भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर अपना अमिट छाप छोड़ता है।

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