उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और आसपास के जिलों में बादल छाए हुए हैं। मौसम विभाग ने यूपी के 12 जिलों में भारी बारिश का एलर्ट जारी किया है। भारी बारिश और डैम से पानी छोड़ने पर 15 जिलों में नदियां ऊफान पर हैं। जिससे करीब 80 गांवों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। वहीं वाराणसी में अभी घाट और सीढ़िया जलमग्न है, ऐसे में गंगा आरती छत से हो रही है।
यूपी में शुक्रवार को 50 जिलों में करीब 6.4 MM बारिश हुई है। वहीं सबसे ज्यादा बारिश मथुरा में 72 MM हुई तो वाराणसी में 55 MM बरसात हुई। मौसम विभाग के अनुसार अगले 5 दिनों तक प्रदेश में ऐसा ही मौसम बना रहेगा।
बलिया में अभी भी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 24 सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं। वहीं, कानपुर और कन्नौज में गंगा वार्निंग लेवल के करीब पहुंच गई हैं। बाराबंकी में घाघरा, सिद्धार्थनगर में राप्ती और गोंडा में क्वनो नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
वाराणसी में गंगा अभी स्थिर हैं। जलस्तर 67.12 मीटर पर है, जो कि खतरे के निशान से 3 मीटर नीचे है। नमो घाट, अस्सी घाट गंगा में डूबे हैं। पिछले 15 दिन से गंगा आरती छत पर हो रही है। मणिकर्णिका घाट पर अभी भी लाशों को छत पर जलाया जा रहा है। जल पुलिस और NDRF की निगरानी में लोग गंगा स्नान कर रहे हैं।
BHU के मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव ने अनुसार, यूपी में अगले 5 दिनों तक मानसून एक्टिव दिखाई पड़ रहा है। ट्रफ लाइन झारखंड से होकर गुजर रही है। यूपी में लगातार बंगाल की खाड़ी से नम हवा के आने का सिलसिला जारी है।
प्रदेश में 22 अगस्त तक 53 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं, 22 जिलों में सामान्य और सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। 1 जुलाई से अब तक 477.8 MM बारिश हुई है। जो कि नॉर्मल 533 MM से 10 प्रतिशत कम है।
24 अगस्त- 75% इलाकों में भारी बारिश हो सकती है।
25 अगस्त- 75% इलाकों में भारी बारिश के आसार।
26 अगस्त- 50% इलाकों में भारी बारिश हो सकती है।
27 अगस्त- 50% इलाकों में भारी बारिश का अनुमान।
28 अगस्त- 25% से ज्यादा क्षेत्र में बारिश।
29 अगस्त- 25% से ज्यादा क्षेत्र में बारिश की उम्मीद।
IMD के आंकड़े बताते हैं- 2001 से यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही। साल दर साल इसमें कमी आ रही। यूपी में सामान्य बारिश तब मानी जाती है, जब यह 823 से 860 मिलीमीटर के बीच हो।
5 साल के आंकड़ों को देखने पर साफ हो जाता है कि कैसे प्रदेश में मानसून की बारिश में कमी आई। इस कमी का सीधा असर यहां के ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ा है। इन 5 साल में सबसे कम बारिश 2022 में हुई। यह नॉर्मल से करीब 36% तक कम थी।
IMD के मुताबिक, 2019 में जून से सितंबर के बीच प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी। अलीगढ़, हापुड़, इटावा, बागपत, संभल, अमरोहा, बदांयू जैसे जिलों में 60 से 80 फीसदी तक कम बारिश हुई थी।