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Moradabad News: रामगंगा पुल बंद; आधी-अधूरी तैयारियों से शहर में बढ़ी मुश्किलें, यात्री परेशान

रामगंगा पुल बंद होने के बाद शहर में कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था न होने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली, मेरठ और अन्य शहरों की बसों को रोका जा रहा है, जिससे यात्रियों को आठ किलोमीटर पहले ही उतार दिया जा रहा है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Moradabad News: रामगंगा पुल बंद; आधी-अधूरी तैयारियों से शहर में बढ़ी मुश्किलें, यात्री परेशान

रामगंगा पुल बंद होने के बाद शहर में कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था न होने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली, मेरठ और अन्य शहरों की बसों को रोका जा रहा है, जिससे यात्रियों को आठ किलोमीटर पहले ही उतार दिया जा रहा है। ऑटो चालकों ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए मनमाना किराया वसूला, वहीं अस्थायी बस अड्डे पर मूलभूत सुविधाओं की कमी यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ा रही है।

विभागों के बीच तालमेल की कमी बनी परेशानी की वजह

पांच दिनों से प्रशासन, पुलिस, परिवहन निगम, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के बीच समन्वय न बनने के कारण कोई ठोस योजना नहीं बन सकी। प्रशासन ने जल्दबाजी में पुल बंद करने का निर्णय तो ले लिया, लेकिन वैकल्पिक मार्गों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की।

शनिवार को अधिकारियों की बैठक में बसों के संचालन को लेकर चर्चा की गई थी, लेकिन उसके बावजूद यात्रियों को असुविधा हो रही है। खासतौर पर, मुरादाबाद डिपो तक यात्रियों से पूरा किराया लिया जा रहा है और उन्हें जीरो प्वाइंट पर ही उतार दिया जा रहा है, जिससे वे मजबूरी में महंगा किराया देकर ऑटो से यात्रा करने या पैदल चलने को मजबूर हैं।

प्राइवेट बसों को छूट, सरकारी बसें प्रभावित

दिल्ली, मेरठ, अमरोहा, गाजियाबाद, लखनऊ और अन्य शहरों से आने वाली सरकारी बसों को एमडीए कार्यालय के सामने बनाए गए अस्थायी बस अड्डे पर ही रोक दिया गया, जबकि निजी बसें बिना किसी रोक-टोक के शहर के भीतर आ-जा रही हैं। प्रशासन और यातायात पुलिस द्वारा जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों के चलते अस्थायी बस अड्डे पर शौचालय, पानी और बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यात्रियों और स्टाफ को परेशानी हो रही है।

बसों का संचालन जारी रखने के अन्य विकल्प

प्रशासन द्वारा दिल्ली और लखनऊ रूट की बसों के लिए शहर के दोनों बस अड्डे बंद कर दिए गए हैं, जबकि बिना बस अड्डे बंद किए भी संचालन जारी रखा जा सकता था। लखनऊ, बरेली, आगरा और चंदौसी से आने वाली बसों को हनुमान मूर्ति तिराहे के रास्ते पीतलनगरी बस अड्डे पर प्रवेश दिया जा सकता है। इसी तरह, आगरा और चंदौसी जाने वाली बसों को भी इसी मार्ग से भेजा जा सकता है। लखनऊ, बरेली और रामपुर की बसों को दिल्ली रोड पर लाकर पाकबड़ा जीरो प्वाइंट से निकाला जा सकता है। दिल्ली, मेरठ और अमरोहा की बसें पूर्व की तरह सीधे मुरादाबाद डिपो से संचालित की जा सकती हैं।

महाकुंभ की तर्ज पर पांटून पुल बनाने का सुझाव

रामगंगा पुल बंद होने से जामा मस्जिद पुल पर छोटे वाहनों का अत्यधिक दबाव बढ़ गया है। इस समस्या के समाधान के लिए महाकुंभ की तर्ज पर रामगंगा पुल के पास पांटून पुल बनाने का सुझाव दिया गया है। रामगंगा पुल के पास से एक रास्ता कटघर रेलवे स्टेशन के सामने से होकर गुलाबबाड़ी फाटक मार्ग से प्रभात मार्केट की ओर जाता है। यदि यहां अस्थायी पांटून पुल बना दिया जाए, तो छोटे वाहनों और दोपहिया वाहनों के आवागमन के लिए एक और वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो सकता है।

इस पुल को डियर पार्क के पास काशीपुर तिराहे से भी जोड़ा जा सकता है। वर्तमान में रामगंगा नदी में जलस्तर काफी कम है, जिससे बड़े-बड़े सीमेंट पाइप डालकर भी अस्थायी पुल का निर्माण किया जा सकता है। इससे पैदल यात्रियों और छोटे वाहनों को काफी राहत मिलेगी।

टीपी नगर से होना था बस अड्डे का संचालन, एमडीए के इनकार से बिगड़ी स्थिति

पहले टीपी नगर से अस्थायी बस अड्डे का संचालन किया जाना था, लेकिन एमडीए के अचानक इनकार करने के कारण प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी।परिवहन निगम मुरादाबाद की क्षेत्रीय प्रबंधक ममता सिंह ने बताया कि बैठक में उन्होंने प्रस्ताव रखा था कि दिल्ली और मेरठ की बसों को शहर के अंदर आने दिया जाए, लेकिन गंगन पुल की कमजोर स्थिति का हवाला देते हुए बसों को नया मुरादाबाद से ही संचालित करने का आदेश जारी कर दिया गया।

रामगंगा पुल बंद होने के बाद प्रशासन की जल्दबाजी और बिना समुचित योजना बनाए लिए गए निर्णयों के कारण यात्रियों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी बसों का संचालन बाधित हो गया है, जबकि निजी बसें बेरोकटोक चल रही हैं। यात्रियों को यात्रा के दौरान मूलभूत सुविधाओं का अभाव, अधिक किराया और असुविधाजनक यात्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यदि प्रशासन अस्थायी पांटून पुल बनाने और बसों के संचालन के लिए नए मार्गों को अनुमति देने जैसे सुझावों पर अमल करे, तो इस समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है।

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