नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर दो नए अंडरपास—एक झट्टा (16.900 किमी चैनेज पर) और दूसरा सुल्तानपुर गांव (6.10 किमी चैनेज पर)—बनाने की योजना है। इन दोनों परियोजनाओं के लिए पांच-पांच कंपनियों ने निविदाएं जमा की थीं, लेकिन तकनीकी जांच के दौरान सभी कंपनियों के प्रस्ताव रिजेक्ट कर दिए गए। अब प्राधिकरण को इन दोनों अंडरपास के लिए दोबारा टेंडर जारी करना होगा। इससे परियोजना में कुछ हद तक देरी होना तय है। इन अंडरपासों का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया था।
झट्टा अंडरपास सेक्टर-145, 146, 155 और 159 के बीच 800 मीटर लंबा होगा, जिस पर करीब 99.74 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह अंडरपास नवविकसित और विकासाधीन सेक्टर-151, 153, 154, 155, 156, 157, 158, 159, 162 और 9 गांवों को फायदा पहुंचाएगा।
दूसरा अंडरपास सुल्तानपुर गांव के पास 731 मीटर लंबा बनेगा, जिसकी लागत 81.61 करोड़ रुपये आंकी गई है। इससे सेक्टर-104, 105, 106, 107, 108, 110, 80, 81, 82, 83, 127, 128, 129, 130, 131, 132, 133, 134, 135, फेस-2, एनएसईजेड और 11 गांवों को जोड़ने में मदद मिलेगी।
इस बार अंडरपास के निर्माण में तकनीकी बदलाव किया जा रहा है। पहले बनाए गए अंडरपास जैसे कोंडली, एड्वेंट और सेक्टर-96 बॉक्स पुशिंग तकनीक से बने थे, जिनमें एक्सप्रेसवे की सड़क धंसने की समस्याएं सामने आईं। इसलिए अब डायाफ्राम वॉल तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।
इस तकनीक के तहत बिना सड़क की खुदाई किए, जमीन के अंदर मजबूत दीवारें (डायाफ्राम वॉल) तैयार की जाती हैं। फिर ऊपर छत ढाली जाती है और बाद में बीच की मिट्टी को हटाकर अंडरपास की सड़क बनाई जाती है। यह तरीका अधिक टिकाऊ माना जा रहा है और सड़क पर दबाव भी कम पड़ता है। हालांकि निर्माण के दौरान कुछ समय के लिए ट्रैफिक प्रभावित हो सकता है।