प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित हो रहे संत सम्मेलन में रविवार को संतों ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जहाँ संतों ने संकल्प लेते हुए कहा कि अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद अब मथुरा और काशी को त्रासदा से मुक्त कराएंगे। बता दें कि यह आयोजन विश्व हिंदू परिषद के शिविर में आयोजित हो रहा था जहाँ संत सम्मेलन का कार्यक्रम हुआ। बता दें कि इस आयोजन में संतों ने धर्मांतरण, लव जिहाद, सामाजिक समरसता, परिवार की संयुक्तता, हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार के साथ-साथ संस्कृति का संवर्धन संरक्षण जैसे विषयों के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी गहन चर्चा किया है।
इस आयोजन में संतों ने स्पष्ट रूप से कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी 2022 को हुए भगवान श्री राम की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब काशी और मथुरा से भी मुस्लिम समाज को अपना दावा छोड़ देना चाहिए, क्योंकि अब रामलला के आने के बाद हिंदू समाज चुप नहीं बैठने वाला है।
प्रयागराज में आयोजित हो रहे माघ मेले में, संत सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अपने भाषण में कहा कि सनातन धर्म पर न जाने आजतक कितने प्रहार किए गए हैं लेकिन फिर भी हम धर्म की शक्ति से अडिग रहे हैं। उन्होंने अपनी बात रखते हुए यह भी कहा कि यहां लिया गया संकल्प और विचार कभी अधूरा नहीं रहता है और आज के दिन हम सब संकल्प ले रहे हैं कि हम अयोध्या नगरी की तरह मथुरा और काशी को भी मुक्त कराएंगे।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती के आह्वान पर संतों ने एक स्वर में हामी भरी कि 2025 में होने वाले कुंभ के आयोजन पर जब हम सब इसी पावन भूमि पर एकत्रित एक साथ आएंगे। उस समय से पहले ही मुस्लिम समाज को काशी और मथुरा पर किए हुए अपने दावों को वापस लेना होगा, वर्ना अभी तो केवल तीन मंदिर की बात कही गई है पर इसके बाद तोड़े गए सभी मंदिरों पर हम अपना दावा करेंगे, और अपने कलंक के सारे अवशेषों को समाप्त कर देंगे।