लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 154 IAS अफसरों को विभिन्न पदों पर पदोन्नति देने की प्रक्रिया को मंगलवार को मंजूरी मिली। यह निर्णय मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक में लिया गया।
इसमें वर्ष 2000 बैच के आठ IAS अफसरों में से सात अफसरों को प्रमुख सचिव बनाने पर सहमति बनी, जबकि एक अफसर के खिलाफ विभागीय जांच चलने के कारण उसे इस पदोन्नति से बाहर रखा गया। इसके अलावा कुछ अन्य अफसरों को सचिव, विशेष सचिव और सलेक्शन ग्रेड सहित अन्य पदों पर पदोन्नति दी गई है।
डीपीसी में चर्चा के दौरान यह भी फैसला किया गया कि 2009 बैच के 40 IAS अफसरों को विशेष सचिव से सचिव के पद पर पदोन्नत किया जाएगा। इनमें लखनऊ के डीएम सूर्यपाल गंगवार, सुभ्रा सक्सेना, अदिति सिंह और अन्य अफसरों के नाम शामिल हैं।
इस बैच के कुछ अन्य अफसरों को भी पदोन्नति दी जाएगी, जबकि कुछ अफसरों पर विचार नहीं किया गया, क्योंकि उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।
वर्ष 2000 बैच के IAS अफसरों को प्रमुख सचिव पद
वर्ष 2000 बैच के आठ IAS अफसरों में से सात अफसरों को प्रमुख सचिव बनाने पर सहमति बनी है। प्रमुख सचिव पद के लिए अफसरों को सचिव पद से पदोन्नति दी जाती है और इसके लिए 25 साल की सेवा अनिवार्य होती है।
इस बैच में रंजन कुमार, सौरभ बाबू, दीपक अग्रवाल, अमित गुप्ता, मनीष चौहान, धनलक्ष्मी के, अनुराग यादव और रणवीर प्रसाद शामिल हैं। इनमें से एक अफसर के खिलाफ विभागीय जांच चलने के कारण उसका नाम पदोन्नति की सूची से बाहर रखा गया है।
इन अफसरों के अलावा, अन्य नामों की सूची में मानवेंद्र सिंह और मार्कंडेय शाही जैसे अफसरों के नाम भी शामिल हैं। इन अफसरों की पदोन्नति शासन की योजनाओं के अनुसार की जाएगी, और यह पदोन्नति एक जनवरी से प्रभावी होगी।
कनिष्ठ प्रशासनिक वेतनमान और सलेक्शन ग्रेड का लाभ
इसके अलावा, DPC ने वर्ष 2012 और 2016 बैच के IAS अफसरों को भी विभिन्न पदों पर पदोन्नति देने पर सहमति जताई। वर्ष 2012 बैच के 51 अफसरों को सलेक्शन ग्रेड, 2016 बैच के 38 अफसरों को कनिष्ठ प्रशासनिक वेतनमान, और 2021 बैच के 17 अफसरों को 6600 ग्रेड पे दिया जाएगा। यह पदोन्नति अफसरों की सेवा की अवधि के आधार पर दी जाएगी।
पदोन्नति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि डीपीसी की बैठक में पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की गई। जिन अफसरों पर विभागीय जांच चल रही थी, उनके बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया, ताकि किसी भी प्रकार की अनुशासनात्मक प्रक्रिया प्रभावित न हो।
हालांकि, जिन अफसरों ने सेवा के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिया गया है।
इस प्रक्रिया से यह साफ होता है कि यूपी सरकार प्रशासनिक सुधारों और अफसरों की कार्यक्षमता को लेकर गंभीर है। अब यह देखना होगा कि इन पदोन्नत अफसरों के कामकाज से राज्य की विकास योजनाओं पर क्या असर पड़ता है और प्रशासनिक कार्यों में कितनी गति आती है।
यह पदोन्नति केवल अफसरों के लिए ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के नागरिकों के लिए भी सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इस कदम से राज्य के प्रशासन में सुधार और दक्षता आने की उम्मीद है।
This Post is written by Abhijeet Kumar yadav