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Mahakumbh 2025: ‘शंकराचार्य प्रामाणिक होने चाहिए, राजनीतिक नहीं’ – स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

गोवर्धनमठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य का पद प्रामाणिकता और परंपरा पर आधारित होना चाहिए, न कि राजनीतिक प्रभाव से प्रभावित।

नकली शंकराचार्यों पर कड़ा प्रहार

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि देश में आज नकली शंकराचार्यों की भरमार हो गई है। उन्होंने दावा किया कि एक आतंकवादी व्यक्ति को पुरी का नकली शंकराचार्य बनाकर घुमाया गया और यहां तक कि उसे आरएसएस कार्यालय में ठहराया गया। उन्होंने इसे शासनतंत्र द्वारा अराजक तत्वों को दिया गया संरक्षण बताया।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि शंकराचार्य प्रामाणिक होने चाहिए, न कि किसी राजनीतिक दल – सपा, बसपा या भाजपा – से जुड़े हुए। उनका मानना है कि शंकराचार्य का दायित्व धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाना है, न कि राजनीति में संलिप्त होना।

धर्म संसद में नहीं बुलाए जाने पर प्रतिक्रिया

महाकुंभ में आयोजित धर्म संसद में अपनी अनुपस्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि यदि धर्म संसद में परंपरागत शंकराचार्यों की भूमिका को लेकर कोई सवाल उठाया गया तो उन्होंने उसका खंडन नहीं किया।

सनातन बोर्ड की जरूरत पर सवाल

सनातन बोर्ड को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर शंकराचार्य अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन करें, तो इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर कई समस्याओं का समाधान किया है, लेकिन वर्तमान समय में अलग-अलग संस्थाएं बनाकर नई लकीर खींचने का चलन बढ़ गया है।

गंगा की स्थिति पर चिंता

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने गंगा नदी की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गंगा के उद्गम स्थल को लगभग विलुप्त कर दिया गया है। हेलिकॉप्टर से निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि गंगा में गंदे नालों का पानी मिलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया था, लेकिन अब तक गंदे नालों का गिरना बंद नहीं हुआ। उन्होंने बेगूसराय का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां शहर के गंदे पानी से खाद बनाई जाती है और पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन गंगा में नहीं डाला जाता।

संगम क्षेत्र में हुई दुर्घटना पर प्रतिक्रिया

हाल ही में संगम क्षेत्र में हुई दुर्घटना, जिसमें कई लोगों की जान चली गई, पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को सतर्क और संयमित रहने की आवश्यकता है।

उन्होंने प्रशासन की विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि सिर्फ घोषणाएं करने से व्यवस्था नियंत्रित नहीं होती। मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख व्यक्त किया, लेकिन भावुकता के वशीभूत होकर अध्यात्म में मनोरंजन का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पर उन्होंने संगम में स्नान किया, ताकि उनके कार्यों की वजह से कोई और दुर्घटना न हो। उन्होंने संतों की विवेकशीलता की प्रशंसा की, जिन्होंने अमृत स्नान के दौरान संयम बनाए रखा और उपद्रव से बचा।

श्रद्धा में कोई कमी नहीं

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि इस घटना के बावजूद हिंदुओं की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने पीड़ित परिवारों के लिए ईश्वर से दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की और सभी श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की सलाह दी।

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