इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीतापुर से कांग्रेस सांसद राकेश राठौर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
अदालत में क्या हुई दलीलें?
सांसद राकेश राठौर की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि शिकायतकर्ता ने चार साल बाद मुकदमा दर्ज करवाया, जिससे यह मामला संदिग्ध लगता है। उन्होंने यह भी कहा कि राठौर को झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है। वहीं, शिकायतकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सांसद के प्रभाव और दबंग छवि के कारण पीड़िता ने देर से शिकायत दर्ज करवाई।
न्यायालय का आदेश
राठौर के अधिवक्ता ने समर्पण के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने उन्हें दो हफ्ते के भीतर सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। इससे पहले, सीतापुर की सत्र अदालत ने भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
क्या है पूरा मामला?
15 जनवरी को सीतापुर कोतवाली में पीड़िता ने सांसद राकेश राठौर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पीड़िता का आरोप है कि चार वर्षों तक शादी का झांसा देकर और राजनीतिक करियर में मदद का वादा कर उनका शोषण किया गया।
पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा के अनुसार, पीड़िता ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और कॉल रिकॉर्डिंग भी सौंपी हैं। पुलिस ने इन साक्ष्यों की जांच के बाद मामला दर्ज किया। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और न्यायाधीश के समक्ष उसका बयान भी दर्ज हो चुका है। साथ ही, उसे सुरक्षा मुहैया करवाई गई है।
राकेश राठौर का राजनीतिक सफर
राकेश राठौर ने 2017 में भाजपा के टिकट पर सीतापुर से चुनाव जीता था। हालांकि, 2021 में सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए उनकी एक ऑडियो क्लिप लीक हुई, जिसमें उन्होंने कोरोना महामारी से निपटने के तरीके और पार्टी के जातिगत भेदभाव पर सवाल उठाए थे। इसके बाद, उन्होंने भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी का रुख किया, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। बाद में, उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश वर्मा को हराकर जीत दर्ज की।