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SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया कावड़ रुट पर नेमप्लेट मामला

SUPREME COURT:  यूपी मे योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था। इस आदेश के दौरान कावड़ यात्रा के मार्ग में सामान बेचने वाले लोगों को अपने नाम को प्रदर्शित करना होगा। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी है। महुआ मोइत्रा की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया कावड़ रुट पर नेमप्लेट मामला

SUPREME COURT:  यूपी में योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था। इस आदेश के दौरान कावड़ यात्रा के मार्ग में सामान बेचने वाले लोगों को अपने नाम को प्रदर्शित करना था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने, यूपी सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी है। महुआ मोइत्रा की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के अलावा उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को भी यह नोटिस जारी किया है कि दुकानदारों को पहचान बताने की और दुकान मालिकों को नाम बताने की जरूरत नहीं है।

दुकानदारों को सिर्फ खाने के प्रकार बताने की जरूरत है। मतलब यह कि दुकान पर सिर्फ लिखे होन की जरूरत है कि वहां मांसाहारी खाना मिल रहा है या शाकाहारी खाना। योगी सरकार के फैसले की सुनवाई पीठाधीश जस्टिस हरिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी के बेंच द्वारा की गई।

मुज्जफरनगर में किया गया विरोध प्रदर्शन

दरअसल, मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश दिया था ,जिसपर प्रदेश सरकार ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए शुक्रवार को इसे पूरे राज्य में बढ़ा दिया था।

इस सप्ताह की शुरुआत में मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा आदेश जारी किया गया था कि कांवड़ यात्रा वाले रूट पर दुकानदार अपनी दुकान पर नेमप्लेट लगाएं ताकि कावड़ियां को पता चले कि दुकानदार का नाम क्या है। सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरु कर दिया था।

26 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ढाबा मालिकों, फल विक्रेताओं, फेरीवालों समेत खाद्य विक्रेताओं को भोजन या सामग्री का प्रकार प्रदर्शित करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों की पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

दुकानदारों को सिर्फ खाने के प्रकार बताने होंगे कि आपके ढाबा में खाने का प्रकार शाकाहारी है या मांसाहारी केवल यही बताना होगा।इस मामले में अब 26 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।इस फैसले पर कांग्रेस ने पहली प्रतिक्रिया दी थी। उत्तर प्रदेश स्थित बाराबंकी से कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

नेताओं ने जताई नाराजगी

दरअसल,फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि यूपी सरकार का यह फैसला समाज को तोड़ने वाला था। सरकार के इस फैसले से समाज ने भेदभाव और हीनता बढ़ जाएगी। हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, कि योगी सरकार का यह फैसला पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है ।कांवड़ यात्रा आदेश पर रोक की जानकारी मिली है, इसे सबसे पहले यूपी सरकार ने शुरू किया था और फिर उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में इसे लागू किया गया।

इससे धार्मिक भेदभाव हो रहा था और हमने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और सभी निर्देशों पर रोक लगा दी है। यह संविधान और भारत के लोगों के लिए बहुत बड़ी जीत है।

This post is written by PRIYA TOMAR and Published/Edited by Abhinav Tiwari

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