गांव वालों ने बताया कि बूचड़खाना पर आये दिन बाहरी लोग गाली गलौज करते थे। आपस में लड़ाई-झगड़ा करते रहते थे, साथ ही साथ मांस के टुकड़े इधर-उधर बिखरे रहते थे। छोटे बच्चों और स्कूल जाने वाली लड़कियों के साथ ही आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।