बिहार में 2 अक्टूबर को जातीय सर्वे के आंकड़े जारी होते ही अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की राजनीति और प्रतिनिधित्व की बहस एक बार फिर से शुरू हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने-अपने तरीके से विश्लेषण कर रहा है। कोई इसमें जल्दबाजी तो कोई सियासी गणित बता रहा है।