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Lko News: सुशासन की पहली शर्त ‘रूल ऑफ लॉ’, लखनऊ में कैट खंडपीठ उद्घाटन समारोह में बोले सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी लखनऊ में आयोजित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की लखनऊ खंडपीठ के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए ‘रूल ऑफ लॉ’ को सुशासन की पहली और अनिवार्य शर्त बताया। उन्होंने कहा कि यह समयबद्ध, सहज और सरल होना चाहिए, ताकि एक सामान्य कर्मचारी भी न्याय तक आसानी से पहुंच सके।

‘रूल ऑफ लॉ’ को बताया सुशासन की बुनियाद

मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “सुशासन की पहली शर्त है ‘रूल ऑफ लॉ’। यह कानून ऐसा होना चाहिए जो समयबद्ध और पारदर्शी हो, ताकि हर सरकारी कर्मचारी को समय पर न्याय मिल सके। मामलों का निस्तारण मेरिट के आधार पर किया जाना चाहिए।”

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, कैट नई दिल्ली के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रणजीत मोरे, लखनऊ पीठ के विभागाध्यक्ष न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा, और प्रशासनिक सदस्य संजय कुमार सहित अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहे।

आंबेडकर जयंती पर मिला विशेष महत्व

सीएम योगी ने इस उद्घाटन कार्यक्रम को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती से जोड़ते हुए कहा कि यह दिन दलितों, वंचितों और जरूरतमंदों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से और भी खास बन गया है। उन्होंने कहा, “हमारे देश में कई न्यायिक मामले वर्षों से लंबित हैं। ऐसे में ट्रिब्यूनल की स्थापना और समयबद्ध न्याय देना सरकार की प्राथमिकता है।”

कैट देगा कर्मियों को समय पर न्याय

कार्यक्रम में बताया गया कि लखनऊ में स्थापित यह खंडपीठ 16 जिलों के केंद्रीय कर्मियों को न्याय दिलाने में सहायक बनेगी। सीएम योगी ने भरोसा जताया कि जब किसी कर्मचारी को मजबूरी में यहां आना पड़ेगा, तो उसे समय पर न्याय अवश्य मिलेगा।

2014 से अब तक 6000 से अधिक मामलों का हुआ निस्तारण

सीएम ने बताया कि 2014 से 2025 के बीच लखनऊ पीठ में कुल 6700 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 6000 से अधिक मामलों का निस्तारण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यदि दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर मामलों की सुनवाई की जाए, तो निष्पक्ष समाधान जल्द संभव है।

राज्य स्तर पर भी उन्होंने बताया कि:

डॉ. जितेंद्र सिंह ने की योगी सरकार की तारीफ

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कैट के भवन निर्माण के लिए योगी सरकार की तत्परता की सराहना की। उन्होंने कहा कि सीएम योगी ने मात्र 1825 वर्गफुट भूमि को तुरंत स्वीकृत कर दिया, जिससे 18 करोड़ रुपये की लागत से भव्य भवन का निर्माण संभव हो सका।

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